जेएनयू ने यौन उत्पीड़न पर परामर्श सत्र के लिए अपने आमंत्रण की भाषा बदली
By भाषा | Published: December 29, 2021 12:51 PM2021-12-29T12:51:17+5:302021-12-29T12:51:17+5:30
नयी दिल्ली, 29 दिसंबर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने यौन उत्पीड़न पर परामर्श के लिए अपने सार्वजनिक आमंत्रण की भाषा को संशोधित किया है और इस वाक्य को हटा दिया है कि ‘‘लड़कियों को यह जानना चाहिए कि उनके और उनके पुरुष मित्रों के बीच एक ठोस रेखा कैसे खींचनी है।’’ इस वाक्य पर छात्रों और शिक्षकों ने आपत्ति जताई थी।
विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) ने जेएनयू की वेबसाइट पर यह कहते हुए आमंत्रण अपलोड किया था कि वह 17 जनवरी को यौन उत्पीड़न पर परामर्श सत्र आयोजित करेगी। समिति ने यह भी कहा कि इस तरह के सत्र मासिक आधार पर आयोजित किए जाएंगे।
उपशीर्षक ‘‘इस परामर्श सत्र की आवश्यकता क्यों है’’ के तहत संबंधित वाक्य को बदल दिया गया है। संशोधित वाक्य है ‘‘लड़कों को दोस्ती और ऐसा व्यवहार जिसे यौन उत्पीड़न माना जा सकता है, के बीच में स्पष्ट रूप से अंतर बताने के लिए परामर्श दिया जाएगा । लड़कियों को परामर्श दिया जाएगा कि यौन उत्पीड़न से कैसे बचा जाए।’’
यह कदम ऐसे वक्त उठाया गया है जब एक दिन पहले राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने विश्वविद्यालय द्वारा जारी ‘‘महिला विरोधी’’ परिपत्र को वापस लेने की मांग की थी। उपशीर्षक ‘‘परामर्श सत्र की आवश्यकता क्यों है’’ के तहत, आमंत्रण में कहा गया था कि यह छात्रों को बताएगा कि यौन उत्पीड़न के दायरे में क्या आता है।
इसमें यह भी कहा गया कि छात्रों को ‘ओरिएंटेशन प्रोग्राम’ के दौरान और प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में परामर्श दिया जाता है और उन्हें समय-समय पर इसके बारे में अपनी समझ को बढ़ाने की आवश्यकता है।
पहले के आमंत्रण में लिखा था, ‘‘आईसीसी में ऐसे कई मामले आते हैं जहां करीबी दोस्तों के बीच यौन उत्पीड़न होता है। लड़के आम तौर पर दोस्ती (कभी-कभी अनजाने में, कभी कभार जानबूझकर) हास परिहास और यौन उत्पीड़न के बीच की रेखा को पार कर जाते हैं। लड़कियों को यह जानना होगा कि इस तरह के किसी भी उत्पीड़न से बचने के लिए (उनके और उनके पुरुष मित्रों के बीच) एक ठोस रेखा कैसे खींचनी है।
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