INS Vikrant: भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, 30 एयरक्राफ्ट हो सकेंगे तैनात, जानें 15 बड़ी बातें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 2, 2022 08:58 AM2022-09-02T08:58:09+5:302022-09-02T10:33:23+5:30
भारत का स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ आज नौसेना में शामिल हो गया। इसका निर्माण 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। 2009 में इसके निर्माण की शुरुआत हुई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ का जलावतरण किया, जो भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा जहाज है। कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने स्वदेशी अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से युक्त विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत कई मायनों में खास है।
INS Vikrant की खासियत, जानें 15 प्वाइंट में
1. आईएनएस विक्रांत भारत के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है। यह हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा। आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। मिग-29 के जेट विमान पहले कुछ वर्षों के लिए युद्धपोत से संचालित होंगे।
2. आईएनएस विक्रांत का सेवा में आना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है।
Tomorrow, 2nd September is a landmark day for India’s efforts to become Aatmanirbhar in the defence sector. The first indigenously designed and built aircraft carrier INS Vikrant will be commissioned. The new Naval Ensign (Nishaan) will also be unveiled.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 1, 2022
3. युद्धपोत का निर्माण, भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है।
4. विक्रांत के जलावतरण के साथ, भारत के पास सेवा में मौजूद दो विमानवाहक जहाज होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे।
5. भारतीय नौसेना के संगठन, युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (डब्ल्यूडीबी) द्वारा डिजाइन किया गया और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित स्वदेशी विमान वाहक 'आईएसी विक्रांत' का नाम उसके शानदार पूर्ववर्ती भारत के पहले विमानवाहक के ‘विक्रांत’ के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
6. स्वदेशी विमानवाहक (आईएसी) की नींव अप्रैल 2005 में औपचारिक स्टील कटिंग द्वारा रखी गई थी। विमान वाहक बनाने के लिए खास तरह के स्टील की जरूरत होती है जिसे वॉरशिप ग्रेड स्टील (डब्ल्यूजीएस) कहते हैं।
7. आईएसी के निर्माण के लिए आवश्यक वॉरशिप ग्रेड स्टील को रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) और भारतीय नौसेना के सहयोग से स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के माध्यम से सफलतापूर्वक देश में बनाया गया था।
8. इसके बाद जहाज के खोल (ढांचा निर्माण) का काम आगे बढ़ा और फरवरी 2009 में जहाज के पठाण (नौतल, कील) का निर्माण शुरू हुआ यानी युद्धपोत के निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ी। पठाण, जहाज का सबसे नीचे रहनेवाला बुनियादी अवयव है, जिसके सहारे समस्त ढांचा खड़ा किया जाता है।
#LegendisBack#IACVikrant - equipped with State-of-the-Art facilities is a 'City on the Move' @indiannavy@IN_WNC@INEasternNaval1@IN_HQSNCpic.twitter.com/3IWKJPGiEJ
— IN (@IndiannavyMedia) August 30, 2022
9. जहाज निर्माण का पहला चरण अगस्त 2013 में जहाज के सफल प्रक्षेपण के साथ पूरा हुआ।
10. आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। यह 18 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है। जहाज में लगभग 2,200 कक्ष हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग 1,600 सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें महिला अधिकारियों और नाविकों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन शामिल हैं।
11. मशीनरी संचालन, जहाज नौवहन और उत्तरजीविता के लिए बहुत उच्च स्तर के स्वचालन के साथ डिजाइन किया गया यह विमानवाहक, अत्याधुनिक उपकरणों और प्रणालियों से लैस है।
12. जहाज में नवीनतम चिकित्सा उपकरण सुविधाओं के साथ एक पूर्ण अत्याधुनिक चिकित्सा परिसर है जिसमें प्रमुख मॉड्यूलर ओटी (ऑपरेशन थिएटर), आपातकालीन मॉड्यूलर ओटी, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन, दंत चिकित्सा परिसर, आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसिन सुविधाएं आदि शामिल हैं।
13. यह स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31 और एमएच-60 आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम होगा।
14. INS विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे। इसमें 20 लड़ाकू विमान होंगे और 10 हेलीकॉप्टर होंगे। फिलहाल मिग-29के ('ब्लैक पैंथर') फाइटर जेट तैनात होंगे। बाद में डीआरडीओ और एचएएल द्वारा तैयार किया जा रहा टीईडीबीएफ यानी टूइन इंजन डेक बेस्ड फाइटर जेट भी मौजूद होगा।
15. विक्रांत की टॉप स्पीड 28 नॉट्स है और ये एक बार में 7500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है। उदाहरण के लिए ये एक बार में भारत से निकलकर ब्राजील तक पहुंच सकता है। इसका वजन 45000 टन है। इस पर 450 किमी मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात रहेगी। इसमें 2400 किमी केबल लगी है। इसके मायने हुए कि कोच्चि से दिल्ली तक केबल पहुंच सकती है।