झारखंड: सीएम की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, ईडी से सीधे टकराव के मूड में हैं हेमंत सोरेन
By एस पी सिन्हा | Published: November 5, 2022 05:04 PM2022-11-05T17:04:31+5:302022-11-05T17:36:27+5:30
आपको बता दें कि सूत्रों के अनुसार यह पता चला है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में काफी मजबूत सबूत मौजूद हैं, जो आरोपियों के साथ उनकी संलिप्तता को दिखाती हैं। सूत्रों के मुताबिक, शिकायत में एजेंसी ने भ्रष्टाचार और खदान लीज आवंटन में पद के गलत इस्तेमाल का हवाला देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए थे।
रांची:झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ईडी से सीधे टकराव की मूड में आने से राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न होती दिख रही है। हेमंत सोरेन अगर फिर ईडी के सामने उपस्थित नही हुए तो अब उनके विकल्प और कम हो सकते हैं।
कहा जा रहा है कि एजेंसी के साथ सहयोग करने में बार-बार उनकी तरफ से हो रही ढिलाई आगे जाकर गिरफ्तारी की एक वजह बन सकती है। झारखंड की यह स्थिति काफी कुछ महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख जैसा नजर आने लगी है।
सीएम हेमंत सोरेन विरोधियों से पलटवार की है तैयारी में
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी के समन के बाद तेवर कड़े कर लिए हैं। वे चुनौती देने की मुद्रा में हैं और उसी अंदाज में विरोधियों पर पलटवार की भी तैयारी है। आज झामुमो के कार्यकर्ताओं ने सभी जिला मुख्यालयों में सरकार को अस्थिर करने की कोशिशों के खिलाफ प्रदर्शन किया है। यह सिलसिला आने वाले दिनों में तेज होगा।
सहयोगी दल कांग्रेस ने भी प्रदर्शन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्णय किया है। हालांकि, राजनीति से अलग कानूनी प्रक्रिया के तहत ईडी मुख्यमंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।
क्या गिरफ्तारी से बच सकते है सीएम हेमंत सोरेन?
जानकारों के अनुसार कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा 135 के तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, मुख्यमंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को गिरफ्तारी से छूट मिली है। यह छूट सिर्फ सिविल मामलों में है। लेकिन क्रिमिनल मामलों में नहीं।
इस धारा के तहत संसद या विधानसभा या विधान परिषद के किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में लेना है तो सदन के अध्यक्ष या सभापति से मंजूरी लेना जरूरी है।
धारा यह भी कहती है कि सत्र से 40 दिन पहले, उस दौरान और उसके 40 दिन बाद तक ना तो किसी सदस्य को गिरफ्तार किया जा सकता है और ना ही हिरासत में लिया जा सकता है।
सीएम हेमंत सोरेन मजबूत सबूत मिले है
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में काफी मजबूत सबूत मौजूद हैं, जो आरोपियों के साथ उनकी संलिप्तता को दिखाते हैं। सूत्रों के अनुसार शिकायत में एजेंसी ने भ्रष्टाचार और खदान लीज आवंटन में पद के गलत इस्तेमाल का हवाला देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए थे।
इससे पहले ईडी ने सोरेन के राजनीतिक करीबी पंकज मिश्रा और दो लोगों को गिरफ्तार किया था और 20 करोड़ रुपए बरामद किए थे।
सबूतों को लेक एजेंसी का अलग दावा है
एजेंसी ने दावा किया था कि यह अपराध की आय का बहुत छोटा हिस्सा है, क्योंकि अवैध खनन का काम एक हजार करोड़ रुपए का था। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तलब करने से पहले एजेंसी ने मनी ट्रेल का पता लगाया है, आरोपियों और गवाहों के बयान भी दर्ज किए गए हैं।
एजेंसी सो सीएम हेमंत सोरेन के साइन किए हुए चेक बुक मिले है
एजेंसी ने आरोपियों के बयान रिकॉर्ड किए थे कि उन्होंने कैसे खनन पट्टे हासिल किए, लाभार्थी कौन थे। साथ ही यह भी पूछा गया था कि क्यों मुख्यमंत्री की चेक बुक और कुछ साइन किए चेक उनके ठिकानों पर मिले थे। यहां बता दें कि वर्ष 2000 में 15 नवंबर को देश के नक्शे पर बिहार से पृथक होकर एक नए राज्य के रूप में झारखंड का उदय हुआ।
लेकिन इस अवधि में अगर पांच वर्ष को छोड़ दें तो सरकारें अस्थिर रहीं। राजनीतिक गठबंधन के कई प्रयोग हुए। इस दौरान राज्य में 11 बार मुख्यमंत्री बदले। एकबार फिर से संकट के बादल छाने लगे हैं।