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Jammu Kashmir and Ladakh: बीजेपी के सामने कई संकट!, विद्रोही आठ नेताओं को अनुशासनहीनता पर नोटिस जारी किया, आखिर क्या है वजह

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: September 30, 2023 14:26 IST

Jammu Kashmir and Ladakh: प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटरों के खिलाफ चल रहे आंदोलन पर उसकी चुप्पी और समर्थन न देने की रणनीति उसके लिए भारी साबित होने वाली है।

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ठळक मुद्देबर्फीले रेगिस्तान लद्दाख के करगिल में होने जा रहे स्वायत परिषद के चुनावों में भाजपा का है।विद्रोही आठ नेताओं को अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जारी किया है। कश्मीर के पार्टी प्रभारी यूसुफ को उन खबरों के बीच अनुशासनात्मक नोटिस दिया गया था।

Jammu Kashmir and Ladakh: प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी कई परेशानियों के दौर से गुजरने को मजबूर है। अगर कश्मीर में पार्टी नेताओं के खिलाफ तेज होते विरोधी स्वर उसकी कश्मीर में जमीन खिसका रहे हैं तो पूरे प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटरों के खिलाफ चल रहे आंदोलन पर उसकी चुप्पी और समर्थन न देने की रणनीति उसके लिए भारी साबित होने वाली है।

ऐसा ही कुछ हाल बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख के करगिल में होने जा रहे स्वायत परिषद के चुनावों में भाजपा का है। दरअसल जम्मू कश्मीर में उसने अपने विद्रोही आठ नेताओं को अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जारी किया है और उनसे बिना शर्त माफी मांगने के लिए कहा है।

भाजपा ने 11 सितंबर को जम्मू कश्मीर इकाई के उपाध्यक्ष सोफी यूसुफ को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था, और उन्हें कुछ समय के लिए मीडिया से बातचीत करने से रोक दिया था। कश्मीर के पार्टी प्रभारी यूसुफ को उन खबरों के बीच अनुशासनात्मक नोटिस दिया गया था।

जिसमें कहा गया था कि कश्मीर में पार्टी के अधिकतर नेताओं ने पिछले महीने सामूहिक रूप से पार्टी से इस्तीफा देने की योजना बनाई थी। शुक्रवार को, भारतीय जनता पार्टी की अनुशासनात्मक समिति ने पार्टी के आठ नेताओं - जीएम मीर (प्रवक्ता), डा अली मोहम्मद मीर (राष्ट्रीय परिषद सदस्य), अल्ताफ ठाकुर (प्रवक्ता), आसिफ मसूदी, आरिफ राजा, अनवर खान, मंज़ूर भट और बिलाल पर्रे को नोटिस जारी किया।

नोटिस में कहा गया है, कि सोफी यूसुफ के खिलाफ अनुशासनहीनता की जांच करते समय, अनुशासन समिति के संज्ञान में यह आया कि पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के लिहाज से हानिकारक गतिविधियों में शामिल होने को लेकर आपमें से प्रत्येक के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। इस मामले में अनुशासनहीनता के सबूत हैं।

इसमें कहा गया है, आपकी इन गतिविधियों से पार्टी नेतृत्व में अविश्वास की भावना पैदा हुई है। पिछले महीने भी पहले ही जम्मू कश्मीर के नए सीट बंटवारे के बाद केंद्र सरकार पर कश्मीर के भाजपा नेताओं ने आरोप लगा कर अपना विरोध जताना आरंभ किया था और कहा था कि सरकार जान बूझकर कश्मीर की हिस्सेदारी कम करना चाहती है।

ऐसे ही कुछ आरोप फिर से लगे हैं लेकिन इस बार कश्मीर में भाजपा नेताओं ने यह आरोप लगाए हैं। इस मामले पर कश्मीरी भाजपा नेताओं ने इस्तीफे की धमकी देते हुए कहा कि पार्टी को प्रदेश संगठन में जम्मू के लोगों का दखल कम करना चाहिए। इसके बाद एक ऐक्शन भी हुआ। पार्टी ने अपने संगठन में तीन बदलाव किये।

प्रदेश के सोशल मीडिया प्रभारी अभिजीत जसरोटिया को हटा दिया गया और वीर सराफ जो दक्षिण कश्मीर में पार्टी के प्रभारी थे और मुदासिर वानी जो उत्तरी कश्मीर के प्रभारी थे दोनों को अपने जम्मू मुख्यालय में वापस बुला लिया। अब तक भाजपा प्रदेश में केवल एक बार सत्ता में रही है, वो भी पीडीपी के साथ गठबंधन में।

ऐसे समय में जबकि इस बार वह अकेले चुनाव में जाने की सोच रही थी और कश्मीरी भाजपा नेताओं द्वारा विरोध स्वर मुखर कर दिए जाने से भाजपा को प्रदेश में कितना नुक्सान उठाना होगा यह तो अब समय ही बता पाएगा। ऐसी ही दशा भाजपा की लद्दाख में होने जा रही है जहां केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में छठी अनुसूची को लागू करने की मांग के बीच 4 अक्तूबर को जब क्षेत्र की लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) के लिए मतदान होगा तो मुस्लिम बहुल करगिल जिले में भाजपा को अग्निपरीक्षा का सामना करना पड़ेगा।

लद्दाख के केवल दो जिलों - करगिल और लेह के लिए दो एलएएचडीसी परिषदें हैं। यह चुनाव महत्वपूर्ण हैं क्योंकि लद्दाख के अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यह पहली बार होगा कि करगिल परिषद में चुनाव होंगे। लद्दाख में उसकी चिंताए इसलिए बढ़ी हैं क्योंकि उसने एक माह पूर्व ही मुस्सिलम-बौद्ध प्रेम प्रसंग के चलते अपनी पार्टी के लद्दाख के प्रदेश उपाध्यक्ष नजीर अहमद को पार्टी से बाहर कर दिया था। उसके इस कदम ने लेह और करगिल में उसके वोट बैंक को चोट पहुंचाई है।

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