लाइव न्यूज़ :

जम्मू-कश्मीर: बर्फबारी से कहीं आफत और परेशानी, कहीं मौजां और खुशी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: January 10, 2023 15:37 IST

खुशी का कारण सफेद चादर से लिपटी वादी की ओर बढ़ते सैलानियों के कदम थे तो बर्फ के कारण इन गर्मियों में पानी और बिजली के संकट से नहीं जूझना पड़ेगा, यह सोच भी खुशी देने वाली थी।

Open in App
ठळक मुद्देकई सालों का रिकॉर्ड तोड़ने वाली भयंकर सर्दी के दौर से गुजर रहे जम्मू कश्मीर के निवासियों के लिए बर्फबारी खुशी भी लाई है।प्रदेश में बर्फबारी के कारण पहाड़ों पर हुई बर्फबारी इन गर्मियों के खुशहाल होने का संकेत भी देती थी।हिम सुनामी की चेतावनी अभी भी दी जा रही है।

जम्मू: कश्मीर के बारामुल्ला का राशिद बर्फबारी के लिए हाथ उठाकर खुदा का शुक्रिया अदा करने से नहीं चूकता था। साथ ही वह यह भी दुआ कर रहा था कि भयानक बर्फबारी न हो और न ही हिम सुनामी तथा एवलांच हो क्योंकि प्रदेशभर में बर्फबारी से अगर कहीं मौजां और खुशी का माहौल था तो कहीं पर यह अब आफत और परेशानी का सबब भी बनने लगी थी।

कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ने वाली भयंकर सर्दी के दौर से गुजर रहे जम्मू कश्मीर के निवासियों के लिए बर्फबारी खुशी भी लाई है। खुशी का कारण सफेद चादर से लिपटी वादी की ओर बढ़ते सैलानियों के कदम थे तो बर्फ के कारण इन गर्मियों में पानी और बिजली के संकट से नहीं जूझना पड़ेगा, यह सोच भी खुशी देने वाली थी।

बर्फबारी के नजारे लेने कश्मीर की ओर सैलानियों के बढ़ते कदमों के कारण ही पिछले साल आने वाले टूरिस्टों की संख्या ने नया रिकॉर्ड कायम किया था और अब उन पर कोरोना 4.0 की कोई दहशत नहीं थी। पर राशिद के बकौल, अगर खुदा ने चाहा तो बर्फ से लदे पहाड़ों की गोद में बैठ बर्फ से खेलने में मस्त सैलानियों की भीड़ को देख उसे यह आस जगने लगी थी कि यह आंकड़ा इस बार भी कोई नया रिकॉर्ड बना डालेगा।

प्रदेश में बर्फबारी के कारण पहाड़ों पर हुई बर्फबारी इन गर्मियों के खुशहाल होने का संकेत भी देती थी। गर्मियों में पीने तथा कृषि के लिए पानी की कमी के साथ-साथ बिजली संकट से सामना नहीं होगा, बर्फबारी ने इसे सुनिश्चित जरूर कर दिया है। दरअसल प्रदेश की सभी पनबिजली परियोजनाएं बर्फबारी पर ही इसलिए निर्भर हैं क्योंकि प्रदेश के दरियाओं में पानी बर्फ के पिघलने से ही आता है।

पर यह बर्फबारी आफत और परेशानी का सबब भी बन चुकी थी। वर्ष 2018 में गुलमर्ग में हिमस्खलन के दौरान बीसियों सैनिकों की मौत की घटना के अतिरिक्त वर्ष 2005 तथा वर्ष 2008 में राज्य के कई हिस्सों में आए हिम सुनामी की याद से ही आम कश्मीरी सिंहर उठता है। हिम सुनामी की चेतावनी अभी भी दी जा रही है।

वैसे दुर्गम स्थानों में रहने वालों के लिए यह किसी सुनामी से कम नहीं है कि बर्फबारी के कारण उनकी जिन्दगी नर्क बन चुकी है क्योंकि प्रदेश के कई गांव पूरी दुनिया से कटने लगे थे। बीमारों के लिए कोई राहत नहीं है। खाने-पीने की वस्तुओं की कमी भी महसूस की जाने लगी है। हालांकि इन सबके बीच सरकारी दावे जारी थे जबकि इन दावों की सच्चाई यह थी कि प्रदेश के विभिन्न राजमार्गों और लिंक मार्गों से बर्फ हटाने का कार्य भी अभी जोर नहीं पकड़ पाया था जबकि भूस्खलन कई मार्गों में जान का खतरा पैदा करने लगा था।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरपर्यटन
Open in App

संबंधित खबरें

भारतDrung Waterfall: महीनों बाद खुला द्रुग वाटरफाल, टंगमर्ग राइडर्स की रोजी-रोटी में मदद मिली

भारतJammu-Kashmir Power Shortage: सर्दी बढ़ने के साथ कश्मीर में गहराया बिजली सकंट, करीब 500 मेगावाट बिजली की कमी से परेशान लोग

भारतJammu-Kashmir: कश्मीर के मोर्चे से खुशखबरी, आतंकी हिंसा में गिरावट पर आतंक और दहशत में नहीं

पूजा पाठVaishno Devi Temple: मां वैष्णो देवी की यात्रा में गिरावट, पिछले साल के मुकाबले श्रद्धालुओं की संख्या घटी

भारतदिल्ली लाल किला कार विस्फोटः जम्मू-कश्मीर और लखनऊ में कुल 8 जगहों पर NIA छापेमारी, ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल पर नजर, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम में एक्शन

भारत अधिक खबरें

भारत2026 विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में हलचल, मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की आधारशिला, हुमायूं कबीर ने धर्मगुरुओं के साथ मिलकर फीता काटा, वीडियो

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल

भारतHardoi Fire: हरदोई में फैक्ट्री में भीषण आग, दमकल की गाड़ियां मौके पर मौजूद

भारतबाबासाहब ने मंत्री पद छोड़ते ही तुरंत खाली किया था बंगला

भारतWest Bengal: मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी शैली की मस्जिद’ के शिलान्यास को देखते हुए हाई अलर्ट, सुरक्षा कड़ी