भारतीय नौसेनाः महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 31 दिसंबर तक का वक्त दिया
By भाषा | Published: October 29, 2020 04:38 PM2020-10-29T16:38:08+5:302020-10-29T17:02:32+5:30
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि वे शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारियों को नौसेना में स्थायी कमीशन देने के समय को 31 दिसंबर तक बढ़ा रही है।
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने भारतीय नौसेना में महिला एसएससी अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के वास्ते अपना आदेश लागू करने की समय-सीमा बृहस्पतिवार को 31 दिसंबर तक बढ़ा दी।
शीर्ष अदालत ने 17 मार्च को कहा था कि महिला और पुरुष अधिकारियों के साथ एक समान बर्ताव होना चाहिए। इसके साथ ही नौसेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन का रास्ता साफ हो गया था। न्यायालय ने केंद्र को तीन महीने में इस बाबत तौर-तरीकों को पूरा करने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि वह शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारियों को नौसेना में स्थायी कमीशन देने के समय को 31 दिसंबर तक बढ़ा रही है। केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी का हवाला देकर जून में एक आवेदन दायर कर समय-सीमा को छह महीने बढ़ाने का आग्रह किया था।
चार हफ्ते में 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने के लिये भी कहा
पीठ ने केंद्र सरकार से उन पांच महिला नौसेना अधिकारियों को चार हफ्ते में 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने के लिये भी कहा जिन्हें स्थायी कमीशन देने के साथ-साथ पेंशन के लाभ देने पर विचार नहीं किया गया था। हालांकि, पेंशन का लाभ अब उन्हें दिया जा चुका है।
शीर्ष अदालत के फरवरी के फैसले के आलोक में केन्द्र सरकार ने भारतीय सेना में सभी एसएससी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शीर्ष अदालत ने 17 मार्च को एक बड़ा फैसला देते हुए भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का रास्ता साफ कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि लैंगिंक समानता को लेकर चल रहा द्वंद्व दिमाग में चल रहे टकराव के बारे में है और इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जिनमें कानून के तहत कार्यस्थल पर निष्पक्ष और समान व्यवहार के अधिकार से महिलाओं को वंचित किया गया है।