जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों को पटरी पर लाने के लिये आठ सिद्धांत रेखांकित किये

By भाषा | Published: January 28, 2021 05:49 PM2021-01-28T17:49:52+5:302021-01-28T17:49:52+5:30

Jaishankar outlined eight principles to bring India-China relations back on track | जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों को पटरी पर लाने के लिये आठ सिद्धांत रेखांकित किये

जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों को पटरी पर लाने के लिये आठ सिद्धांत रेखांकित किये

नयी दिल्ली, 28 जनवरी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और चीन के संबंधों को पटरी पर लाने के लिये बृहस्पतिवार को आठ सिद्धांत रेखांकित किये जिनमें वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रबंधन पर सभी समझौतों का सख्ती से पालन, आपसी सम्मान एवं संवेदनशीलता तथा एशिया की उभरती शक्तियों के रूप में एक दूसरे की आकांक्षाओं को समझना शामिल है।

चीन अध्ययन पर 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है ।

उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन एवं सम्मान किया जाना चाहिए और यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है ।

विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर स्थिति की अनदेखी कर जीवन सामान्य रूप से चलते रहने की उम्मीद करना वास्तविकता नहीं है ।

जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के संबंध दोराहे पर हैं और इस समय चुने गए विकल्पों का न केवल दोनों देशों पर बल्कि पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा ।

पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर चीन की आलोचना करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘ वर्ष 2020 में हुई घटनाओं ने हमारे संबंधों पर वास्तव में अप्रत्याशित दबाव बढ़ा दिया है। पिछले वर्ष (पूर्वी लद्दाख में) हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। ’’

विदेश मंत्री ने कहा कि इसने (लद्दाख की घटनाओं ने) न सिर्फ सैनिकों की संख्या को कम करने की प्रतिबद्धता का अनादर किया, बल्कि शांति भंग करने की इच्छा भी प्रदर्शित की।

जयशंकर ने कहा कि हमें चीन के रुख में बदलाव और सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर अब भी कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं मिला है ।

उन्होंने कहा कि यह अलग बात है कि हमारे बलों ने काफी चुनौतीपूर्ण स्थिति में उपयुक्त जवाब दिया ।

चीन से निपटने की भारत के रूख का का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि संबंधों का विकास केवल पारस्परिकता के आधार पर हो सकता है, चाहे तत्कालिक चिंता हो या दूर की संभावना ।

अतीत से सीख लेने की बात पर बल देते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘ इससे हम उपयुक्त मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं जो दोनों देशों के हित में होगा । इसे आठ बिन्दुओं में समायोजित किया जा सकता है । ’’

द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिये आठ सूत्रीय सिद्धांत का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रबंधन पर पहले हुए समझौतों का पूरी तरह से पालन किया जाना इसमें सर्वोपरि है ।

उन्होंने कहा, ‘‘ दूसरा यह है कि जो समझौते हुए हैं, उनका पूर्णतया पालन किया जाना चाहिए । वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए । यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास पूर्णतया अस्वीकार्य है । ’’

विदेश मंत्री ने कहा कि तीसरा यह है कि सीमावर्ती इलाकों में शांति स्थापना चीन के साथ संबंधों के सम्पूर्ण विकास का आधार है और अगर इसमें कोई व्यवधान आयेगा तो नि:संदेह बाकी संबंधों पर इसका असर पड़ेगा ।

जयशंकर ने कहा कि इसमें चौथा बिन्दु यह है कि दोनों देश बहुध्रुवीय विश्व को लेकर प्रतिबद्ध हैं और इस बात को स्वीकार किया जाना चाहिए कि बहु ध्रुवीय एशिया इसका एक महत्वपूर्ण परिणाम है ।

उन्होंने कहा कि पांचवें बिन्दु के रूप में स्वाभाविक तौर पर हर देश के अपने अपने हित, चिंताएं एवं प्राथमिकताएं होंगी लेकिन संवेदनाएं एकतरफा नहीं हो सकतीं । अंतत: बड़े देशों के बीच संबंध की प्रकृति पारस्परिक होती है । ’’

उन्होंने कहा कि छठा सिद्धांत है कि उभरती हुई शक्तियां होने के नाते प्रत्येक देश की अपनी आकांक्षाएं होती हैं और इन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता।

विदेश मंत्री ने कहा कि सातवां सिद्धांत यह है कि यह समझना होगा कि मतभेद हमेशा रहेंगे लेकिन उनका प्रबंधन हमारे संबंधों के लिये जरूरी है ।

उन्होंने कहा कि अंतिम सिद्धांत के तौर पर यह समझना होगा कि भारत और चीन जैसे सभ्यता से जुड़े देशों को हमेशा दीर्घकालिक नजरिया रखना होगा ।

गतिरोध दूर करने को लेकर बातचीत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पीछे हटने को लेकर विभिन्न तंत्रों के माध्यम से चर्चा जारी है ।

चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा कि संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान एवं संवेदनशीलता तथा आपसी हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों ।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सामने मुद्दा यह है कि चीन का रुख क्या संकेत देना चाहता है, यह कैसे आगे बढ़ता है और भविष्य के संबंधों के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं । ’’

जयशंकर ने कहा कि अगर संबंधों को स्थिर और प्रगति की दिशा में लेकर जाना है तो नीतियों में पिछले तीन दशकों के दौरान मिले सबक पर ध्यान देना होगा ।

उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में संबंधों का बेहतर होना इस बात को स्पष्ट करता है कि क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता में बाधा नहीं आई और दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान किया ।

उन्होंने कहा कि इसी कारण से इस बात पर सहमति बनी कि दोनों देश साझी सीमा पर सैनिकों का जमावड़ा नहीं करेंगे ।

जयशंकर ने इस संबंध में भारत में हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल करने का मार्ग बाधित करने से लेकर परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का चीन द्वारा विरोध करने को लेकर भी चर्चा की । उन्होंने नत्थी वीजा जारी किये जाने का भी जिक्र किया।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले कई महीने से भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच गतिरोध की स्थिति है। इस मामले में कई दौर की राजनयिक और सैन्य स्तर की बातचीत हो चुकी है।

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Web Title: Jaishankar outlined eight principles to bring India-China relations back on track

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