जम्मू-कश्मीरःराजनीति का शिकार होंगे स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव

By सुरेश डुग्गर | Published: September 12, 2018 07:59 PM2018-09-12T19:59:05+5:302018-09-12T19:59:05+5:30

राज्य में गत आठ सालों से लंबित पड़े स्थानीय निकायों के चुनाव एक बार फिर टलने के आसार नजर आ रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी इन चुनावों के बहिष्कार का एलान कर चुकी हैं जबकि कांग्रेस भी चुनावों में शामिल होने को लेकर अभी असमंजस की स्थिति में है।

jammu and kashmir: local bodies and panchayat elections will be affected due to politics | जम्मू-कश्मीरःराजनीति का शिकार होंगे स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव

जम्मू-कश्मीरःराजनीति का शिकार होंगे स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव

श्रीनगर, 12 सितंबरः यह जम्मूवासियों की बदनसीबी है कि उन्हें कश्मीर केंद्रीत राजनीति का शिकार होना पड़ रहा है। यही कारण है कि जिस 35-ए के विरोध में जम्मू संभाग के लोग विरोध बुलंद किए हुए हैं, उसी को बरकरार रखने को मुद्दा बना चुनावों का बहिष्कार करने वाली नेकां तथा पीडीपी के समक्ष राज्यपाल प्रशासन झुकता नजर आ रहा है। परिणामस्वरूप अब यह तय हो गया है कि राज्य में स्थानीय निकाय तथा पंचायत चुनावों को इसलिए टाल दिया जाएगा क्योंकि कश्मीर के दोनों दल इसका बहिष्कार करने का एलान कर चुके हैं।

राज्य में गत आठ सालों से लंबित पड़े स्थानीय निकायों के चुनाव एक बार फिर टलने के आसार नजर आ रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी इन चुनावों के बहिष्कार का एलान कर चुकी हैं जबकि कांग्रेस भी चुनावों में शामिल होने को लेकर अभी असमंजस की स्थिति में है। पूरी रियासत में कहीं भी जमीनी स्तर पर इन चुनावों को लेकर कोई उत्साह या कोई सियासी गतिविधि नजर नहीं आ रही है।

संबधित सूत्रों ने बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने का अंतिम फैसला राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में होने वाली राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में ही लिया जाएगा। इस बैठक में इन चुनावों को गैर राजनीतिक आधार पर कराने के लिए सबंधित अधिनियम में संशोधन का भी प्रस्ताव मंजूर हो सकता है।

गौरतलब है कि राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव वर्ष 2010 में होने थे। लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों के चलते यह चुनाव लगातार स्थगित होते रहे। गत जुलाई माह के दौरान राज्य प्रशासन ने स्थानीय निकाय चुनाव कराने का एलान किया था।

यह चुनाव अगले माह पहली अक्टूबर से पांच अक्टूबर तक कराए जाने हैं। लेकिन राज्य के प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस ने करीब दस दिन पहले धारा 35ए के संरक्षण का मुददा उठाते हुए स्थानीय निकाय चुनावों के बहिष्कार का एलान कर दिया।

नेशनल कांफ्रेंस के इस दांव के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने भी राज्य के विशेष संवैधानिक दर्जे और पहचान का मुददा उठाते हुए कहा कि धारा 35ए के संरक्षण को केंद्र द्वारा यकीनी बनाए जाने के बाद ही वह चुनावों में हिस्सा लेंगी। धारा 35ए के अलावा नेकां और पीडीपी ने कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य का भी हवाला दिया है और कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में चुनाव नहीं कराए जाने चाहिए।

नेकां और पीडीपी के चुनाव बहिष्कार एलान के बाद प्रदेश कांग्रेस का एक वर्ग भी इन चुनावों के बहिष्कार के पक्ष में हैं,लेकन उसने अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया और सिर्फ भाजपा व उससे ज़डे राजनीतिक संगठन ही चुनावों को लेकर पूरी तरह सक्रिय नजर आ रहे हैं।

प्रशासन ने राजनीतिक दलों के चुनाव बहिष्कार के एलान को देखते हुए स्थानीय निकाय चुनाव गैैर राजनीतिक दल आधार पर कराने के विकल्प पर भी विचार करना शुरु कर दिया लेकिन प्रमुख राजनीतिक दलों के बहिष्कार के एलान के चलते सिर्फ घाटी में ही नहीं जम्मू संभाग में भी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए कोई हलचल नजर नहीं आ रही है। इसके अलावा वादी में निर्दलीय आधार पर भी चुनाव लड़ने को लेकर लोगों में कोई उत्साह न होने का संज्ञान लेते हुए राज्य प्रशासन ने इन चुनावों को कुछ समय तक स्थगित करने की विकल्प पर भी गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है।

Web Title: jammu and kashmir: local bodies and panchayat elections will be affected due to politics

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