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झारखंड: लॉकडाउन में खाने के लिए मिला चावल तो हड़िया बनाकर बेच दिया, राज खुलने के बाद हुए फरार

By एस पी सिन्हा | Updated: April 29, 2020 15:28 IST

सरकार द्वारा गरीबों को दो माह का चावल एक मुश्त पीडीएस दुकान से मिला था, कुछ लोग उसी चावल से हडिया बनाकर बेच रहे हैं. इसके बाद कई घरों से काफी मात्रा में जावा महुआ और हड़िया बरामद किया गया.

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ठळक मुद्देखाने की तकलीफ नहीं हो इसके लिए सरकार तीन माह का चावल एक साथ दिया था. सिमडेगा जिले में कुछ लोग इसका दुरुपयोग करते हुए हड़िया पेय (नशा के लिए) बनाते पकड़े गए हैं.

रांची: लॉकडाउन में किसी को खाने की तकलीफ नहीं हो इसके लिए सरकार तीन माह का चावल एक साथ दिया था. लेकिन झारखंड के सिमडेगा जिले में कुछ लोग इसका दुरुपयोग करते हुए हड़िया पेय (नशा के लिए) बनाते पकड़े गए हैं. जिले के कुरडेग थाना क्षेत्र के कुटमाकच्छार पंचायत अंतर्गत तेलीटोली में कुछ लोग राशन के चावल से हड़िया बनाते पकड़े गए हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार पकड़े गये लोग समर्थ होने के बाद भी गरीबी का चोला ओढकर गरीबों का हक मारकर गरीबी के नाम पर राशन के चावल का उठाव कर लिये थे. इसके बाद ये लोग अवैध धंधे में शामिल होकर हड़िया बनाकर बेचने लगे थे. गुप्त सूचना के आधार पर बीडीओ मृत्युंजय कुमार और थाना प्रभारी मोहन बैठा ने टीम गठित कर गांव में छापामारी की थी. कई घरों से काफी मात्रा में जावा महुआ और हड़िया बरामद किया गया. इसके बाद इसे नष्ट कर दिया गया है. हालांकि, छापामारी दल के पहुंचने से पहले ही शराब विक्रेता फरार हो गए थे. ऐसे में थाना प्रभारी ने गांव के लोगों से कहा कि इस तरह अवैध रुप से शराब और हड़िया बेचने बनाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा. ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाएगा. 

इस संबध में थाना प्रभारी को बताया गया कि सरकार द्वारा गरीबों को दो माह का चावल एक मुश्त पीडीएस दुकान से मिला था, कुछ लोग उसी चावल से हडिया बनाकर बेच रहे हैं. बीडीओ ने कहा कि इस मामले में जांच कर कार्रवाई की जाएगी. बीडीओ ने ग्रामीणों को कोरोना महामारी की विस्तृत जानकारी देते हुए लॉकडाउन का पालन करने के लिए कहा और दोपहिया वाहन में एक ही व्यक्ति को आवागमन की अनुमति है. अधिक लोग घूमते पाए जाने पर कडी कार्रवाई की जाएगी. हालांकि जानकारों की अगर मानें तो झारखंड के ग्रामीण ईलाकों में संपन्न लोग अपने को गरीब बताकर के डीलर से मुफ्त में राशन का उठाव कर लेते हैं और उसका हड़िया बनाकर गरीबों को बेचते हैं. कभी-कभी तो उनसे हड़िया पिलाने के बदले चावल ही ले लेते हैं, जिससे उनके घरों में चावल नही जा पाता है और हड़िया के धंधेबाज उसका हड़िया बनाकर बेच देते हैं.

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