जम्मू: अमरनाथ यात्रा के प्रति विचारों को अब बदलना होगा। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है कि यात्रा में शामिल होने वालों का मकसद अगर धर्म की यात्रा में हिस्सा लेना है तो साथ ही वे इसमें शामिल होकर यह संदेश देना चाहते हैं कि ‘कश्मीर हमारा है।’ पिछले कई वर्षों की ही तरह इस बार भी अमरनाथ यात्रा को भाग लेने वाले धार्मिक दृष्टिकोण से कम और राष्ट्रीय एकता और अखंडता की यात्रा के रूप में ले रहे हैं।
यात्रा में शामिल हुए लोग धार्मिक नारेबाजी कम और राष्ट्रीय एकता व अखंडता को दर्शाने वाली नारेबाजी अधिक कर रहे हैं। बहुत से पड़ावस्थलों पर भारतीय तिरंगें भी लहराते हुए दिख रहे हैं जिन्हें श्रद्धालु अपने साथ लाए हैं और उन्होंने स्थान स्थान पर फहराया है।
असल में जब से कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद ने अपने पांव फैलाए हैं तभी से वार्षिक अमरनाथ यात्रा का स्वरूप बदलता गया और आज स्थिति यह है कि यह धार्मिक यात्रा के साथ साथ राष्ट्रीय एकता व अखंडता की यात्रा बन गई है जिसमें देश के विभिन्न भागों से शामिल होने वालों के दिलों में देश प्रेम की भावना तो होती ही है उनके मन मस्तिष्क पर यह भी छाया रहता है कि वे इस यात्रा को ‘कश्मीर हमारा है’ के मकसद से कर रहे हैं।
अमरनाथ यात्रा को राष्ट्रीय एकता व अखंडता की यात्रा में बदलने में पाक समर्थित आतंकवादियों द्वारा किए जाने वाले हमलों तथा लगाए जाने वाले प्रतिबंधों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है। हुआ अक्सर यही है कि पिछले कई सालों से आतंकवादियों द्वारा इस यात्रा पर किए जाने वाले हमलों व लगाए जाने वाले प्रतिबंधों ने न सिर्फ अमरनाथ यात्रा को सुर्खियों में ला खड़ा किया बल्कि देश की जनता के दिलों में कश्मीर के प्रति प्रेम को और बढ़ाया जिसे उन्होंने इस यात्रा में भाग लेकर दर्शा रहे हैं।
अब स्थिति यह है कि इस यात्रा में भाग लेने वालों को सिर्फ धार्मिक नारे ही नहीं बल्कि भारत समर्थक, कश्मीर के साथ एकजुटता दर्शाने वाले तथा पाकिस्तान विरोधी नारे भी सुनाई पड़ रहे हैं जो इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि यात्रा में भाग लेने वालों का मकसद राष्ट्रीय एकता व अखंडता को मजबूत बनाना भी है।