जम्मू-कश्मीर: सीमा पर सीजफायर ने पूरे किए 20 साल, दुश्मनी बंदूकें शांत लेकिन घुसपैठ नहीं रुकी

By सुरेश एस डुग्गर | Published: November 28, 2023 12:26 PM2023-11-28T12:26:55+5:302023-11-28T12:27:24+5:30

अगर सीजफायर न होता तो तारबंदी का कार्य न ही इतनी जल्दी संपन्न होता और न ही इतनी आसानी से,’सीमा सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था जो तारबंदी के कार्य से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ था।

Jammu and Kashmir Ceasefire on the border completed 20 years hostile guns silenced but infiltration did not stop | जम्मू-कश्मीर: सीमा पर सीजफायर ने पूरे किए 20 साल, दुश्मनी बंदूकें शांत लेकिन घुसपैठ नहीं रुकी

फाइल फोटो

श्रीनगर: लाखों लोगों की खुशी का दूत बनने वाला सीजफायर ने इस माह की 26 तारीख को 20 साल पूरे कर लिए हैं। जम्मू कश्मीर की 1202 किमी लम्बी एलओसी रेखा तथा सीमाओं पर 20 साल पहले लागू हुए इस सीजफायर ने लोगों की जिन्दगी में खुशहाली लाने के साथ ही उन्हें जिन्दगी के सही अर्थ समझा दिए हैं।

हालांकि पिछले 20 सालों से सीमाओं पर दो ‘परम्परागत’ दुश्मन सेनाओं की बंदूकें तो काफी हद तक शांत हैं मगर घुसपैठ के न रूकने से भारतीय बंदूकों को अक्सर आग उगलनी पड़ रही है।

वर्ष 2002 में भी ऐसा ही सीजफायर एलओसी पर घोषित हुआ था। मगर वह छह माह तक ही जीवित रह पाया था क्योंकि पाक सेना ने उसका बार-बार उल्लंघन करते हुए भारतीय सेना को मजबूर किया था कि वह उसके नापाक इरादों का मुहंतोड़ जवाब देने की खातिर अपनी बंदूकों और तोपों का मुहं खोले। मगर इस बार ऐसा कुछ नहीं है।

अगर कुछ है तो दोनों देशों को बांटने वाली सीमा रेखा से सटे खेतों में कार्य करते दोनों मुल्कों के किसान दिखते हैं तो विश्व के सबसे ऊंचाई वाले युद्धस्थल सियाचिन हिमखंड में ढके हुए तोपों के मुंह ही नजर आते हैं।

इस सीजफायर की जिम्मेदारी निभाने वाली सेना की उत्तरी कमान के रक्षा प्रवक्ता के शब्दों में:‘इतने सालों में पहला अवसर है की पूरे 20 साल हो गए और सीमाओं व एलओसी पर पर तोपों की गूंज नहीं सुनाई दी है।’ वे आगे कहते हैं:‘दोनों सेनाओं ने एक दूसरे पर एक भी गोली नहीं दागी है। लेकिन इतना जरूर है कि भारतीय सैनिकों को अपनी बंदूकें के मुंह उस समय जरूर खोलने पड़ रहे हैं जब उस ओर से धकेले गए घुसपैठियों को मार गिराने की कार्रवाई करनी पड़ती है।’

सच्चाई यह है कि सीमांत क्षेत्रों में खुशहाल माहौल में खुशियों से लबालब जनता को अक्सर यह खटका लगा रहता है कि कहीं आतंकियों की घुसपैठ सीजफायर पर भारी साबित न हो। ऐसी चिंता के पीछे के स्पष्ट कारण भारतीय सेना की चेतावनी है जिसमें वह चिंता प्रकट करती है कि घुसपैठ न रूकने के कारण संबंध खराब भी हो सकते हैं।

कई सालों के बाद अपने खेतों में हल चलाने वाला कुपवाड़ा का हाकीम अली कहता थाः‘खुदा ऐसी ही शांति ताउम्र दे ताकि हमारे बच्चे भी देख सकें हमारा इलाका किसी जन्नत से कम नहीं है।’ इसी प्रकार अभी तक सीमांत क्षेत्रों की जिन्दगी को नरकीय जीवन कहने वाले चिकन नेक के शाम लाल के लिए अब सीमांत गांव का जीवन सबसे अच्छा लगता है क्योंकि वह शहर के प्रदूषण और परेशानी भरे माहौल से दूर रहना चाहता है।

ऐसा भी नहीं है कि सेना को सीजफायर से खुशी न हो बल्कि सबसे अधिक सहूलियत उसे हुई है। अगर उसे अपनी मोर्चाबंदी मजबूत करने का अवसर मिला है तो उसने एलओसी के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तारबंदी के कार्य को बिजली की तेजी के साथ पूरा कर लिया है। ‘अगर सीजफायर न होता तो तारबंदी का कार्य न ही इतनी जल्दी संपन्न होता और न ही इतनी आसानी से,’सीमा सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था जो तारबंदी के कार्य से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ था।

हालांकि सीजफायर सेना के लिए चिंता का विषय भी है। उसकी चिंता पाकिस्तानी सेना की मोर्चेबंदी की तैयारियां हैं। अगर पाक सेना ने जम्मू सीमा के सामने वाले क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर सीमा से सटे इलाकों में मोर्चाबंदी करने के अतिरिक्त रक्षा बांध का निर्माण कर लिया है।

वहीं एलओसी के क्षेत्रों में वह उन स्थानों पर चौकियां स्थापित करने में कामयाब हुई है जहां वह आजादी के बाद के सालों में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई थी। वैसे भारतीय पक्ष की ओर से इन निर्माणों पर विरोध तो दर्ज करवाया है लेकिन उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ क्योंकि सीजफायर जो लागू है सीमाओं पर।

Web Title: Jammu and Kashmir Ceasefire on the border completed 20 years hostile guns silenced but infiltration did not stop

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