काली बर्फ और काली बारिश को देख चुका जम्मू कश्मीर अब पीली बर्फ से भयभीत, मौसम विभाग ने पाकिस्तान से आई धूल-आंधी को जिम्मेदार बताया

By सुरेश एस डुग्गर | Published: February 11, 2023 03:39 PM2023-02-11T15:39:59+5:302023-02-11T15:41:49+5:30

वर्ष 1991 में जम्मू कश्मीर एक बार काली बर्फ और काली बारिश से जूझ चुका है। तब 15 मार्च 1991 को कश्मीर के कई हिस्सों में काली बर्फ गिरी थी। अब जम्मू कश्मीर में एक नई चिंता पीली बर्फ की है।

Jammu and Kashmir which has seen black snow and black rain is now afraid of yellow snow | काली बर्फ और काली बारिश को देख चुका जम्मू कश्मीर अब पीली बर्फ से भयभीत, मौसम विभाग ने पाकिस्तान से आई धूल-आंधी को जिम्मेदार बताया

कश्मीर में गिरी पीली बर्फ, निवासी भयभीत

Highlightsकश्मीर में 9 फरवरी 2023 को गिरी पीली बर्फजम्मू कश्मीर के निवासी भयभीत हैंमौसम विभाग ने इसके लिए सीमा पार से आने वाली वाली धूल और आंधी को जिम्मेदार बताया है

जम्मू: आतंकवाद से धीरे-धीरे मुक्ति पा रहे जम्मू कश्मीर में एक नई चिंता पीली बर्फ की है। यह सच है कि कश्मीर में दो दिन पहले पीली बर्फ ने कश्मीरियों को डरा दिया है। पहले भी जम्मू कश्मीर काली बर्फ और काली बारिश के दौर से गुजर चुका है जिस कारण प्रदेश के निवासियों का भयभीत होना स्वभाविक है।

हालांकि मौसम विभाग ने इसके लिए सीमा पार से आने वाली वाली धूल और आंधी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि जब उत्तरी कश्मीर के कुछ इलाकों में कल रात दो बजे के करीब पीली बर्फ गिरी तो उससे करीब 7 से 8 घंटे पहले पाकिस्तान के सेंट्रल और दक्षिणाी अफगानिस्तान के हिस्सों से चलने वाली धूल भरी हवाएं उत्तरी कश्मीर तक पहुंच गई थी जिसने बर्फ के साथ मिल कर पीली बर्फ का रूप धारण कर लिया था।

हालांकि कश्मीरियों को मौसम विभाग के स्पष्टीकरण पर विश्वास नहीं है। यही कारण है कि वे डरे हुए हैं और भयभीत हैं। दरअसल वर्ष 1991 में जम्मू कश्मीर एक बार काली बर्फ और काली बारिश से जूझ चुका है। तब 15 मार्च 1991 को कश्मीर के कई हिस्सों में काली बर्फ गिरी थी। लोगों ने इसे कश्मीर में फैले आतंकवाद और आतंकियों द्वारा बहाए जा रहे मासूमों के खून से जोड़ते हुए कहा था कि यह खुदा का कहर है।

ऐसा ही कुछ अनुभव जम्मू के लोगों को भी कश्मीर में काली बर्फ के गिरने के करीब 15 दिनों बाद हुआ था जब 2 अप्रैल 1991 को जम्मू के कुछ इलाकों में काली बारिश हुई थी। तब मौसम विभाग इतना सशक्त नहीं हुआ करता था और कई महीनों के बाद जाकर यह जानकारी सामने आई थी कि यह सब खाड़ी युद्ध के कारण हुआ था जहां गोला बारूद के भारी इस्तेमाल ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक वातावरण पर व्यापक प्रभाव डाला था।

इतना जरूर था कि पीलीबर्फ के गिरने के बाद कश्मीरी पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के चेयरमेन गुलाम नबी आजाद का नाम लेते हुए चटखारे ले रहे थे जिन्होंने वर्ष 2021 में एक अखबार को दिए गए अपने साक्षात्कार में कहा था कि वे तभी भाजपा में शामिल होंगें जब कश्मीर में काली बर्फ गिरेगी। एक कश्मीरी भाजपा नेता कहते थे कि आजाद साहिब अब तो पीली बर्फ भी गिर गई, भाजपा में आ जाओ।
 

Web Title: Jammu and Kashmir which has seen black snow and black rain is now afraid of yellow snow

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