रिहायशी इलाकों पर गोलों की बरसात और खेतों में अनफूटे बमों के बीच क्या सीमाओं पर सीजफायर 17 साल पूरे कर पाएगा?
By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 1, 2020 07:22 PM2020-09-01T19:22:51+5:302020-09-01T19:22:51+5:30
कई अपंग और कई लाचार हो जाते हैं। जो गोले फूटते नहीं हैं वे गलियों और खेतों में जिन्दा मौत बन कर रहते हैं। ऐसे में आस यह लगाने को कहा जाता है कि सीमाओं पर जारी सीजफायर अपने 17 साल पूरे कर ले।
अरनियाः क्या सच में सीजफायर ऐसा होता है? नागरिकों को निशाना बना मोर्टार तथा छोटे तोपखानों से गोलों की बरसात करना। दागे गए कई गोले फूटते हैं तो मासूमों की जानें ले ले लेतें हैं।
कई अपंग और कई लाचार हो जाते हैं। जो गोले फूटते नहीं हैं वे गलियों और खेतों में जिन्दा मौत बन कर रहते हैं। ऐसे में आस यह लगाने को कहा जाता है कि सीमाओं पर जारी सीजफायर अपने 17 साल पूरे कर ले।
एलओसी से सटे इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों ने 60 सालों तक ऐसे हालात के साथ जीना सीख लिया था पर 264 किमी लंबे इंटरनेशनल बार्डर के लोगों के लिए यह किसी अचम्भे से कम नहीं है। ‘एक तो जम्मू सीमा इटरनेशनल बार्डर है जहां इंटरनेशनल ला लागू होते हैं और दूसरा कहते हैं कि सीजफायर भी जारी है,’ हीरानगर का नरेश कहता था जो थोड़े दिन पहले हुई गोलाबारी में अपने परिवार के एक सदस्य को गंवा चुका था। नरेश कहता था: ‘अगर इसे सीजफायर कहते हैं तो हमें इसकी जरूरत नहीं है। इससे भली जंग ही है जिसमें एक बार आर-पार हो जाए ताकि हमें भी पता चल जाए कि हमें जिन्दा रहना है या मर जाना है। हम रोज-रोज तिल-तिल कर मरने से तंग आ चुके हैं।’
दरअसल सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। सीजफायर के 17 सालों के अरसे में होने वाली 12000 से अधिक उल्लंघन की घटनाएं अक्सर सीजफायर के जारी रहने पर सवालिया निशान लगा देती हैं। साथ ही सीमांत इलाकों के किसानों व अन्य नागरिकों के माथे पर चिंता की लकीरें।
198 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा और 814 किमी लंबी एलओसी से सटे इलाकों में बसने वाले 32 लाख के करीब सीमावासी दिन-रात बस एक ही दुआ करते हैं कि सीजफायर न टूटे। ‘हमने मुश्किल से अपना घर आबाद किया है और पाक सेना उसे मटियामेट करने पर उतारू है,’पल्लांवाला के डिग्वार का मुहम्मद अकरम कहता था जिसके दो बेटों को पहले ही सीमा पर होने वाली गोलीबारी लील चुकी है तथा सीजफायर से पहले उसके घर को कई बार पाक गोलाबारी नेस्तनाबूद कर चुकी है।
हालांकि नवम्बर महीने की 26 तारीख को सीजफायर 17 साल पूरे करने जा रहा है पर इसके बने रहने पर सवाल अभी भी कायम है। ऐसे हालात के लिए पूरी तरह से पाक सेना को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जो आतंकियों को इस ओर धकेलने के लिए अपनी कवरिंग फायर की नीति का इस्तेमाल एक बार फिर से करने लगी है और इस पर टिप्पणी करते हुए सेनाधिकारी कहते हैं कि अगर पाक सेना ने इस रवैये को नहीं त्यागा तो भारतीय पक्ष भी करारा जवाब देने से हिचकिचाएगा नहीं। और यही सीमावासियों के लिए चिंता की लकीरें पैदा करने वाला है जो पिछले 17 सालों के अरसे में 60 साल के गोलियों के जख्मों का दर्द भुला चुके हैं तथा अब फिर घरों से बेघर होने की स्थिति में नहीं हैं।