जम्मू कश्मीर: कोर्ट में मोदी सरकार ने कहा- कश्मीर में तेज इंटरनेट का इस्तेमाल सेना के आवागमन की निगरानी व हमले के लिए हो सकता है

By भाषा | Published: May 4, 2020 07:30 PM2020-05-04T19:30:27+5:302020-05-04T19:31:00+5:30

वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कोर्ट में केन्द्र की दलील का विरोध किया और कहा कि इलाज के लिये चिकित्सकों से संपर्क करना संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जीने के अधिकार का हिस्सा है और न्यायालय को वहां जल्द तेज इंटरनेट शुरू करने का आदेश देना चाहिए।

Jammu and Kashmir: Modi government said in court - use of fast internet in Kashmir can be used to monitor and attack the movement of the army. | जम्मू कश्मीर: कोर्ट में मोदी सरकार ने कहा- कश्मीर में तेज इंटरनेट का इस्तेमाल सेना के आवागमन की निगरानी व हमले के लिए हो सकता है

सांकेतिक तस्वीर

Highlightsसलमान खुर्शीद ने कहा कि घाटी में स्कूली बच्चों को उच्च गति की इंटरनेट सेवा के अभाव में पढ़ाई से वंचित किया जा रहा है।केन्द, जम्मू कश्मीर प्रशासन और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा।

नयी दिल्ली: केन्द्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जम्मू कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवाओं का विरोध करते हुए शीर्ष अदालत में सोमवार को कहा कि इंटरनेट की तेज गति का उपयोग सेना के आवागमन संबंधी सूचनाओं को प्रेषित करने के लिये हो सकता है। इस संबंध में शनिवार को हंदवाड़ा में आतंकवादियों के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़ में बल के दो वरिष्ठ अधिकारियों सहित पांच सदस्यों की शहादत का भी जिक्र किया गया।

शीर्ष अदालत जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवायें उपलब्ध कराने के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। न्यायालय ने कहा कि उसे याचिकाकर्ताओं और सरकार द्वारा स्वास्थ्य तथा सुरक्षा को लेकर उठाये गये प्रश्नों के बीच कानूनी बिन्दुओं पर संतुलन बनाना है।

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद और हुजेफा अहमदी ने केन्द्र की दलील का विरोध किया और कहा कि इलाज के लिये चिकित्सकों से संपर्क करना संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जीने के अधिकार का हिस्सा है और न्यायालय को देखना चाहिए कि क्या कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इससे वंचित किया जा सकता है।

दोनों वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने यह आरोप भी लगाया कि घाटी में स्कूली बच्चों को उच्च गति की इंटरनेट सेवा के अभाव में पढ़ाई से वंचित किया जा रहा है। पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करीब दो घंटे 4जी इंटरनेट सेवा की बहाली के लिये फाउन्डेशन फॉर मीडिया प्रफेशनल्स की याचिका पर केन्द, जम्मू कश्मीर प्रशासन और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा।

केन्द्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार के नीतिगत फैसले पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए क्योंकि यह प्रतिबंध सिर्फ मरीजों को नहीं, बल्कि घाटी की पूरी आबादी को बचाने के लिये लगाया गया है। वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘आतंकवादियों को देश में धकेला जा रहा है। कल ही एक दुखद घटना हो चुकी है।’’ उन्होंने कहा कि 4जी इंटरनेट सेवा का इस्तेमाल करके सेना के आवागमन के वीडियो दुश्मनों के साथ साझा किये जा सकते हैं और इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह फैसला लेते समय सुरक्षा की स्थिति पर गंभीरता से विचार किया गया था।

उन्होंने कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश मे फिक्सड लाइन इंटरनेट सेवा बहाल है और प्रशासन किसी भी तरह के आतंकी दुष्प्रचार पर निगाह रख सकते हैं। उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि न्यायालय को राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक जनहित को ध्यान में रखना चाहिए।

अटार्नी जनरल ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों की वजह से देश की संप्रभुत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है और नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप करने की बजाय इसे सरकार पर ही छोड़ देना चाहिए। जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये प्रतिबंध जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि लैंडलाइन के माध्यम से इस केन्द्र शासित प्रदेश में इंटरनेट सेवायें चल रही हैं और इनका राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिय दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है। मेहता ने कहा कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल करके उन्हें फेंका जा सकता है, ऐसी स्थिति में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के बारे में समीक्षा समिति ही कोई निर्णय करेगी। उन्होंने कहा कि शुरू में पूरी तरह लॉकडाउन था लेकिन अब धीरे-धीरे इसमें ढील दी जा रही है और संबंधित प्राधिकारी वस्तुस्थिति को ध्यान में रखते हुये ही फैसले ले रहे हैं।

एक याचिकाकर्ता की ओर से अहमदी ने इंटरनेट की रफ्तार के बारे में केन्द्र शासित प्रदेश के आदेशों का हवाला दिया और कहा कि 2जी सेवाओं से कुछ भी ठोस काम नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर केन्द्र शासित प्रदेश में कोविड महामारी के उपचार से संबंधित जानकारी प्राप्त करने में असमर्थ हैं। इस केंद्र शासित प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के 701 मामले आ चुके हैं। पीठ ने कहा कि इस बारे में कोई विवाद नहीं है कि 2जी की तुलना में 4जी की गति काफी तेज है, लेकिन यहां संतुलन कायम करना कानूनी सवाल है।

पीठ ने कहा, ‘‘यहां स्वास्थ्य की समस्या के साथ ही सुरक्षा का मुद्दा भी है और सरकार सुरक्षा का मुद्दा उठा रही है।’’ प्राधिकारियों का कहना है कि लोग लैंडलउइन ब्रॉडबैंड सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसके एक लाख से अधिक कनेक्शन हैं। अहमदी ने आरोप लगाया कि 4जी सेवायें नहीं होने की वजह से आजीविका और दवाओं के बारे में टेलीमेडिसिन जैसी सुविधा पर असर पड़ रहा है और लोग अपने परिजनों तथा मित्रों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।

एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने दलील दी कि 4जी सेवा के अभाव में स्कूली बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश के प्रशासन के हलफनामे में स्थिति की साप्ताहिक समीक्षा का जिक्र किया गया है, लेकिन इस बारे में कोई भी आदेश उपलब्ध नहीं है। 

Web Title: Jammu and Kashmir: Modi government said in court - use of fast internet in Kashmir can be used to monitor and attack the movement of the army.

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