9 महीने की गर्भवती नर्स हर दिन कर रही है मरीजों की सेवा, तो कोई महीनों से नहीं गया घर, नर्स डे पर पढ़ें कोरोना फाइटर्स की कहानी
By पल्लवी कुमारी | Published: May 12, 2020 08:24 AM2020-05-12T08:24:23+5:302020-05-12T08:24:23+5:30
International Nurses Day 2020: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2020 को नर्सों और मिड वाइव्ज के नाम कर दिया है। दुनियाभर के कई देशों में फैले कोरोना वायरस के कारण लगातार अपनी ड्यूटी कर रहीं नर्स और मिडवाइव्ज को देखते हुए यह साल उनके नाम किया गया है।
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day 2020) हर साल 12 मई को मनाया जाता है। दुनिया भर में फैली कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में नर्सों की भूमिका और भी अहम हो गई है। भारत में भी कई नर्स कठिन परिस्थितियों में कोरोना के खिलाफ इस जंग में शामिल हैं। कर्नाटक की रहने वाली एक गर्भवती नर्स की भी ऐसी ही कहानी है। कर्नाटक के शिमोगा जिले के गजनुरु गांव की रहने वाली नौ महीने की गर्भवती नर्स रूपा परवीन रोया हर दिन जयचामाराजेंद्र सरकारी अस्पताल में मरीजों की देखभाल करने जाती हैं। 9 महीने की प्रेगनेंसी की वजह से उन्हें कई बार छुट्टी लेने की सलाह भी दी गई है। 9 महीने की प्रेगनेंसी में महिलाओं को आराम करने की सलाह दी जाती है। रूपा परवीन की ड्यूटी कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए नहीं लगाई गई है लेकिन वह आम मरीजों की देखभाल करती है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रूपा परवीन ने बताया, जिस अस्पताल में वह काम करती हैं, कई गांवों से घिरा हुआ है, लोगों को हमारी सेवा की आवश्यकता है। मेरे सीनियर्स ने मुझे छुट्टी लेने के लिए कहा था लेकिन मैं लोगों की सेवा करना चाहती हूं। मैं दिन में छह घंटे काम करती हूं। सीएम ने मुझे बुलाया और मेरे समर्पण की सराहना की है, उन्होंने मुझे आराम करने का सुझाव भी दिया था।
The taluk hospital is surrounded by many villages, people need our service. My seniors had asked me to take leave but I want to serve people. I work six hours a day. CM called me up and appreciated my dedication, he also suggested me to rest: Roopa Parveen Rao pic.twitter.com/FICPZCCH9h
— ANI (@ANI) May 12, 2020
ऐसी ही कहानी है सर्वोपचार अस्पताल में कार्यरत नर्स सूचिता की
सर्वोपचार अस्पताल में कार्यरत नर्स सूचिता सुधाकर टेमधरे की तीन वर्ष की बेटी है। जिसका नाम इशिता है। कोरोना के कारण मा को क्वारंटाइन करने से बीते एक माह से मां-बेटी की मुलाकात नहीं हो सकी। दो बार मिलना हुआ, लेकिन दूर से ही। सूचिता कहती हैं कोरोना ने हम मां-बेटी को और मजबूत बनाया है। फिलहाल सूचिता अपने परिवार से दूर रहकर कोरोना के साथ लड़ रही हैं।
फिलहाल सूचिता अपने परिवार से दूर रहकर कोरोना के साथ लड़ रही हैं। बीते दो माह से जिले में कोरोना ने हड़कम्प मचा रखा है. इस स्थिति में मरीजों की सेवा के लिए परिचारिकाओं को तैयार रहना पड़ता है.
सर्वोपचार अस्पताल की नर्स परिवार के साथ रहने की बजाए घर से दूर छात्रावास में रह रही हैं। आमतौर पर अपनी मां के साथ रहनेवाले बच्चों को उनके बगैर रहना पड़ रहा है। बीते एक माह से वे अपने परिवार को समय नहीं दे पा रही हैं। पिछले एक माह के दौरान नर्सों का केवल एक या दो बार परिवार से मिलना हुआ है, वह भी दूर से ही।
पढ़िए सुगंधा की कहानी
सुगंधा उत्तर कर्नाटक में बेलागवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के कोविड-19 वार्ड में सेवा देती हैं। पिछले महीने उनकी बेटी का रोते हुए वीडियो वायरल हुआ था। सुगंधा की मासूम बेटी अपने पिता के साथ दुपहिये वाहन पर बैठ कर अपनी मां से मिलने अस्पताल के पास पहुंची थी। लेकिन कोविड-19 की वजह अस्पताल के प्रवेश द्वार से कुछ दूरी पर खड़ी होकर उसने अपनी मां को देखा। अपनी मां की ओर हाथ हिलाते हुए बच्ची रोती दिख रही थी। मां भी भावुक दिख रही थी। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
नर्स के समर्पण और मां तथा बच्चे के बीच दूरी ने लोगों का दिल छू लिया। इसके चलते सीएम येदियुरप्पा ने सुगंधा से फोन पर बात की। येदियुरप्पा को सुगंधा से फोन पर कहते हुए सुना गया था, आप अपनी बच्ची को देखे बिना कड़ी मेहनत कर रही हैं। मैंने इसे टीवी पर देखा। कृपया सहयोग करें। आपको भविष्य में बेहतर अवसर मिलेंगे। मैं आपके लिए देखूंगा। ईश्वर आपका भला करे।
भारत में कोरोना के 67,152 मामले, 2,206 मौत
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सोमवार सुबह आठ बजे तक पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 4,213 मामले सामने आए हैं और 97 लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 67,152 और मृतकों की संख्या 2,206 हो गई है।
लेकिन पीटीआई-भाषा द्वारा तैयार सूची के अनुसार रात नौ बजकर दस मिनट तक देश में रविवार सुबह से 6000 से अधिक नये मामले सामने अने के साथ ही इस बीमारी के सत्यापित मामले 70,480 हो गये तथा मरने वालों की संख्या 97 बढ़कर 2,206 हो गई।