जम्मू: 13 दिन में 3 बार गुलाम नबी आजाद ने अपनी पार्टी का बदला है नया नाम, चुनाव आयोग ने अभी तक नहीं दी है किसी को भी मान्यता
By सुरेश एस डुग्गर | Published: November 28, 2022 04:48 PM2022-11-28T16:48:54+5:302022-11-28T17:06:26+5:30
ऐसे में गुलाम नबी आजाद द्वारा बनाई गई नई पार्टी के भीतरी सूत्रों की माने तो इस आखिरी बार भेजे गए नाम से पूर्व मुख्यमंत्री खुश नहीं है। पार्टी के नाम को लेकर गुलाम नबी आजाद का यह कहना था कि पार्टी का नाम छोटा होना चाहिए। ऐसे में वे इस नए और आखिरी बार भेजे गए नाम से ज्यादा संतुष्ट नहीं है।
जम्मू: कांग्रेस से आजाद हुए पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की नवगठित पार्टी के प्रदेश में हजारों कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए पहचान का मामला अभी तक सुलझ नहीं पाया है। इसके पीछे का कारण यह है कि चुनाव आयोग द्वारा अभी तक उनकी पार्टी का नाम न ही स्वीकृत किया गया है और न ही इसे पंजीकृत किया गया है। ऐसे में अब तीसरी बार पार्टी का नाम स्वीकृत करने के लिए चुनाव आयोग के पास भेजवाया गया है।
क्या है पूरा मामला
दो दिन पहले ही गुलाम नबी आजाद की पार्टी के महासचिव की ओर से अखबारों में दिए गए विज्ञापनों के अनुसार, उनकी पार्टी के नाम को पंजीकृत करने के लिए चुनाव आयोग को दिए गए आवेदन पर आपत्तियां मांगी गई हैं। अब पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के नाम से पंजीकरण पेश किया गया है।
हालांकि सितम्बर में जब गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के गठन की घोषणा की थी तो इसका नाम डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी रखा गया था। तब उन्होंने सैंकड़ों समर्थकों की उपस्थिति में इसकी घोषणा करते हुए 26 सितम्बर को चुनाव आयोग को आवेदन भी किया था, लेकिन चुनाव आयोग ने उस नाम को अस्वीकृत कर दिया था।
बार-बार पार्टी के नाम बदलने से असमंजस में है नेता
नतीजतन पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अखबारों आदि में या सम्मेलनों में प्रतिदिन अपनी पार्टी का नाम बदलने को मजबूर हैं। इससे उनकी भारी किरकिरी भी हो रही है। हालत यह है कि अब तीसरी बार पार्टी का नाम बदला गया है। इस महीने की 13 तारीख को प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के नाम को भी चुनाव आयोग द्वारा अस्वीकृत कर दिए जाने के कारण पार्टी नेता असमंजस में हैं।
13 दिन में बदलने पड़े पार्टी के तीन नाम
दरअसल 13 दिनों में ही उन्हें तीसरी बार पार्टी का नाम बदलना पड़ा है। ऐसे में अब 26 नवंबर को डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के नाम से आवेदन किया गया है जिसके प्रति दुआ की जा रही है कि वह अब स्वीकृत हो जाए।
लेकिन पार्टी के भीतरी सूत्र बताते थे कि इस नाम से गुलाम नबी आजाद नाखुश हैं क्योंकि वे पार्टी के लिए छोटा नाम चाहते थे। मगर मजबूरी में उन्हें ऐसा करना पर रहा है। वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द पार्टी का नाम स्वीकृत हो और चुनाव चिन्ह भी मिल जाए क्योंकि प्रदेश में विधानसभा चुनावों की सुगबुगाहट आरंभ हो चुकी है।