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Jammu Kashmir: कश्मीर से बाहर ट्रांसफर न करने के फैसले पर कर्मचारी है प्रशासन से नाराज, कहा नहीं चाहते है अब कश्मीर वापस जाना

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 4, 2022 16:35 IST

विरोध कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि जिस तरह से कश्मीर के अलग-अलग स्थानों में गैर कश्मीरियों को चुन-चुन कर मारा जा रहा है, ऐसे हालात में वे अब कश्मीर नहीं जाएंगे।

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ठळक मुद्देटारगेट किलिंग को देखते हुए कश्मीरी पंडित अब कश्मीर में रहना नहीं चाहते है। वे सरकार से अपने गृह जिलों में तबादला करने की बात कह रहे है। इसके लिए वे कई दिनों से विरोध प्रदर्शन भी कर रहे है।

जम्मू: पीएम पैकेज के तहत कश्मीर में ही बसने की शर्त को स्वीकारते हुए सरकारी नौकरी पाने वाले कश्मीरी पंडित तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के सरकारी कर्मचारियों का कश्मीर से बाहर तबादला करने से साफ इंकार के बाद कर्मचारी और सरकार आमने सामने हैं। 

कश्मीरी पंडित नहीं चाहते है कश्मीर में अब रूकना

कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मी कश्मीर में रूकने को राजी नहीं हैं। कई सेफ जोनों से निकल कर जम्मू पहुंच चुके हैं और वे अब जान पर खतरा बता जम्मू में ट्रांसफर करने की मांग को लेकर जम्मू में विरोध प्रदर्शनें में जुट गए हैं। दो दिनों से वे जम्मू में व्याप्क प्रदर्शन कर रहे हैं।

हालांकि सरकार ने कश्मीर के गांवों में तैनात पंडित टीचरों व कई अन्य कार्यालयों में तैनात कर्मियों की ट्रांसफर करनी शुरू कर दी है पर उन सभी को कश्मीर में ही स्थानांतरित किया गया है पर वे अब जम्मू में पलायन कर डेरा जमाए हुए हैं।

 टारगेट कीलिंग की घटनाओं के बीच सरकार ने लिया है बड़ा फैसला

दरअसल टारगेट कीलिंग की घटनाओं के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। कश्मीर के ग्रामीण क्षेत्रों से तैनात 177 कश्मीरी पंडित शिक्षकों तथा लेख विभाग के कई कर्मियों का ट्रांसफर कर दिया गया है। सरकार ने यह फैसला टीचरों और अन्य सरकारी कर्मचारियों के विरोध-प्रदर्शन के बाद लिया है। कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़े लोगों ने कश्मीर से जम्मू ट्रांसफर की मांग की थी, उन्होंने स्कूल जाना भी बंद कर दिया था।

प्रशासन ने कल स्पष्ट किया था कि कर्मचारियों को कश्मीर से बाहर नहीं भेजा जाएगा, बल्कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ट्रांसफर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से बाहर भेजकर सीमा पार से लिखी गई कत्ल की गाथा के हिस्सेदार नहीं बन सकते हैं। यही तो वे लोग चाहते हैं।

2008 में प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत मिली थी नौकरी

जानकारी के लिए प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत कश्मीर वादी में नौकरी पाने के बाद अधिकांश कश्मीरी पंडित कश्मीर में लौटे थे। इस पैकेज की घोषणा 2008 में की गई थी और इसके दो मुख्य बिंदु थे- 

छह हजार युवाओं को रोजगार देना और भर्ती किये गए कर्मचारियों के लिए छह हजार आवासीय इकाइयों का प्रावधान करना। 

बाकी बची दो हजार नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी है और चार हजार आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा रहा है।

टारगेट किलिंग का विरोध कर रहे है कश्मीरी पंडित

कश्मीर में टारगेट किलिंग को देखते हुए वहां काम करने वाले जम्मू संभाग के कर्मचारियों ने कल तथा पलायन कर जम्मू पहुंचने वाले कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने आज जम्मू में व्याप्क विरोध प्रदर्शन किया है। उन्होंने तवी पुल को भी जाम कर शहर का जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया था। 

अक कश्मीर नहीं जाना चाहते है कश्मीरी पंडित

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार जल्द से जल्द उनका गृह जिलों में तबादला करे। कर्मचारियों ने कहा कि जिस तरह से कश्मीर के अलग-अलग स्थानों में गैर कश्मीरियों को चुन-चुन कर मारा जा रहा है, ऐसे हालात में वे अब कश्मीर नहीं जाएंगे।

इस अवसर पर पुनन कश्मीर ने कहा है कि केंद्र सरकार कश्मीर की जमीनी हकीकत को पहचानने की कोशिश करे। यह कोई विकास से जुड़ी समस्या नहीं है। यहां पर पाकिस्तान के समर्थन से इस्लामिक जेहाद चल रहा है और उसे उसी तरीके से निपटा जाना चाहिए। 

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