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Jamia Protest:दो प्रदर्शनकारी गोली लगने से घायल, पुलिस जांच में गोली लगने की बात आई सामने

By अनुराग आनंद | Updated: December 17, 2019 08:40 IST

दिल्ली पुलिस ने आधिकारिक तौर पर किसी भी छात्र पर गोली चलाने की बात से  इनकार किया है, और कहा है कि वे इस मामले की जांच करेंगे।

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ठळक मुद्देअधिकारियों और रिश्तेदारों ने दोनों छात्रों की पहचान 20 वर्षीय बीए के छात्र अजाज अहमद और 23 वर्षीय बीटेक छात्र मोहम्मद सुहैब के रूप में की।दिल्ली पुलिस ने आधिकारिक तौर पर इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने "किसी भी छात्र पर गोलियां चलाईं", और कहा है कि वे इस मामले की जांच करेंगे।

दिल्ली पुलिस इस दावे की जांच करेगी कि जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा नागरिकता कानून के खिलाफ किए जा रहे आंदोलन के दौरान रविवार को दो छात्र गोली लगने से घायल हुए हैं, तो कैसे हुए हैं!  गोली लगने से ही घायल हुए हैं या फिर किसी और तरह से घायल हुए हैं। इस पर पुलिस की तरफ से विस्तृत रिपोर्ट अभी आना बाकी है। बता दें कि दोनों घायल छात्रों  का सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा है।

पुलिस सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि "प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों छात्र गोली लगने की वजह से ही घायल हुआ है।" उन्होंने आगे कहा, "इस बात की जांच की जानी चाहिए कि क्या पुलिस कर्मियों द्वारा गोलियां चलाई गईं या किसी और ने गोला चलाई है। पुलिस को  इस बात को पता लगाने के लिए बैलिस्टिक विशेषज्ञों से संपर्क कर सकती है।"

अधिकारियों और रिश्तेदारों ने दोनों छात्रों की पहचान 20 वर्षीय बीए के छात्र अजाज अहमद और 23 वर्षीय बीटेक छात्र मोहम्मद सुहैब के रूप में की।

दिल्ली पुलिस ने आधिकारिक तौर पर इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने "किसी भी छात्र पर गोलियां चलाईं", और कहा है कि वे इस मामले की जांच करेंगे।

अस्पताल के सूत्रों ने पुष्टि की कि दो छात्रों को रविवार शाम को लाया गया था। एक को सीने में और दूसरे को पैर में चोट लगी थी। दोनों ने डॉक्टरों को बताया कि उन्हें गोली लगी थी। अस्पताल के सूत्रों ने कहा कि चोटों की प्रकृति की पुष्टि के लिए और परीक्षणों की आवश्यकता है।

अहमद के रिश्तेदारों ने कहा कि वह अपनी माँ के लिए दवाइयाँ खरीद कर घर लौट रहा था जब उसने देखा कि इलाके में कारों की तोड़फोड़ की जा रही है। उसके परिवार के लोगों ने ऐसा दावा किया किया कि जब उसे सीने में गोली लगी तब वह दवाइयां लाने के लिए गया था।

दूसरे व्यक्ति, सुहैब के एक रिश्तेदार ने कहा कि उनके पैर में चोट लगी थी। लेकिन, डॉक्टरों द्वारा यह नहीं बताया गया कि क्या उन्हें गोली लगी है।

अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, दोनों छात्रों का ऑपरेशन किया गया है और दो और दिनों के लिए उन्हें अस्पताल में रहना पड़ सकता है। बता दें कि दोनों वार्डों के बाहर में पुलिस के जवान तैनात थे।

अहमद के मामले में, एक डॉक्टर जो नाम नहीं बताते हैं, उन्होंने कहा कि उसके सीने से कुछ पार्टिकल हटा दिया गया है। “वह अब बेहतर स्थिति में है। डॉक्टरों ने उसके शरीर से पार्टिकल को निकाल दिया है, लेकिन हमें नहीं पता कि यह क्या है। यह गोली  है या आंसू गैस वाले गोली टुकड़ा यह पुलिस जांच करके बता सकती है, ऐसा डॉक्टर ने कहा है।  

सुहैब होश में है। उनके पैर की अंगुली में फ्रैक्चर हुआ है, जो अभी बैंडेड है। इसके बारे में एक डॉक्टर ने कहा कि एक बार पट्टी हटाने के बाद हम चोटों की प्रकृति का आकलन करने में सक्षम होंगे।

आरोप यह भी सामने आया कि एक तीसरे व्यक्ति को बंदूक की गोली के घाव के साथ होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन अस्पताल के अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया। हालांकि, वहां के अक स्टाफ ने कहा कि  डिस्चार्ज रिपोर्ट के ’हिस्ट्री’ सेक्शन में एक मरीज के घायल होने की वजह गनशॉट का उल्लेख किया गया है, क्योंकि रोगी ने अस्पपताल को यही बताया था। 

होली फैमली अस्पताल के निदेशक फादर जॉर्ज पी ए ने कहा, “यह उनके परिवार के सदस्यों द्वारा प्रवेश के समय आरोप लगाया गया था कि यह एक बंदूक की गोला से घायल हुआ है। लेकिन यदि आप डिस्चार्ज सारांश को देखते हैं, तो उस पर लिखा है कि घायल के शरीर से एक पार्टिकल हटा दिया गया है। यह किसी गोली है या नहीं इस बात की पुष्टि नहीं करते है। ” 

संपर्क करने पर, डीसीपी (दक्षिण-पूर्व) चिन्मय बिस्वाल ने कहा, '' जामिया की घटना में गोली लगने और गोलीबारी महज एक तरह की अफवाहें हैं। अस्पताल रिपोर्ट के हवाले सवाल पूछे जाने पर बिस्वाल कहते हैं कि हमने किसी भी छात्र पर गोलियां नहीं चलाई हैं। किसी भी विदेशी शरीर जैसे धातु या प्लास्टिक से चोट लग सकती है। सफदरजंग में दो घायल भी बंदूक की गोली से घायल हुए, लेकिन अगर किसी को भी गोली लगी होगी, तो पुलिस उन्हें एम्बुलेंस से होली फैमली या फोर्टिस में ले जाएगी, जो सबसे नज़दीकी अस्पताल हैं। इसके बावजूद, अगर ऐसी बातें सामने आई है तो हम जांच कर रहे हैं कि घायलों को गोलियों से मारा गया था या नहीं। ” 

टॅग्स :जामिया मिल्लिया इस्लामियादिल्ली पुलिसनागरिकता संशोधन बिल 2019
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