ओवैसी की मुसलमानों को सलाह, मस्जिदों के ऊपर लगाएं सीसीटीवी कैमरे, जुलूस निकलने पर फेसबुक पर करें लाइव, ताकि पता चले पत्थर किसने फेंका
By रुस्तम राणा | Published: May 7, 2022 04:43 PM2022-05-07T16:43:25+5:302022-05-07T16:47:46+5:30
एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि जब भी कोई जुलूस निकले तो उसे फेसबुक पर लाइव करें, ताकि दुनिया को मालूम हो सके कि पत्थर किसने फेंका है।
हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलामनों को सलाह देते हुए कहा है कि मस्जिद के ऊपर हाई रेजोल्यूशन हाई रेजोल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भी कोई जुलूस निकले तो उसे फेसबुक पर लाइव करें, ताकि दुनिया को मालूम हो सके कि पत्थर किसने फेंका है।
इस संबंध में उन्होंने अपने एक भाषणा का वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है। जिसमें उन्होंने लिखा, मस्जिद के ऊपर हाई रेजोल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाइये और जब भी कोई जुलूस निकले तो उसे फेसबुक पर लाइव करें, ताकि दुनिया को मालूम हो सके कि पत्थर किसने फेंका। वे इस वीडियो में कहते हुए नजर आ रहे हैं कि कैमरे का कोई मजहब नहीं होता है। इससे पता चलेगा कि पत्थर कौन चलाता है।
मस्जिद के ऊपर high-resolution CCTV cameras लगाइये और जब भी कोई जुलूस निकले तो उसे Facebook पर Live करें, ताकि दुनिया को मा'लूम हो सकें कि पत्थर किसने फेंका। pic.twitter.com/K7m5gZcCCz
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 7, 2022
वहीं शनिवार ओवैसी ने न्यूज एजेंसी एनएनआई से बातचीत करने के दौरान यूपी में ज्ञानवापी मस्जिद में हो रही वीडियोग्राफी को लेकर केंद्र और यूपी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और यूपी सरकार को कोर्ट को बताना चाहिए था कि संसद ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 पारित किया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी धार्मिक स्थल, जैसा कि 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में था, उसे भंग नहीं किया जाएगा।
Govt of India & UP Govt should've told Court that Parliament passed Places of Worship (Spl Provisions) Act, 1991; it stated that no religious place, as it existed on 15th Aug 1947, will be disturbed. They should've told Court: A Owaisi on his tweet on Gyanvapi Masjid in Varanasi pic.twitter.com/tVtxsk5IXz
— ANI (@ANI) May 7, 2022
उन्होंने बीजेपी से पूछा है कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 को स्वीकार करते हैं? उन्होंने कहा कि यह भाजपा और संघ है जो इस मामले पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वे 90 के दशक में नफरत के युग को फिर से जगाने की कोशिश कर रहे हैं।