INS विक्रांत को कमीशन करने में 20-22 साल लगे लेकिन मोदी आज इसका श्रेय भी खुद लेंगेः जयराम रमेश
By अनिल शर्मा | Published: September 2, 2022 02:12 PM2022-09-02T14:12:50+5:302022-09-02T14:38:54+5:30
जयराम रमेश ने आगे कहा, शासन में निरंतरता होती है लेकिन हमारे PM ने कभी उसको स्वीकार नहीं किया। INS विक्रांत को कमीशन करने में 20-22 साल लगे हैं। अगर आप इसका इतिहास देखेंगे तो यह 1999 से शुरू होता है...
केरल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोचीन में देश के पहले स्वदेशी युद्धपोत INS विक्रांत को भारतीय नौसेना को समर्पित कर दिया। कांग्रेस ने इसको बड़ी उपलब्धि बताया है। हालांकि इसके श्रेय को लेकर कांग्रेस ने पीएम पर निशाना भी साधा। कांग्रेस ने कहा कि INS विक्रांत को कमीशन होने में 22 साल लगे लेकिन इसका श्रेय भी खुद ही लेंगे।
कांग्रेस महासचिव प्रभारी संचार जयराम रमेश ने कहा कि यह (INS विक्रांत) एक बड़ी उपलब्धि है जिसकी शुरूआत 22 साल पहले हुई थी जिसमें वाजपेयी जी की सरकार, मनमोहन जी की सरकार और फिर मोदी जी की सरकार सबको श्रेय मिलना चाहिए लेकिन पीएम इसका श्रेय खुद लेंगे और कहेंगे कि जब मैं 2014 में आया उसके बाद इसकी शुरुआत हुई।
जयराम रमेश ने आगे कहा, शासन में निरंतरता होती है लेकिन हमारे PM ने कभी उसको स्वीकार नहीं किया। INS विक्रांत को कमीशन करने में 20-22 साल लगे हैं। अगर आप इसका इतिहास देखेंगे तो यह 1999 से शुरू होता है और कमीशन आज हुआ। लेकिन आज के प्रधानमंत्री इसका श्रेय खुद लेंगे।
आईएनएस को देश को समर्पित करते हुए पीएम ने कहा कि सेनाओं में किस तरह बदलाव आ रहा है उसका एक पक्ष मैं देश के सामने रखना चाहता हूं, विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। पीएम ने कहा- समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नए भारत की बुलंद पहचान बन रही है।
यह तैरता हुआ शहर हैः पीएम मोदी
कोचीन में पीएम ने कहा, इस तरह के एयरक्राफ्ट कैरियर सिर्फ विकसित देश ही बनाते थे। आज भारत इस लीग में शामिल होकर विकसित राज्य की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, यह युद्धपोत से ज्यादा तैरता हुआ एयरफील्ड है, यह तैरता हुआ शहर है। इसमें जतनी बिजली पैदा होती है उससे 5,000 घरों को रौशन किया जा सकता है। इसका फ्लाइंग डेक भी दो फुटबॉल फ़ील्ड से बड़ा है। इसमें जितने तार इस्तेमाल हुए हैं वह कोचीन से काशी तक पहुंच सकते हैं। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उनके साथ मौजूद रहे।