सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर जताई आपत्ति, पीठ ने कहा- अनुशासन के बिना SC खो देगा अस्तित्व
By रामदीप मिश्रा | Published: February 22, 2018 01:35 PM2018-02-22T13:35:44+5:302018-02-22T13:43:24+5:30
न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने आठ फरवरी को दिए गए अन्य तीन न्यायाधीशों की पीठ के फैसले की आलोचना की।
नई दिल्ली, 22 फरवरीः सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने बुधवार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर न्यायिक अनुशासन और औचित्य को बनाए नहीं रखा गया तो यह संस्था (न्यायपालिका) अपना अस्तित्व खो देगी। एससी की यह नाराजगी भूमि अधिग्रहण पर दिए गए 8 फरवरी को खुद के फैसले पर जाहिर की गई है और इस फैसले पर रोक लगा दी है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने आठ फरवरी को दिए गए अन्य तीन न्यायाधीशों की पीठ के फैसले की आलोचना की, जिसमें पांच साल की अवधि में मुआवजा नहीं लिए जाने पर भूमि अधिग्रहण को रद्द न करने के फैसले पर सवाल खड़े किए।
खंडपीठ ने कहा कि शायद एक निष्कर्ष पर पहुंचने में न्यायिक अनुशासन के साथ छेड़छाड़ की गई है क्योंकि इस मुद्दे पर मतभेद के मामले में एक बड़ी पीठ के पास जाना चाहिए था, जैसा कि एक 2014 के फैसले में कहा गया था कि मुआवजे का भुगतान नहीं होने पर भूमि अधिग्रहण को रद किए जाने का आधार बनता है।
उन्होंने न्यायपालिका की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक प्रणाली मौजूद है, यदि आप इसके साथ छेड़छाड़ शुरू करते हैं तो यह बंद नहीं होगा। यह संस्थान हमेशा चलेगा। इसके लिए ज्ञान होना चाहिए और उचित तरीके का पालन करना पड़ेगा। हर संस्था विशेष पद्धति पर काम करती है। वहीं इस मामले में सात मार्च को सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि 8 फरवरी को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की बेंच ने आदेश दिया था कि जमीन अधिग्रहण के मामले में अगर एक बार मुआवजे की राशि को बिना शर्त भुगतान किया गया है और जमीन मालिक द्वारा इसे अस्वीकार कर दिया गया है तो भी उसे भुगतान माना जाएगा। हालांकि न्यायमूर्ति एमबी लोकुर की पीठ ने इस फैसले पर रोक लगा दी है।