जनधन खातों की संख्या 50 करोड़ के पार पहुंची, 56 फीसदी खाते महिलाओं के, प्रधानमंत्री मोदी ने कही ये बात
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 19, 2023 01:04 PM2023-08-19T13:04:23+5:302023-08-19T13:09:30+5:30
मोदी सरकार ने 2014 में वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए जनधन बैंक खाते खोलने के वास्ते बड़े पैमाने पर राष्ट्रव्यापी अभियान प्रारंभ किया था, जिसका उद्देश्य प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) सहित कई वित्तीय सेवाओं को गरीबों के लिए सुलभ बनाना था।
नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनधन खातों की संख्या बढ़ने पर खुशी जाहिर की है। पीएम ने जनधन खातों की संख्या 50 करोड़ के पार पहुंचने को एक अहम पड़ाव करार दिया और इस उपलब्धि की सराहना की। प्रधानमंत्री ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "यह देखकर खुशी हुई कि इनमें से आधे से अधिक खाते महिलाओं के हैं।"
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा था कि देश में जनधन खातों की कुल संख्या 50 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है, जिनमें से 56 फीसदी खाते महिलाओं के हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इनमें से लगभग 67 फीसदी खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं।
This is a significant milestone.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 19, 2023
It is heartening to see that more than half of these accounts belong to our Nari Shakti. With 67% of accounts opened in rural and semi-urban areas, we are also ensuring that the benefits of financial inclusion reach every corner of our nation. https://t.co/sfZaNUOSts
इस उपलब्धि को एक अहम पड़ाव करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "यह देखकर खुशी हो रही है कि इनमें से आधे से अधिक खाते हमारी नारी शक्ति के हैं। 67 फीसदी खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि वित्तीय समावेश का लाभ हमारे देश के हर कोने तक पहुंचे।"
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, जनधन खातों में कुल जमा राशि 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि इन खातों के साथ लगभग 34 करोड़ रुपे कार्ड मुफ्त जारी किए गए हैं। मोदी सरकार ने 2014 में वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए जनधन बैंक खाते खोलने के वास्ते बड़े पैमाने पर राष्ट्रव्यापी अभियान प्रारंभ किया था, जिसका उद्देश्य प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) सहित कई वित्तीय सेवाओं को गरीबों के लिए सुलभ बनाना था।