जम्मू-कश्मीर: श्रीनगर में सचिवालय की इमारत से उतरा राज्य का झंडा, लहराया गया केवल तिरंगा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 25, 2019 04:55 PM2019-08-25T16:55:19+5:302019-08-25T16:56:51+5:30
राज्य से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर को मिला विशेषअधिकार खत्म हो चुका है। इससे पहले तक जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान और झंडा होता था।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अब श्रीनगर सचिवालय से भी राज्य का झंडा हटा लिया गया है। इस बिल्डिंग पर अब राष्ट्रीय झंडा तिरंगा लहरा रहा है। इससे पहले इस बिल्डिंग सहित तमाम सरकारी इमारतों पर दोनों झंडे लगे हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों के अनुसार अब सभी सरकारी दफ्तरों पर तिरंगा ही फहराया जाएगा। हालांकि, अभी फिलहाल सभी सरकारी इमारतों से राज्य के झंडे को नहीं हटाया गया है।
#JammuAndKashmir: State flag removed from Civil Secretariat building in SRINAGAR, only tricolor seen atop the building. pic.twitter.com/bwo6bOMNZi
— ANI (@ANI) August 25, 2019
संसद के हाल में खत्म हुए सत्र के दौरान 5 अगस्त को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया था। गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने और राज्य के पुनर्गठन संबंधित प्रस्ताव पेश किया था। सरकार इसे राज्य सभा और फिर लोकसभा में पारित कराने में कामयाब रही।
बदली हुई परिस्थिति के तहत अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषअधिकार खत्म हो गये हैं। इससे पहले तक जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान और झंडा होता था। जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन प्रस्ताव के मुताबिक अब यह दो हिस्सों में बंट गया है। जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश है। लद्दाख को भी इससे अलग कर दिया गया है।
बता दें कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में तनाव की स्थिति बरकरार है। कई इलाकों में पाबंदिया लागू हैं। साथ ही इंटरनेट सहित तमाम संचार व्यवस्था भी बंद है। हालांकि, केंद्र सरकार यह दावा करती रही है कि स्थिति सामान्य है।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को कहा कि राज्य में कही भी दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की कमी नहीं है और लोगों की खरीद के लिए पर्याप्त उपलब्धता है। साथ ही मलिक ने कहा कि पूर्व में जब कश्मीर में संकट होता था, तो पहले ही हफ्ते में कम से कम 50 लोगों की मौत हो जाती थी। बकौल मलिक, 'हमारा कोशिश थी कि इंसानी जान नहीं जाए। 10 दिन टेलीफोन नहीं होंगे, नहीं होंगे, लेकिन हम बहुत जल्द सब वापस कर देंगे।'