जम्मू कश्मीर: प्रेस क्लब को लेकर पत्रकार ‘लड़ते’ रहे, उधर सरकार ने प्रेस क्लब की इमारत का आवंटन ही रद्द कर दिया

By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 17, 2022 03:45 PM2022-01-17T15:45:27+5:302022-01-17T15:51:09+5:30

कश्मीर प्रेस क्लब के पंजीकरण को प्रशासन द्वारा स्थगित करने के एक दिन बाद शनिवार को नई अंतरिम कार्यकारी समिति का गठन किया गया था। पत्रकार मोहम्मद सलीम पंडित प्रेस क्लब के अंतरिम अध्यक्ष बनाए गए थे।

jammu kashmir pres club journalists government | जम्मू कश्मीर: प्रेस क्लब को लेकर पत्रकार ‘लड़ते’ रहे, उधर सरकार ने प्रेस क्लब की इमारत का आवंटन ही रद्द कर दिया

जम्मू कश्मीर: प्रेस क्लब को लेकर पत्रकार ‘लड़ते’ रहे, उधर सरकार ने प्रेस क्लब की इमारत का आवंटन ही रद्द कर दिया

Highlightsकश्मीर में प्रेस क्लब के पत्रकार दो गुटों में बंटे।सरकार ने कश्मीर प्रेस क्लब को आवंटित की गई इमारत का आवंटन ही रद्द कर दिया।पत्रकार मोहम्मद सलीम पंडित प्रेस क्लब के अंतरिम अध्यक्ष बनाए गए थे।

जम्मू: कश्मीर में प्रेस क्लब की लड़ाई ने अब भयानक रूप धारण कर लिया है। नतीजा यह है कि पत्रकारों के कथित रूप से दो गुटों में बंट जाने के बाद उनकी लड़ाई में प्रशासन का नाम भी घसीटे जाने के बाद सरकार ने कश्मीर प्रेस क्लब को आवंटित की गई इमारत का आवंटन ही रद्द करते हुए इमारत को एस्टेट विभाग को लौटाने का निर्देश दिया है।

दरअसल, कश्मीर प्रेस क्लब के पंजीकरण को प्रशासन द्वारा स्थगित करने के एक दिन बाद शनिवार को नई अंतरिम कार्यकारी समिति का गठन किया गया था। पत्रकार मोहम्मद सलीम पंडित प्रेस क्लब के अंतरिम अध्यक्ष बनाए गए थे।

कश्मीर प्रेस क्लब ने बीते शुक्रवार को नई कार्यकारिणी के गठन के लिए 15 फरवरी को चुनाव का एलान किया था। इसके कुछ समय बाद रजिस्ट्रार सोसायटी, जम्मू कश्मीर ने प्रेस क्लब के पदाधिकारियों को सूचित किया कि क्लब के पंजीकरण की प्रक्रिया को स्थगित किया है। 

उनका कहना था कि सीआईडी के एसएसपी ने क्लब की प्रबंधन समिति के कुछ सदस्यों की पृष्ठभूमि की जांच शुरू कर रखी है और जांच पूरी होने तक क्लब को पंजीकृत नहीं किया जा सकता।

कश्मीर प्रेस क्लब में 300 से ज्यादा सदस्य हैं और इसका पहला चुनाव 2019 में हुआ था। तब मोहम्मद सलीम पंडित को हार का सामना करना पड़ा था। कल वे ही खुद अंतरिम अध्यक्ष बन गए। 

कल दोपहर बाद मोहम्मद सलीम पंडित के नेतृत्व में 11 वरिष्ठ पत्रकार अचानक क्लब में आए। उसी दौरान क्लब के बाहर पुलिसकर्मियों का एक दल भी जमा हो गया। 

क्लब की पिछली कार्यकारिणी का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। पंडित व उनके साथ वहां मौजूद कुछ अन्य लोगों से बातचीत की और उसके बाद अंतरिम कार्यकारिणी का गठन हो गया।

इसके बाद कश्मीर के पत्रकारों के दो गुटों में विवाद इतना बढ़ गया कि कई राजनीतिक दल भी इसमें कूद गए। यही नहीं देश के अन्य भागों से भी इस ‘तख्तापलट’ पर जो कड़ी प्रतिक्रियाएं आनी आरंभ हुईं उसमें प्रदेश प्रशासन का नाम भी घसीटा गया तो प्रशासन की छवि पर दाग लग गया।

और इस परिस्थिति से अपने आपको बचाने की खातिर प्रशासन ने बकायदा एक प्रेस नोट जारी कर कश्मीर प्रेस क्लब की इमारत का आवंटन रद्द करते हुए कहा है कि जब पत्रकारों का कोई प्रामाणिक दल उन्हें पहुंच करेगा तो सरकार फिर से प्रेस क्लब को इमारत या जमीन आवंटित करने के प्रति विचार करेगी। 

इतना जरूर था कि प्रशासन की इस कवायद से न सिर्फ सभी को हैरानगी हुई है बल्कि सभी पक्ष इसकी निंदा भी कर रहे हैं।

Web Title: jammu kashmir pres club journalists government

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