कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को बचाने में क्या फ्लू की वैक्सीन भी मददगार है, जानें
By विनीत कुमार | Published: June 1, 2021 07:56 AM2021-06-01T07:56:11+5:302021-06-01T08:15:01+5:30
भारत में कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है। ऐसा कई जानकार भी मानते हैं। इन सबके बीच बच्चों को कोरोना से कैसे बचाया जाए, इस पर भी मंथन जारी है।
दिल्ली: बच्चों में कोरोना संक्रमण के संभावित खतरे को लेकर माता-पिता से लेकर मेडिकल एक्सपर्ट भी अभी चिंतित हैं। दरअसल, भारत में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर सबसे ज्यादा खतरा होने की बात भी कही जा रही है। इससे पहले बच्चे कोविड से ज्यादा प्रभावित होते नजर नहीं आए लेकिन हाल में कुछ मामलों ने बच्चों को भी संकट में डाला है।
ऐसे में बच्चों को कोविड से किस तरह बचाया जाए, इसे लेकर मंथन जारी है। वहीं, कुछ जानकार मानते हैं कि बच्चों को अगर सलाना लगने वाले फ्लू के वैक्सीन दिए जाएं तो उन्हें संभावित खतरे से बचाया जा सकता है।
फ्लू के वैक्सीन से बच्चों पर संकट होगा कम
इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (IPA) ने इस बात की अनुशंसा की है कि सलाना दिए जाने वाले फ्लू के शॉट्स पांच साल से कम उम्र से सभी बच्चों को दिए जाएं।
हाल में अमेरिका के मिशिगन और मिसूरी में बच्चों पर हुए स्टडी से इस बात के संकेत मिलते हैं जिन बच्चों को 2019-20 में फ्लू (मौसमी बीमारी, बुखार, संक्रमक जुकाम) से बचने के लिए इनफ्लूएंजा वैक्सीन दिए गए उन पर कोविड से संक्रमित होने का खतरा बेहद कम था।
फ्लू का वैक्सीन कोविड संकट से बच्चों को कैसे बचा सकता है
दरअसल SARS-CoV-2 और इनफ्लूएंजा के लिए एक जैसे ही लक्षण हैं। कोविड-19 महामारी में अतिरिक्त इंफ्लूएंजा संक्रमण इस महामारी को खतरनाक बना देता है। इसे 'ट्विनडेमिक' कहा गया है। ऐसे में बच्चों को अगर फ्लू की वैक्सीन दी गई है तो ये संभावित उच्च खतरे को रोकने में मदद कर सकता है।
साथ ही इंफ्लूएंजा से बचने के लिए अगर बच्चों को वैक्सीन दी गई है तो ये कोविड-19 संक्रमण की टेस्टिंग की जरूरत को भी कम करता है। इससे हेल्थकेयर पर भी बोझ कम होता है। महाराष्ट्र के पेडियाट्रिक टास्टफोर्स ने इसलिए ये अनुशंसा की है कि बच्चों को कोविड-19 के खतरे से बचाने में इंफ्लूएंजा रोधी वैक्सीन अहम रोल निभा सकता है।
क्या बच्चों को फ्लू और कोविड वैक्सीन दोनों लगाया जा सकता है?
यहां ये गौर करने वाली बात है कि फ्लू वैक्सीन और कोविड वैक्सीन अलग-अलग चीजें हैं। दोनों वैक्सीन में कम से कम चार हफ्ते का अंतर जरूरी है ताकि बच्चे को सभी वायरल संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबॉडी विकसित करने को पर्याप्त समय मिल सके।