देश को टीकाकरण, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की रणभूमि बनने से रोकना जरूरी: पायलट

By भाषा | Published: April 22, 2021 08:44 PM2021-04-22T20:44:49+5:302021-04-22T20:44:49+5:30

It is important to stop the country from becoming a battlefield of vaccination, oxygen and remade: PILOT | देश को टीकाकरण, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की रणभूमि बनने से रोकना जरूरी: पायलट

देश को टीकाकरण, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की रणभूमि बनने से रोकना जरूरी: पायलट

जयपुर, 22 अप्रैल कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच टीके, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर के प्रबंधन को लेकर चिंता जाहिर करते हुए बृहस्‍पतिवार को कहा कि देश को इन चीजों के लिए रणभूमि बनने से रोकना है और हम सभी को इस समय जीवन बचाने पर ध्‍यान देगा होगा।

पायलट ने कोरोना टीकाकरण का खर्च केंद्र सरकार द्वारा उठाए जाने की भी मांग की है।

कांग्रेस नेता ने यहां एक बयान में कहा कि इस समय जबकि देश में हर दिन कोरोना के तीन लाख से अधिक नए मामले आने लगे हैं, सभी को प्रमुख रूप से जीवन बचाने पर ही ध्यान देना होगा। उन्‍होंने कहा कि राजनीति और चुनाव तो आते जाते रहेंगे लेकिन समय पर जनता को टीका नहीं लगा और सभी जरूरतमंद मरीजों को ऑक्सीजन और रेमडेसिविर जैसी जीवन रक्षक दवाई नहीं मिली तो भविष्य की पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।

कोरोना वायरस प्रतिरक्षण टीके की एक खुराक की चार अलग अलग कीमत तय किए जाने पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा है कि जिस टीके को भारत सरकार दो निर्माताओं से 157 रुपये की दर से खरीद रही है उसी टीके की छह करोड़ खुराक पीएम केअर फण्ड के माध्यम से एक निर्माता से 210 रुपये और एक करोड़ खुराक दूसरे निर्माता से 310 रुपये में खरीदी गई हैं जिससे जनता के मन में सवाल उठ रहे हैं।

उन्होंने कहा है कि एक ही टीके के तीन दाम तय करके भारत सरकार ने भविष्य के लिए जनता को भारी कठिनाई में डाल दिया है। "वन नेशन, वन वैक्सीन, वन रेट" आज की सबसे बड़ी जरूरत है जिससे टीके की जमाखोरी और कालाबाजारी पर नियंत्रण हो सके। उन्होंने कहा कि सभी दलों की राज्य सरकारें कोरोना के संकट से अपने संसाधनों के साथ पहले से ही जूझ रही हैं, ऐसे में टीके का खर्च केंद्र सरकार को ही वहन करना चाहिए। टीके की 6 करोड़ खुराक के निर्यात पर प्रश्न उठाते हुए पायलट ने कहा कि ये बहुत ही अफसोसजनक है कि भारतीय वैक्सीन निर्माता को विदेशी सरकारों ने भारत सरकार से पहले ही आपूर्ति आदेश दे दिए थे।

केंद्र सरकार पर ऑक्सीजन आपूर्ति के प्रबंधन में विफल रहने का आरोप लगाते हुए पायलट ने कहा कि भारत के विश्व के प्रमुख ऑक्सीजन निर्माताओं में शामिल होने के बावजूद भी सरकार अपने मजबूर मरीजों को समय पर ऑक्सीजन इसलिए नहीं दे पा रही क्योंकि एक तरफ तो कोरोना के एक साल में भारत सरकार ने 9300 टन ऑक्सीजन के निर्यात की इजाजत दे दी और दूसरी तरफ इस एक साल में ऑक्सीजन की सुगम और समय पर हर अस्पताल में आपूर्ति के लिए समुचित व्यवस्थाएं नहीं कीं। उन्होंने सुझाव दिया है कि ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए आवश्यक हो तो हवाई मार्ग का उपयोग किया जाए।

पायलट ने अनुरोध किया कि केंद्र सरकार को पारदर्शी तरीके से सभी राज्य सरकारों के साथ बात करके जनता के कष्ट को दूर करने के कदम उठाने होंगे।

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