कथित पेगासस जासूसी से संबंधित मुद्दों में राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू शामिल होगा: केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा
By भाषा | Published: August 16, 2021 07:26 PM2021-08-16T19:26:06+5:302021-08-16T19:26:06+5:30
केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कथित पेगासस जासूसी से संबंधित मुद्दों में राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलू शामिल होंगे और ऐसा लगता है कि मामले की जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं के प्रयास एक संवेदनशील मामले को ‘‘सनसनीखेज’’ बनाना है। केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि पेगासस जासूसी के आरोपों में “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं” है और वह इस मामले के सभी पहलुओं के निरीक्षण के लिये प्रमुख विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनाएगी केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि इन मुद्दों पर किसी भी चर्चा या बहस में राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू शामिल होगा। पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल हैं। पीठ ने इस बात पर चर्चा की कि क्या इस मामले में सोमवार को संक्षिप्त सीमित हलफनामा दाखिल करने वाली केंद्र सरकार को विस्तृत हलफनामा दायर करना चाहिए। न्यायालय इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस मामले में एक याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि क्या सरकार या उनकी एजेंसियों ने पेगासस का इस्तेमाल किया है और इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का कोई मुद्दा नहीं होगा। पीठ ने सिब्बल से कहा कि वह किसी को हलफनामा दाखिल करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। मेहता ने कहा कि सरकार क्षेत्र से तटस्थ प्रख्यात विशेषज्ञों को नियुक्त करेगी जो इसकी जांच करेंगे और इसे शीर्ष अदालत के समक्ष रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि सरकार इससे ज्यादा पारदर्शी और निष्पक्ष हो सकती है।’’ उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संसद में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री द्वारा दी गई प्रतिक्रिया हर पहलू से संबंधित है। सिब्बल ने दलील दी कि केंद्र को एक हलफनामा दाखिल करना चाहिए और यह बताना चाहिए क्या सरकार या उसकी एजेंसियों ने पेगासस का इस्तेमाल किया है या नहीं। उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्र के सीमित हलफनामे में उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब नहीं है।एक घंटे से अधिक की लंबी सुनवाई के दौरान, मेहता ने पीठ से कहा कि याचिकाकर्ताओं ने एक वेब पोर्टल द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों पर भरोसा किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अनुसार, एक झूठी कहानी बनाई गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। कृपया सरकार की सच्ची भावना की सराहना करें।’’ पीठ ने कहा कि वह सरकार के खिलाफ कुछ नहीं कह रही है लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें समिति नहीं जा सकती है। मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत समिति के नियम और संदर्भ निर्धारित कर सकती है। पीठ ने कहा कि वह मंगलवार को मामले में दलीलें सुनना जारी रखेगी। साथ ही पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘यदि आपके दिमाग में कोई बदलाव है, तो आप हमें कल बताएं।’’ याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि केंद्र की विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने संबंधी दलील लोगों के मन में विश्वास नहीं जगाएगी। इसके बजाय, अदालत को एक समिति नियुक्त करनाी चाहिए और उसकी निगरानी करनी चाहिए। सिब्बल ने केंद्र के हलफनामे पर भी आपत्ति जताई जिसमें कहा गया है कि मामले में दायर याचिकाएं ‘‘ अटकलों, अनुमानों” और मीडिया में आई अपुष्ट खबरों पर आधारित हैं। इससे पूर्व पीठ के समक्ष दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा कि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही कथित पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद में उसका रुख स्पष्ट कर चुके हैं। हलफनामे में कहा गया, “उपर्युक्त याचिका और संबंधित याचिकाओं के अवलोकन भर से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अटकलों, अनुमानों तथा अन्य अपुष्ट मीडिया खबरों तथा अपूर्ण या अप्रमाणिक सामग्री पर आधारित हैं।” हलफनामे में कहा गया कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिए गए किसी भी गलत विमर्श को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा। उच्चतम न्यायालय इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के अनुरोध वाली अनेक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इनमें से एक याचिका ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने भी दाखिल की है। ये याचिकाएं इजराइली फर्म एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रतिष्ठित नागरिकों, राजनीतिज्ञों और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी की रिपोर्ट से संबंधित हैं। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में थे। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्रकारों और दूसरों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया है।
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