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बीजेपी के 11वें अध्यक्ष के तौर पर जेपी नड्डा के सामने दिल्ली चुनाव पहली बड़ी चुनौती, 21 साल से सत्ता का इंतजार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 21, 2020 05:57 IST

भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर काम संभाल रहे जगत प्रकाश नड्डा (जे.पी. नड्डा) ने सोमवार को पार्टी की कमान पूरी तरह संभाल ली। वो आम सहमति से भाजपा के 11वें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं।

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ठळक मुद्देपार्टी की कमान पूरी तरह से संभालने के बाद नड्डा के सामने सबसे पहली चुनौती दिल्ली विधानसभा चुनाव की है।1991 में जब नड्डा युवा मोर्चा की कमान संभाल रहे थे, उस समय मोदी पार्टी के महासचिव थे.

जेपी नड्डा आम सहमति से भाजपा के 11वें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं. वे अमित शाह के बाद दूसरे ऐसे नेता हैं, जिन्हें यूपी में सफलता के बाद पार्टी की कमान सौंपी गई हैं. नड्डा, अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद से ही कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर काम संभाल रहे थे. लो-प्रोफाइल रहने वाले और बड़ेबोले बयानों से दूर रहने वाले नड्डा भले ही करिश्माई नेता न माने जाते हों, लेकिन संगठन पर उनकी पकड़ हमेशा रही है.

पार्टी की कमान पूरी तरह से संभालने के बाद नड्डा के सामने सबसे पहली चुनौती दिल्ली विधानसभा चुनाव की है। यहां 21 सालों से बीजेपी को सत्ता का इंतजार है। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल के सामने किसी चेहरे को आगे नहीं किया है बल्कि केंद्रीय नेतृत्व के दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। 

नड्डा के सामने निवर्तमान अध्यक्ष अमित शाह के करिश्मे को बरकरार रखने सहित कई अहम चुनौतियां होंगी. सबसे पहले दिल्ली चुनाव मुंह बाएं खड़े हैं. इसके बाद बिहार में भी इसी साल चुनाव होना है. 2021 में प. बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में विधानसभा के चुनाव भी हैं. इनमें से केवल असम में भाजपा की सरकार है. आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों के साथ बेहतर तालमेल बनाने में भी नड्डा के संगठन कौशल की परीक्षा होगी.

जगत प्रकाश नड्डा 2010 से भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा हैं. उन्हें प्रधानमंत्री मोदी का करीबी माना जाता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 62 सीटें दिलाने के बाद भाजपा में उनके कद में जबर्दस्त इजाफा हुआ. 2014 के लोकसभा चुनाव में 71 सीटें जीतने वाली भाजपा के लिए 62 सीटें इसलिए काफी महत्वपूर्ण थीं, क्योंकि इस बार पार्टी के सामने सपा-बसपा गठबंधन की बड़ी चुनौती थी. 

नड्डा का जन्म 2 दिसंबर, 1960 को पटना में हुआ. पटना में ही बीए तक की पढ़ाई की. यहीं, वह आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़े थे. इसके बाद वह हिमाचल प्रदेश गए और एलएलबी किया. तीन बार बने विधायक वह भाजपा के टिकट पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 1993-98, 1998-03 और फिर 2007-12 तक विधायक रहे. 1994 से 1998 तक वह प्रदेश की विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता भी रहे. वह 2008 में प्रेम कुमार धूमल सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री भी रहे. 

1991 से मोदी के करीबी जे. पी. नड्डा को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है. 1991 में जब नड्डा युवा मोर्चा की कमान संभाल रहे थे, उस समय मोदी पार्टी के महासचिव थे. माना जाता है कि दोनों नेताओं के बीच तभी से करीबी है. नड्डा को 2010 में महासचिव बनाया गया था. नरेंद्र मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया.

टॅग्स :दिल्ली विधान सभा चुनाव 2020भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)जेपी नड्डा
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