श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर मानवाधिकार कार्यकर्ता शेहला रशीद ने मंगलवार को घाटी में स्थिति में सुधार और लोगों की जान बचाने में मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की सराहना की है।
जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला कभी पीएम मोदी की जमकर आलोचना किया करती थीं और अब उनका ये बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है।
गौरतलब है कि शेहला राशिद उन याचिकाकर्ताओं में से एक हैं जिन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी लेकिन बाद में उन्होंने अपना नाम सूची से वापस ले लिया।
5 अगस्त, 2019 को, केंद्र ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा छीनने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय लिया।
ये हैरानी की बात है कि शेहला राशिद ने पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के कामों की सराहना की है। उन्होंने ये माना है के घाटी में धारा 370 हटने के बाद हालातों में सुधार आया है।
राशिद ने ट्वीट कर लिखा, "विशुद्ध रूप से उपयोगितावादी गणना के अनुसार, सरकार के स्पष्ट रुख ने कुल मिलाकर जीवन बचाने में मदद की है। यह मेरा दृष्टिकोण है।"
उन्होंने रईस मट्टू के वीडियो को भी दोबारा पोस्ट किया जिसमें उन्होंने भारतीय तिरंगे को लहराने की बात कही थी और यहां तक कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में विकास लाने के लिए भाजपा सरकार की प्रशंसा भी की थी।
रईस हिजबुल आतंकवादी जावेद मट्टू का भाई है जो सुरक्षा एजेंसियों की सूची में जम्मू-कश्मीर में शीर्ष लक्ष्यों में से एक है। हिजबुल का आंतकी जावेद फिलहाल पाकिस्तान में है और सोपोर में कई आतंकी गतिवाधियों को अंजाम देने में जावेद का नाम सेना की सूची में शामिल है।
जानकारी के अनुसार, आतंकी के भाई रईस मट्टू ने 14 अगस्त को अपने घर से तिरंगा लहराते हुए वीडियो साझा किया था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।
इस वीडियो को साझा करते हुए शेहला राशिद ने पोस्ट में लिखा, "इस बात को स्वीकार करना भले ही असुविधाजनक हो, लेकिन कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार हुआ है @नरेंद्र मोदी सरकार और @OfficeOfLGJandK प्रशासन। विशुद्ध रूप से उपयोगितावादी गणना के अनुसार, सरकार के स्पष्ट रुख ने कुल मिलाकर जीवन बचाने में मदद की है। यही मेरा दृष्टिकोण है।"
बता दें कि शेहला राशिद पीएम मोदी के खिलाफ बोलने के लिए पहले काफी सुर्खियों में रह चुकी हैं। उन्होंने मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर पीएम को पत्र लिखने वाली कुछ जानी-मानी हस्तियों के खिलाफ एफआईआर के बाद अक्टूबर 2019 में पीएम मोदी पर हमला बोला था।
राशिद ने कहा था कि संविधान का कोई अनुच्छेद और आईपीसी में कोई खंड, कोई राज्य कानून या सांसद का कोई अधिनियम नहीं है जिसके लिए भारत के नागरिक को प्रधानमंत्री का सम्मान करने की आवश्यकता हो।