जम्मू: सुरक्षाबलों ने कल उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के लंगेट में लश्कर-ए-तैयबा के जिस आतंकी अबरार हसन को घायल अवस्था में जिन्दा पकड़ा है उसके प्रति चौंकाने वाली बात यह है कि वह पहले बारामुल्ला का कुख्यात पत्थरबाज हुआ करता था।
इसी तरह से पुलिस ने कल रात को शोपियां में भी लश्कर-ए-तैयबा के जिन तीन आतंकियों को हथियारों के साथ पकड़ा है, उनमें से दो हाइब्रिड आतंकी हें जो पहले पत्थरबाजी किया करते थे। दो दिन पहले ही यह खबर दी गई थी कि कश्मीर में 32 साल से जारी आतंकवाद से निपट रहे सुरक्षाधिकारियों के लिए यह सोच का विषय हो गया है कि आखिर पत्थरबाज कहां चले गए हैं।
दरअसल, एक लंबे अरसे से वे उन पत्थरबाजों को फिलहाल तलाश नहीं कर पा रहे थे जो 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के निष्प्रभावी करने के बाद से ही लगातार गायब होते जा रहे थे। अबरार की गिरफ्तारी के बाद एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, अबरार बारामुल्ला के कुख्यात पत्थरबाजों में से एक था।
वह लश्कर-ए-तैयबा के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर के तौर पर भी कार्य करता रहा था और अब उसके पकड़े जाने से उन खबरों की पुष्टि हो गई है कि अधिकतर पत्थरबाजों को आतंकी गुटों ने स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण देकर हाइब्रिड आतंकी बना डाला है। अधिकारी कहते थे कि एलओसी तथा इंटरनेशनल बार्डर से उस पार आने जाने की कोशिशें नाकाम बना दिए जाने के उपरांत आतंकी स्थानीय पत्थरबाजों को ही हाइब्रिड आतंकी बना रहे हैं।
जानकारी के लिए हाइब्रिड आतंकी स्लीपर सेल की ही तरह काम करते हैं जो मौका मिलने वाले पर सुरक्षाबलों पर हमले करने तथा हथियारों की सप्लाई इत्यादि का काम करते हैं। चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन यह भी है कि इन हाइब्रिड आतंकियों को कश्मीर में ही कई जंगलों में स्थित प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसे पकड़े जाने वाले कुछ हाइब्रिड आतंकियों ने भी स्वीकार किया है।
इसी तरह से कल रात शोपियां से पकड़े गए लश्करे तौयबा के तीन अन्य आतंकियों के प्रति भी यही कहा जा रहा है कि इनमें से दो पहले पत्थरबाजी करते थे और अब हाइब्रिड आतंकी बन कर हथियारों को इधर उधर कर रहे हैं। पकड़े गए तीन आतंकियों की पहचान इश्फाक अहमद डार, नदीम रफीक राथर तथा मुश्ताक नाजर के तौर पर की गई है।