Jagannath Rath Yatra 2022: यात्रा में शामिल होने के लिए पुरी पहुंचे हैं लाखों श्रद्धालु, जानें हर साल क्यों निकाली जाती है यह भव्य रथ यात्रा

By रुस्तम राणा | Published: July 1, 2022 02:48 PM2022-07-01T14:48:26+5:302022-07-01T14:53:54+5:30

यात्रा में शामिल होने के लिए देश-दुनिया से लाखों लोग पुरी पहुंचे हैं। त्योहार पर अपेक्षित भीड़ को ध्यान में रखते हुए ओडिशा पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। 

Jagannath Rath Yatra 2022 Lakhs of people reach Puri, Odisha to participate in the Jagannath Rath Yatra | Jagannath Rath Yatra 2022: यात्रा में शामिल होने के लिए पुरी पहुंचे हैं लाखों श्रद्धालु, जानें हर साल क्यों निकाली जाती है यह भव्य रथ यात्रा

Jagannath Rath Yatra 2022: यात्रा में शामिल होने के लिए पुरी पहुंचे हैं लाखों श्रद्धालु, जानें हर साल क्यों निकाली जाती है यह भव्य रथ यात्रा

Highlightsयात्रा के लिए ओडिशा पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए कोविड के कारण दो साल बाद यात्रा में भाग लेने की अनुमति दी गई

पुरी: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए पांडी अनुष्ठान शुक्रवार को ओडिशा के पुरी में शुरू हुआ। दो साल के कोविड -19 प्रेरित पड़ाव के बाद भक्तों को इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा में भाग लेने की अनुमति दी गई है। यात्रा में शामिल होने के लिए देश-दुनिया से लाखों लोग पुरी पहुंचे हैं। त्योहार पर अपेक्षित भीड़ को ध्यान में रखते हुए ओडिशा पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। 

जगन्नाथ यात्रा में, भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के तीन रथों को उचित अनुष्ठानों के बाद भक्तों द्वारा खींचा जाता है और श्रीमंदिर के सिंह द्वार के सामने रखा जाता है। यह अनुष्ठान गुरुवार को ही किया गया था। तीन रथों को हर साल वार्षिक रथ उत्सव से पहले एक नया बनाया जाता है। 

हर साल क्यों निकाली जाती है यात्रा?

पौराणिक मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जगत के नाथ श्री जगन्नाथ पुरी का जन्मदिन होता है। उस दिन प्रभु जगन्नाथ को बड़े भाई बलराम जी और बहन सुभद्रा के साथ रत्नसिंहासन से उतार कर मंदिर के पास बने स्नान मंडप में ले जाया जाता है। 108 कलशों से उनका शाही स्नान होता है। इस स्नान से प्रभु बीमार हो जाते हैं उन्हें ज्वर आ जाता है। तब 15 दिन तक प्रभु जी को एक विशेष कक्ष में रखा जाता है। जिसे ओसर घर कहते हैं। इस 15 दिनों की अवधि में महाप्रभु को मंदिर के प्रमुख सेवकों और वैद्यों के अलावा कोई और नहीं देख सकता। 

इस दौरान मंदिर में महाप्रभु के प्रतिनिधि अलारनाथ जी की प्रतिमा स्थपित की जाती हैं तथा उनकी पूजा अर्चना की जाती है। 15 दिन बाद भगवान स्वस्थ होकर कक्ष से बाहर निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं। जिसे नव यौवन नैत्र उत्सव भी कहते हैं। इसके बाद द्वितीया के दिन महाप्रभु श्री कृष्ण और बड़े भाई बलराम जी तथा बहन सुभद्रा जी के साथ बाहर राजमार्ग पर आते हैं और रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व

धार्मिक रूप से यात्रा का बड़ा महत्व है। पुरी हिंदू धर्म के चार सबसे पवित्र धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ विराजमान हैं। मान्यता है कि जो कोई भक्त इस इनकी इस यात्रा में शामिल होता है भगवान जगन्नाथ उनके समस्त दुखों को हर लेते हैं। साथ ही उन्हें 100 यज्ञों के समान मिलने वाला पुण्य लाभ प्राप्त होता है। इतना ही नहीं, व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से भी मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

Web Title: Jagannath Rath Yatra 2022 Lakhs of people reach Puri, Odisha to participate in the Jagannath Rath Yatra

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