भारतीय नेवी ने चीन को दिया झटका, पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के पोत को अंडमान से लौटने पर मजबूर कियाः करमबीर सिंह
By भाषा | Published: December 3, 2019 08:34 PM2019-12-03T20:34:58+5:302019-12-03T20:36:07+5:30
नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों से कड़ाई से निपटा जाएगा। सेना के सूत्रों ने कहा कि अनुसंधान पोत शी यान एक सितम्बर में भारतीय जल क्षेत्र में घुस आया था लेकिन जासूसी में संलिप्त पाए जाने के संदेह में उसे वहां से वापस लौटने के लिए मजबूर किया गया।
नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारतीय नौसेना ने अंडमान सागर में भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में हाल में प्रवेश करने वाले चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के पोत को लौटने पर मजबूर किया।
उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियों से कड़ाई से निपटा जाएगा। सेना के सूत्रों ने कहा कि अनुसंधान पोत शी यान एक सितम्बर में भारतीय जल क्षेत्र में घुस आया था लेकिन जासूसी में संलिप्त पाए जाने के संदेह में उसे वहां से वापस लौटने के लिए मजबूर किया गया।
नौसेना प्रमुख ने घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दिए बगैर यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारा रुख रहा है कि अगर आप हमारे क्षेत्र में कुछ भी करते हैं तो आपको हमें सूचना देनी होगी या हमसे अनुमति लेनी होगी।’’ सूत्रों ने कहा कि पोत भारतीय जल क्षेत्र में कुछ अनुसंधान गतिविधियां करता पाया गया। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव पर एडमिरल सिंह ने कहा कि किसी भी समय सात से आठ चीनी पोत क्षेत्र में सामान्य तौर पर मौजूद रहते हैं।
हिंद महासागर में 2008 से चीनी नौसेना की स्थायी मौजूदगी है और ये पोत खास तौर पर समुद्री डकैती निरोधक एस्कोर्ट बल के रूप में होते हैं। नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘यह वास्तविकता है कि वे (हिंद महासागर क्षेत्र में) मौजूद हैं। समुद्री शोध पोत संचालित हो रहे हैं।
उन्हें गहरे समुद्री खनन के लिए कुछ क्षेत्र दिए गए हैं। इस इलाके में औसतन सात से आठ चीनी पोत मौजूद रहते हैं।’’ क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर भारत चिंतित है। भारत ने श्रीलंका, मालदीव, इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, म्यामां और सिंगापुर सहित क्षेत्र के देशों के साथ समुद्री सहयोग बढ़ाने का प्रयास किया है।
इसका प्राथमिक उद्देश्य चीन के बढ़ते प्रभुत्व को कम करना है। यह पूछने पर कि 41 देशों के साथ मिलान समुद्री अभ्यास में चीन को क्यों नहीं आमंत्रित किया गया तो नौसेना प्रमुख ने कहा कि केवल समान विचारधारा वाले देश इसका हिस्सा होंगे।
अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के समूह ‘क्वाड’ को चीन को रोकने के कदम के तौर पर देखे जाने के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि समूह की फिलहाल कोई सैन्य भूमिका नहीं है। भारतीय नौसेना हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थिरीकरण की भूमिका निभाएगी।