झारखंडः NIA ने कोयला कारोबार से जुड़ी कंपनियों के 17 ठिकानों पर मारे छापे, टेरर फंडिंग से जुड़े दस्तावेज जब्त
By एस पी सिन्हा | Published: October 10, 2018 02:17 PM2018-10-10T14:17:56+5:302018-10-10T14:17:56+5:30
छापेमारी के दौरान 10 हजार सिंगापुर डॉलर, 1300 यूएस डॉलर के अलावा एक हजार और 500 के पुराने नोट जब्त किये गये हैं। यह भारतीय करंसी के 68 लाख मूल्य के बराबर है।
रांची, 10 अक्टूबरः अति वामपंथी संगठनों को आर्थिक मदद करने के आरोप में नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) ने कोयला कारोबार से जुडी कंपनियों और कोयला ट्रांसपोर्टरों के 17 ठिकानों पर छापामारी की है। टेरर फंडिंग मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने झारखंड में यह बडी कार्रवाई की है। एनआईए की टीम ने झारखंड पुलिस के साथ रांची, हजारीबाग, जमशेदपुर में एक साथ छापेमारी की। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में भी एनआईए की टीम ने कार्रवाई की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कार्रवाई के दौरान एनआईए ने टेरर फंडिंग से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूतों को जब्त किया। झारखंड पुलिस और एनआईए का यह जॉइंट ऑपरेशन था। इससे पहले हजारीबाग के सदर थाना इलाके में बीजीआर कंपनी के अधिकारी के आवास पर एनआईए ने छापा मारा। एनआईए की टीम ने इस आवास को सील कर दिया है। यहां अधिकारी रघुराम रेड्डी किराये पर रह रहे थे।
सूत्रों के मुताबिक, एनआईए की टीम रेड्डी को खोजने और कई मामलों की छानबीन करने हजारीबाग पहुंची थी। लेकिन रेड्डी घर पर नहीं मिले। लिहाजा टीम ने आवास को मकान मालिक के सामने ही सील कर दिया। वह मकान कोयला व्यापारी दानवेंद्र यादव उर्फ दीना यादव का बताया जाता है। उनके आलीशान घर में एक-एक करोड की दो गाडियां लगी थी। टीम को जानकारी मिली कि वह पूरे परिवार के साथ बाहर गए हैं।
एनआइए की टीम ने साक्ष्य इकट्ठा करते उनके आवास को सील कर दिया। एनआइए की टीम कोयला नक्सली लेवी गठजोड के विरुद्ध जो कार्रवाई कर रही है, उसके पीछे जोनल कमांडर कोहराम गंझू के फर्द बयान बताया जाता है। जिसपर इतना कोहराम मच रहा है क्योंकि कोयला उत्खनन के नक्सली लेवी गठजोड में टीपीएससी के साथ रघु राम रेड्डी की मिलीभगत का आरोप है। इस गठजोड में कई बडे नेता, व्यवसायी, अधिकारी और ट्रांसपोर्टरों के नाम हैं। एनआइए का पंजा उनके गिरेबां तक पहुंच चुका है।
झारखंड के 15 स्थानों और पश्चिम बंगाल के दो ठिकानों पर एक साथ छापामारी की गई। आधुनिक कंपनी के अलावा दुर्गापुर निवासी उद्योगपति सोनू अग्रवाल के आवास तथा फैक्ट्री जयश्री इस्पात समेत छह कोयला ट्रांसपोर्टरों के ठिकाने पर हुई छापामारी में अहम दस्तावेज मिले हैं। इनमें उग्रवादियों व नक्सलियों को राशि भुगतान से संबधी डायरी मिली है। वहीं सिंगापुर, अमेरिका के डॉलर समेत बैंक पासबुक, फिक्स डिपोजिट से संबंधित दस्तावेज मिले हैं।
एनआइए के आईजी (पॉलिसी) आलोक कुमार मित्तल ने बताया कि अति वामपंथी संगठनों (माओवादी) को आर्थिक मदद दिये जाने के मामले में जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही विवरण दिया जायेगा। जानकारी के अनुसार, उक्त कोयला कारोबारियों पर प्रतिबंधित संगठन तृतीय प्रस्तुति सम्मेलन कमेटी (टीएसपीसी), पीएलएफआइ, भाकपा माओवादियों समेत अन्य संगठनों को आर्थिक मदद करने का आरोप है। बताया जाता है कि चतरा में सीसीएल की कोल परियोजनाओं आम्रपाली और मगध एरिया कमेटी से मोटी रकम उग्रवादियों व नक्सलियों को लेवी के तौर पर दी जाती थी।
एनआइए ने केस संख्या डीएलआइ 06/18 के मामले में कार्रवाई करते हुए रांची के अलावा हजारीबाग, जमशेदुपर, दुर्गापुर व बराकर में कोयला कारोबार से जुडी कंपनी के अधिकारियों और ट्रांसपोर्टिंग से जुडे लोगों के ठिकानों पर छापामारी की। छापेमारी के दौरान 10 हजार सिंगापुर डॉलर, 1300 यूएस डॉलर के अलावा एक हजार और 500 के पुराने नोट जब्त किये गये हैं। यह भारतीय करंसी के 68 लाख मूल्य के बराबर है।
यहां बता दें कि टीएसपीसी के लिए लेवी की वसूली करनेवाला मुख्य सरगना बिंदेश्वर गंझू उर्फ बिंदु गंझू को एनआइए ने पिछले दिनों रांची के बिरसा चौक से गिरफ्तार किया था। सूत्रों के मुताबिक, उसने ही लेवी देनेवाले ट्रांसपोर्टरों व कंपनियों के नाम का खुलासा किया था।
एनआइए को उसने यह भी बताया था कि लेवी के पैसे का हिस्सा पुलिस के आला-अफसरों से लेकर नेताओं तक पहुंचाया जाता है। इसकी गिरफ्तारी के बाद हजारीबाग से इनामी उग्रवादी कोहराम और चतरा से मुनेश की गिरफ्तारी हुई थी। बता दें कि बीजीआर कंपनी कोयले की माइनिंग, ट्रांसपोर्टिंग और ओबी हटाने का काम करती है।