'भगवान भरोसे चल रहा सबसे बड़ा अस्पताल, 80% पद खाली'- झारखंड हाईकोर्ट ने ऐसे लगाई RIMS को फटकार, कहा कुछ लोगों के लिए हॉस्पिटल बन गया है धंधा

By आजाद खान | Published: January 29, 2022 10:28 AM2022-01-29T10:28:42+5:302022-01-29T10:31:50+5:30

कोर्ट ने इस पर बोला, ‘‘लगता है कि अदालत को ही अब रिम्स की बेहतरी के लिए कुछ करना होगा क्योंकि वहां की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है।''

jharkhand high court Damnation rims over 80 percent vacant post says god is running institution become business | 'भगवान भरोसे चल रहा सबसे बड़ा अस्पताल, 80% पद खाली'- झारखंड हाईकोर्ट ने ऐसे लगाई RIMS को फटकार, कहा कुछ लोगों के लिए हॉस्पिटल बन गया है धंधा

'भगवान भरोसे चल रहा सबसे बड़ा अस्पताल, 80% पद खाली'- झारखंड हाईकोर्ट ने ऐसे लगाई RIMS को फटकार, कहा कुछ लोगों के लिए हॉस्पिटल बन गया है धंधा

Highlightsझारखंड उच्च न्यायालय ने रिम्स में पदों की भर्ती नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट का कहना है कि साल भर से यह पदें कैसे खाली है।न्यायालय ने रिम्स को यह भी कहा कि जल्द ही विज्ञापन देकर खाली पदों की भर्ती करें।

रांची:झारखंड उच्च न्यायालय (High Court) ने राज्य के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान एवं अस्पताल राजेन्द्र आयुर्विग्यान संस्थान (RIMS) में चतुर्थ श्रेणी से लेकर प्रोफेसर तक के अस्सी प्रतिशत पद रिक्त होने और इन रिक्तियों को भरने में गंभीरता की कमी पर गहरी नाराजगी जताई है। फटकार लगाते हुए इस पर कोर्ट ने कहा है कि इतना बड़ा संस्थान बस भगवान भरोसे ही चल रहा है। झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डा. रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने रिम्स में खाली पदों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर कल सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘रिम्स में प्रोफेसर से लेकर चतुर्थ वर्ग के लगभग 80 प्रतिशत पद खाली हैं और इतनी बड़ी संस्था भगवान भरोसे ही चल रही है।’’ 

रिम्स बन गया है धंधा- कोर्ट

अदालत ने कहा कि कुछ लोगों के लिए रिम्स धंधा बन गया है। अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा, ‘‘राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में 44 में से सिर्फ नौ प्रोफेसर ही कार्यरत हैं। सहायक प्रोफेसरों की भी कमी है। तृतीय और चतुर्थ वर्ग के सभी पद आउटसोर्स कर दिए गए हैं। ऐसे में अस्पताल कैसे काम कर रहा है।’’ 

इस पर बोलते हुए अदालत ने आगे तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘लगता है कि अदालत को ही अब रिम्स की बेहतरी के लिए कुछ करना होगा क्योंकि वहां की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है, जबकि रिम्स को एक बड़ी राशि सहायता के रूप में मिलती है।’’ 

पदों को भरने के लिए कोर्ट ने विज्ञापन देने को कहा

मुख्य न्यायाधीश ने रिम्स निदेशक को तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों पर तत्काल नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करते हुए विज्ञापन जारी करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि आउटसोर्सकर्मी सिर्फ नियुक्ति नहीं होने तक ही काम करेंगे। मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी। 

सुनवाई के दौरान मौजूद रिम्स निदेशक से अदालत ने रिक्त पदों के बारे में जानकारी मांगी थी। रिम्स की ओर से बताया गया कि रिम्स में प्रोफेसरों के 44 पद स्वीकृत हैं। फिलहाल नौ प्रोफेसर कार्यरत है। तेईस प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया है। शेष का रोस्टर क्लियरेंस किया जा रहा है।

पिछले एक साल से नहीं हुई कोई नियुक्ति

इस पर अदालत ने पूछा कि रोस्टर क्लियरेंस रिम्स को ही करना है तो फिर इसमें विलंब क्यों किया जा रहा है? अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि एक साल पहले ही रिम्स में सभी रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया गया था तो अब तक नियुक्ति क्यों नहीं की गई? 

अदालत ने जानना चाहा कि रिम्स में तृतीय और चतुर्थवर्गीय पदों को आउटसोर्स क्यों किया गया है? इस पर निदेशक ने बताया कि दो साल पहले हुई गवर्निंग बॉडी की बैठक में चतुर्थवर्गीय पदों को आउटसोर्स करने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए एम्स की व्यवस्था को आधार बनाया गया था। इस पर अदालत ने कहा कि क्या एम्स की नियमावली को रिम्स ने स्वीकार कर लिया है। 

कोर्ट ने सरकार को जल्द फैसला लेने को कहा

अदालत ने दो टूक कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थाई नहीं रखा जा सकता। उनकी नियुक्ति सीमित समय के लिए होती है। स्थाई नियुक्ति में समय लगने पर कुछ दिनों के लिए नियुक्ति की जाती है। अदालत ने कहा कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्तियों की अनुमति अदालत नहीं देगा। 

इस पर रिम्स के निदेशक ने बताया कि लगभग 300 से ज्यादा तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मियों के पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा कि ट्रॉमा सेंटर सहित अन्य के लिए दो सौ से ज्यादा नए पद सृजित करने के लिए झारखंड सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है। अदालत ने नए पद सृजित करने के रिम्स के प्रस्ताव पर सरकार को विचार कर जल्द निर्णय लेने को कहा। 

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