जब टीनएजर जयललिता ने सहेली से की थी शिकायत, फिल्म इंडस्ट्री के सभी मर्द गंदी नज़र से घूरते हैं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 5, 2018 07:37 AM2018-12-05T07:37:25+5:302018-12-05T08:17:14+5:30
जयललिता ने 1961 में बाल कलाकार के तौर पर श्री शैल महात्म्य फिल्म से कन्नड़ सिनेमा में अपना करियर शुरू किया। अगले ही साल हिन्दी में मनमौजी (1962) में उन्हें कृष्ण की भूमिका मिल गयी।
अभिनेत्री और राजनेत्री जयललिता की आज (पाँच दिसम्बर) पुण्यतिथि है। जयललिता का जन्म 24 फ़रवरी 1948 को मैसूर में हुआ था। उनके पिता जयराम वकील थे। जब जयललिता दो साल की थी तभी उनके पिता का देहांत हो गया। उनकी माँ वेदवल्ली को परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए फिल्मों में काम करना पड़ा। उनका फिल्मी नाम संध्या था। परिवार को आर्थिक मदद करने के लिए जयललिता ने भी बाल कलाकार के तौर पर फिल्मी में काम करना शुरू कर दिया।
जयललिता ने 1961 में बाल कलाकार के तौर पर श्री शैल महात्म्य फिल्म से कन्नड़ सिनेमा में अपना करियर शुरू किया। अगले ही साल हिन्दी में मनमौजी (1962) में उन्हें कृष्ण की भूमिका मिल गयी। भले ही जयललिता बचपन में ही अभिनय से जुड़ गई हों लेकिन वो स्कूल के दौरान एक्टर नहीं बनना चाहती थीं। जयललिता पढ़ाई में बहुत तेज़ थीं। तमिलनाडु बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में उन्होंने पूरे राज्य में टॉप किया था। जयललिता की सहपाठी और उनके राजनीति में आने तक उनकी नज़दीकी मित्र ने वासंती को बताया था कि स्कूल के दिनों में जयललिता स्कूल में डॉक्टर या आईएएस बनना चाहती थीं।
जयललिता फिल्मी दुनिया को इसलिए भी नापसंद करती थीं कि क्योंकि वहाँ जिस तरह के पुरुषों से उनका पाला पड़ता था उन्हें वो पसंद नहीं थे। पत्रकार वासंती ने "अम्मा" नाम से जयललिता की जीवनी लिखी है। इस किताब में वासंती ने बताया है कि जयललिता स्टेला मैरिस स्कूल में पढ़ती थीं। वहाँ की उनकी एक दोस्त के अनुसार जब जयललिता की माँ संध्या उन्हें फिल्म के शूट पर ले जाती थीं तो वो विरोध करती थीं। जयललिता अपनी माँ से कहती थीं कि उन्हें फिल्मी दुनिया का माहौल पसंद नहीं है।
जयललिता ने कहा था- घर पर बैठे मिलते हैं कमीने
जयललिता ने अपनी माँ से कहा था कि फिल्मी दुनिया के पुरुष असभ्य हैं और उन्हें कामुकता भरी नजरों से देखते हैं। जयललिता कहा करती थीं, "जब मैं घर जाती हूँ ये कमीने वहाँ बैठे मिलते हैं। मैं उन्हें देखकर झल्ला जाती हूँ- हर तरह के पुरुष, लम्बे, नाटे, काले, गोरे, पतले और मोटे और तेल चुपड़े। माँ मुझे उनके साथ बैठने और बातचीत करने को कहीत है। मुझे इससे नफ़रत है।"
जयललिता ने जब स्कूल की मैट्रिकुलेशन की परीक्षा पास की तभी उनकी माँ संध्या को प्रोड्यूसर और डायरेक्टर बीआर पंथुलु ने अपनी नई कन्नड़ फिल्म के लिए जयललिता को कास्ट करने की इच्छा बतायी। पहले-पहले संध्या नहीं चाहती थीं कि उनकी बेटी पढ़ाई छोड़कर फिल्मों में जाए लेकिन पंथुलु ने उन्हें समझाया कि फिल्म की शूटिंग दो महीने में पूरी हो जाएगी। जयललिता ने भी इस प्रस्ताव के लिए हाँ कर दिया। इस फिल्म की शूटिंग मैसूर के वृन्दावन गार्डन्स में हुई। इस फिल्म के बाद जयललिता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
लीड हिरोइन के रूप में उनकी पहली फिल्म फिल्म चिन्नदा गोम्बे थी। यह फिल्म भी कन्नड़ में थी। लीड एक्ट्रेस के तौर पर तेलुगु में उनकी डेब्यू फिल्म मानषुलु ममतालू (1965) थी। तमिल में हिरोइन के तौर पर उनकी डेब्यू फिल्म वेन्निरा अदाई (1965) थी। पंथुलु ने ही जयललिता को आइरतथिल ओरुवन (1965) फिल्म में साइन किया था। इस फिल्म में वह पहली बार एमजी रामचंद्रन के साथ लीड रोल में आईं। जयललिता और एमजीआर ने 28 फिल्मों में एक साथ काम किया। जयललिता धीरे-धीरे शादीशुदा एमजीआर की प्रेयसी बन गईं। दोनों का यह साथ एमजीआर के निधन तक बना रहा। पाँच दिसम्बर 2016 को जयललिता ने भी अंतिम सांसें लीं।