जम्मू: इस बार कश्मीर की सर्दी के सबसे ठंडे दिन चिल्ले कलां के अंतिम दिन यानि कल कश्मीर के साथ-साथ जम्मू संभाग के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है। चिल्ले कलां के 40 दिन कश्मीर की सर्दी का सबसे ठंडा मौसम माना जाता है। वहीं जम्मू में भी लोहड़ी वाले महीने को भी सबसे ठंडा महीना माना जाता है।
कई दिनों के बाद धूप खिलने से मौसम हुआ राहत भरा
दरअसल पिछले चार दिनों से खिली धूप के बाद मौसम राहत भरा हो गया है। पिछले सप्ताह की हाड़ कंपा देने वाली दिन की ठंड से तो राहत मिली है लेकिन रात के समय शीतलहर का प्रकोप बना हुआ है। हालांकि पिछले कल के मुकाबले न्यूनतम तापमान में भी हल्का सुधार हुआ है।
जम्मू संभाग में मात्र बनिहाल में रात का तापमान शून्य से नीचे -0.6 डिग्री सेल्सियस रहा है। वहीं कश्मीर संभाग में अभी सभी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे लुढ़क गया है। गुलमर्ग की रात सबसे ठंडी रही और न्यूनतम तापमान -7.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। कुकुरनाग का न्यूनतम तापमान -3.3 डिग्री सेल्सियस रहा। पहलगाम का न्यूनतम तापमान -2.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
जनवरी महीने में नहीं है बारिश और बर्फबारी के आसार-मौसम विज्ञान केंद्र
पिछले सप्ताह की बारिश, बर्फबारी, कोहरे और शीतलहर के बाद तीन दिनों से लगातार खिली धूप से मौसम पिछले दिनों के मुकाबले राहत भरा हो गया है।हालांकि खिली धूप के बावजूद जम्मू संभाग में अभी भी अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे चल रहा है।
वहीं कश्मीर में न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे जबकि अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर चल रहा है। मौसम विज्ञान केंद्र, श्रीनगर से मिली जानकारी अनुसार जनवरी महीने में बारिश, बर्फबारी के आसार नहीं हैं। मौसम शुष्क रहेगा। आने वाले दिनों में अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी होगी लेकिन न्यूनतम तापमान अभी सामान्य से नीचे ही रहने की संभावना है।रविवार से आंशिक बादल रहेंगे।
क्या होता है चिल्लेकलां?
कश्मीर में 21 और 22 दिसम्बर की रात से सर्दी के मौसम की शुरूआत मानी जाती है। करीब 40 दिनों तक के मौसम को चिल्लेकलां कहा जाता है। और इस दिन हुई बर्फबारी कई सालों के बाद सही समय पर हुई है। नतीजतन कुदरत का समय चक्र सुधरा तो कश्मीरियों की परेशानियां बढ़ गई क्योंकि पिछले कई सालों से बर्फबारी के समय पर न होने के कारण वे चिल्लेकलां को ही भुला बैठे थे।
चिल्लेकलां करीब 40 दिनों तक चलता है और उसके बाद चिल्ले खुर्द और फिर चिल्ले बच्चा का मौसम आ जाता है। अभी तक चिल्लेकलां के दौरान 1986 में कश्मीर में तापमान शून्य ये 9 डिग्री नीचे गया था जब विश्व प्रसिद्ध डल झील दूसरी बार जम गई थी। वैसे चिल्लेकलां के दौरान कश्मीर के तापमान में जो गिरावट देखी गई है उसके मुताबिक तापमान शून्य से 5 व 7 डिग्री ही नीचे जाता है।
फिलहाल सर्दी से कोई राहत भी नहीं मिल पा रही है। अनुमान इस बार का यह है कि सर्दी अपना भयानक रूप दिखा सकती है। वैसे भी कुछ सालों से मौसम की पश्चिमी गड़बड़ियों के कारण कश्मीर कभी बर्फीले सुनामी के दौर से गुजरता है तो कभी बाढ़ से कश्मीरियों को सामना करना पड़ रहा है।