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जम्मू-कश्मीर: कोरोना के सबसे ज्यादा रेड जोन श्रीनगर में, फिर भी सोमवार से आंशिक ‘दरबार मूव’ की तैयारी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: May 1, 2020 15:51 IST

जानकारी के लिए जम्मू कश्मीर में धारा 370 को हटाए जाने के बावजूद ‘दरबार मूव’ की प्रथा जारी है, जिसके तहत हर छह महीने के बाद राजधानी बदल जाती है।

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ठळक मुद्दे 4 अप्रैल के आदेश के अनुसार, चार मई से 15 जून तक सचिवालय और दरबार मूव कार्यालयों के कर्मचारी श्रीनगर व जम्मू दोनों जगह काम करते रहेंगें। दरबार मूव के लिए दोनों राजधानियों में स्थायी व्यवस्था करने पर भी अब तक अरबों रूपये खर्च हो चुके हैं।

जम्मू:जम्मू कश्मीर में कुल 105 रेड जोन हैं और इनमें सबसे ज्यादा श्रीनगर जिले में 22 हैं। इस खतरे के बावजूद जम्मू कश्मीर प्रशासन सोमवार यानि 4 मई से वार्षिक ‘दरबार मूव’ को आंशिक तौर पर खोलने का खतरा मोल लेने जा रही है। इसके लिए जम्मू में कार्यरत कश्मीर के कर्मचारियों को पहले ही श्रीनगर भेजा जा चुका है। सोमवार को श्रीनगर में नागरिक सचिवालय काम करना शुरू कर देगा।

अधिकारियों कंे मुताबिक, श्रीनगर जिले के 22 रेड जोन में सबसे ज्यादा 88 हजार लोग रहते हैं और इन इलाकों को सील किया जा चुका है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह पैदा हो रहा है कि अगर कश्मीर में आंशिक ‘दरबार मूव’ खुलता भी है तो उसमें कार्य करने वाले कर्मचारियों की कोरोना से सुरक्षा क्या फूल प्रूफ होगी।

हालांकि अभी तक जम्मू कश्मीर प्रशासन इसे मानने को राजी नहीं है कि कश्मीर में कोरोना का सामुदायिक संक्रमण आरंभ हो चुका है पर जिस तेजी से श्रीनगर, पुलवामा और बांडीपोरा में कोरोना पाजिटिवसों की संख्या बढ़ती जा रही है वह चिंताजनक हालात पैदा कर रही है।

जानकारी के लिए जम्मू कश्मीर में धारा 370 को हटाए जाने के बावजूद ‘दरबार मूव’ की प्रथा जारी है, जिसके तहत हर छह महीने के बाद राजधानी बदल जाती है। इसी परंपरा के तहत इस बार पहले यह निर्देश जारी हुआ था कि नई परंपरा के तहत दरबार मूव को स्थगित करते हुए दोनों राजधानी शहरों में अलग-अलग सचिवालय काम करते रहेंगें पर कश्मीरी नेताओं के विरोध के बाद प्रशासन ने अपने आदेश को वापस ले लिया था।

4 अप्रैल को जारी निर्देश के अनुसार, पहले इसे आंशिक तौर पर स्थगित करते हुए यह कहा गया था कि फिलहाल शीतकालीन राजधानी जम्मू में दरबार बंद नहीं होगा। 4 अप्रैल के आदेश के अनुसार, चार मई से 15 जून तक सचिवालय और दरबार मूव कार्यालयों के कर्मचारी श्रीनगर व जम्मू दोनों जगह काम करते रहेंगें। पर इसका कश्मीरियों द्वारा प्रबल विरोध किए जाने का परिणाम है कि अब इसकी तारीख को ही 15 जून तक आगे बढ़ाने के साथ ही यह निर्देश जारी किया गया कि अब पूरा दरबार मूव होगा।

यह सच है कि प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने की मुहिम के बीच सरकार ने कश्मीरी नेताओं के विरोध के आगे घुटने टेकते हुए दरबार खोलने संबंधी अपना फैसला पलट दिया। अब जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में सरकार का दरबार चार मई की जगह 15 जून से खुलेगा लेकिन श्रीनगर सचिवालय में चार मई से आंशिक रूप से कामकाज शुरू करने की जो तैयारी की गई है उस पर कोरोना और रेड जोन की दहशत बरकरार है।

जानकारी के लिए तंगहाली के दौर से गुजर रहे जम्मू कश्मीर में दरबार मूव पर सालाना खर्च  होने वाला 600 करोड़ रूपये वित्तीय मुश्किलों को बढ़ाता है। सुरक्षा खर्च मिलाकर यह 900-1200 करोड़ से अधिक हो जाता है। दरबार मूव के लिए दोनों राजधानियों में स्थायी व्यवस्था करने पर भी अब तक अरबों रूपये खर्च हो चुके हैं।

जम्मू कश्मीर में दरबार मूव की शुरूआत महाराजा रणवीर सिंह ने 1872 में बेहतर शासन के लिए की थी। कश्मीर, जम्मू से करीब 300 किमी दूरी पर था, ऐसे में यह व्यवस्था बनाई कि दरबार गर्मियों में कश्मीर व सर्दियों में जम्मू में रहेगा। 19वीं शताब्दी में दरबार को 300 किमी दूर ले जाना एक जटिल प्रक्रिया थी व यातायात के कम साधन होने के कारण इसमें काफी समय लगता था। अप्रैल महीने में जम्मू में गर्मी शुरू होते ही महाराजा का काफिला श्रीनगर के लिए निकल पड़ता था। महाराजा का दरबार अक्टूबर महीने तक कश्मीर में ही रहता था। जम्मू से कश्मीर की दूरी को देखते हुए डोगरा शासकों ने शासन को ही कश्मीर तक ले जाने की व्यवस्था को वर्ष 1947 तक बदस्तूर जारी रखा। जब 26 अक्टूबर 1947 को राज्य का देश के साथ विलय हुआ तो राज्य सरकार ने कई पुरानी व्यवस्थाएं बदल ले लेकिन दरबार मूव जारी रखा था।

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