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Jharkhand Ki Khabar: शव दफनाने पर हंगामा, रांची में हुई इस घटना से सभी भौंचक, जानें पूरा मामला

By एस पी सिन्हा | Updated: May 1, 2020 18:21 IST

यदि मृतक रांची के बाहर का होगा, तो उसने कब्रिस्तान के लिए चंदा नहीं दिया होगा ऐसी स्थिति में चर्च प्रबंधन शव दफनाने से रोक सकता है.

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ठळक मुद्देगांव ले जाने पर असमर्थता जताने पर फादर ने आसपास के लोगों के सहयोग से कोई दूसरा विकल्प तलाशने को कहा. रांची में सभी किराए के मकान में रहते हैं. यह मामला ईसाई धर्म का है।

रांची: झारखंड के राजधानी रांची में एक दिलदहला देने वाली खबर आई है कि जब शव दफनाने के लिए कब्रिस्तान में जगह नही दी गई तो मजबूरन लोगों को हिंदू धर्म के आधार पर अंत्येष्टि करनी पडी. ऐसा हुआ एक ईसाई परिवार के साथ. कहा जाता है कि संत फ्रांसिस चर्च का नियम है कि हर परिवार को कब्रिस्तान के लिए जगह खरीदनी होती है. इसके लिए चंदा देना होता है. यदि मृतक रांची के बाहर का होगा, तो उसने कब्रिस्तान के लिए चंदा नहीं दिया होगा ऐसी स्थिति में चर्च प्रबंधन शव दफनाने से रोक सकता है.

इसका दुखद अहसास उस परिवार को आज तब हुआ जब रांची में एक ईसाई बुजुर्ग की मौत के बाद शव दफनाने के लिए कब्रिस्तान में जगह नहीं मिली. इसके बाद कोई रास्ता नही बचते देख परिजनों ने हिंदू रीति रिवाज के साथ हरमू मुक्ति धाम में उनकी अंत्येष्टि कर दी. हालांकि इस अंत्येष्टि में आस पास के लोगों ने भरपूर सहयोग किया. प्राप्त जानकारी के अनुसार राजधानी रांची की हरमू नदी के पास की बस्ती में रहने वाले रामशरण टूटी का निधन गुरुवार की देर रात को हो गया था. 

निधन के बाद उनके परिजनों ने शव को दफनाने के लिए आज संत फ्रांसिस चर्च के प्रतिनिधियों से संपर्क किया. मृतक के पुत्र फिलिप टूटी ने बताया कि उनका परिवार 15 साल से ईसाई धर्म का पालन कर रहा है और सभी लोग नियमित संत फ्रांसिस चर्च जाते हैं. पिता के निधन के बाद दफनाने के लिए चर्च के फादर से बात हुई. 

फादर ने कहा कि कब्रिस्तान में जगह नहीं है. संभव हो तो शव को अपने गांव ले जाओ. गांव ले जाने पर असमर्थता जताने पर फादर ने आसपास के लोगों के सहयोग से कोई दूसरा विकल्प तलाशने को कहा. इसके बाद परिवार और पडोस के लोगों ने सहमति बना कर हरमू मुक्तिधाम ले जाकर शव को जला दिया. यह परिवार मूल रूप से खूंटी के फुदी के रहने वाला है. रांची में सभी किराए के मकान में रहते हैं.

इस मामले के सामने आने के बाद धर्म परिवर्तन कर ईसाई बने लोगों के बीच काफी नाराजगी देखी जा रही है. लोगों ने कहा कि जब मौत के बाद भी जगह नही मिलेगी तो फिर ऐसे धर्म को अपनाने से क्या फायदा. हालांकि संत फ्रांसिस चर्च का कोई अधिकारिक बयान नही मिल सका है. लेकिन इस घटना से सभी दुखी हैं. लोगों का कहना है कि जब दफनाने के लिए जगह खरीदनी हो और जो समर्थ नही हो उसका क्या होगा? ऐसे कई प्रश्न आज ईसाई धर्म अपनाने वाले पूछने लगे हैं. बात चाहे जो भी हो, लेकिन इस घटना ने सभी के दिल को दहला जरूर दिया है.

टॅग्स :झारखंडलोकमत समाचार
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