ISRO चीफ के सिवन ने की घोषणा, अब भारत में भी प्राइवेट कंपनी बना सकती है रॉकेट और सैटेलाइट
By भाषा | Published: June 25, 2020 03:37 PM2020-06-25T15:37:26+5:302020-06-25T15:37:26+5:30
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को पिछले कई सालों से प्राइवेट कंपनियां कंपोनेंट्स और दूसरे सामान मुहैया कराती रही हैं। यूरोप के कई देश अंतरिक्ष को लेकर हो रहे अनुसंधान में पहले से ही प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी रही है।
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष के सिवन ने गुरुवार को कहा कि निजी क्षेत्र को अब रॉकेट एवं उपग्रह बनाने और प्रक्षेपण सेवाएं मुहैया कराने जैसी अंतरिक्ष गतिविधियों की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरग्रहीय मिशन का भी हिस्सा बन सकता है। कैबिनेट ने ग्रहों पर अन्वेषण के मिशन समेत अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बुधवार (24 जून) को अनुमति दी।
With this, there is an opportunity for large scale employment in the technology sector and India becoming a global technology powerhouse: ISRO Chief K Sivan https://t.co/hR6gPcjZdV
— ANI (@ANI) June 25, 2020
के सिवन ने कहा ने कहा- इसरो का काम नहीं होगा प्रभावित
इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा कि ऐसा नहीं है कि निजी क्षेत्र को रॉकेट और सैटेलाइट बनाने और प्रक्षेपण सेवाएं मुहैया कराने से इसरो का काम प्रभावित होगा। सिवन ने कहा कि इसरो की गतिविधियां कम नहीं होंगी। इसरो की तरफ से शोध और विकास के काम लगातार वैसे ही होते रहेंगे। सिवन ने कहा कि इसरो उन्नत शोध एवं विकास, अंतरग्रहीय और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों समेत अंतरिक्ष आधारित गतिविधियां जारी रखेगा।
It will act as a national nodal agency for handholding and promoting private sector in space endeavours and for this ISRO will share its technical expertise as well as facilities: ISRO Chief K Sivan https://t.co/HMUIKJgD4k
— ANI (@ANI) June 25, 2020
बुधवार (24 जून) को कैबिनेट ने अंतरिक्ष से जुड़ी सभी गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को मंजूरी दे थी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ये जानकारी देते हुए कहा थ कि इससे न केवल इस क्षेत्र में तेजी आएगी बल्कि भारतीय उद्योग विश्व की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा। इसके साथ ही प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार की संभावनाएं हैं और भारत एक ग्लोबल तकनीकी पावर हाउस बन रहा है।