सर्दी और बर्फबारी के कारण एलओसी-एलएसी पर होती रहेगी 'फॉलन हीरोज' की घटनाएं, फिर भी भारतीय सेना नहीं खाली करेगी सीमा की चौकियां

By सुरेश एस डुग्गर | Published: November 19, 2022 01:57 PM2022-11-19T13:57:45+5:302022-11-19T14:07:32+5:30

ऐसे में एक जानकारी के मुताबिक, पाक सेना ने सीजफायर के बाद कई बार ऐसे मौखिक समझौतों को फिर से लागू करने का आग्रह भारतीय सेना से किया है पर भारतीय सेना इसके लिए कतई राजी नहीं है।

Indian Army not vacate border posts incidents Fallen Heroes continue LoC-LAC Due cold snowfall pak china | सर्दी और बर्फबारी के कारण एलओसी-एलएसी पर होती रहेगी 'फॉलन हीरोज' की घटनाएं, फिर भी भारतीय सेना नहीं खाली करेगी सीमा की चौकियां

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsसर्दी और बर्फबारी होते ही एलओसी-एलएसी पर 'फॉलन हीरोज' की घटनाएं बढ़ने लगती है।इसके बावजूद भी भारतीय सेना सीमा से सटे सीमा की चौकियों को खाली नहीं करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकिं इस मामले में न ही पाकिस्तान और न ही चीन पर भरोसा है।

जम्मू: एलओसी पर बर्फीले तूफान में सेना के तीन जवानों के 'फॉलन हीरोज' हो गए है। यह पहली बार नहीं हुई है कि इस तरह की घटना सामने आई है। ऐसे में बर्फीले तूफानों और हिमस्खलन में एलओसी व एलएसी पर सैनिकों के 'फॉलन हीरोज' की घटनाएं शायद भविष्य में भी जारी रह सकता है क्योंकि भारतीय सेना पाकिस्तान पर भरोसा करके उन सीमांत चौकिओं को सर्दियों में खाली करने का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है जिन्हें करगिल युद्ध से पहले हर साल खाली कर दिया जाता था। 

दुर्गम स्थानों पर हिमस्खलन के कारण होती है 'फॉलन हीरोज' की घटनाएं

ऐसे में अब उसे इसी प्रकार की परिस्थितियों से एलएसी पर भी चीनी सेना के कारण जूझना पड़ रहा है। पाकिस्तान से सटी एलओसी पर दुर्गम स्थानों पर हिमस्खलन के कारण होने वाली सैनिकों के 'फॉलन हीरोज' का सिलसिला कोई पुराना नहीं है बल्कि करगिल युद्ध के बाद सेना को ऐसी परिस्थितियों के दौर से गुजरना पड़ रहा है। 

करगिल युद्ध से पहले कभी कभार होने वाली इक्का दुक्का घटनाओं को कुदरत के कहर के रूप में ले लिया जाता रहा था पर अब करगिल युद्ध के बाद लगातार होने वाली ऐसी घटनाएं सेना के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही हैं।

सर्दियों के मौसम में दुर्गम चौकिओं पर जाने का एक मात्र साधन है हेलिकॉप्टर 

बर्फीले तूफानों और हिमस्खलन के कारण अधिकतर मौतें एलओसी की उन दुर्गम चौकिओं पर घटी थीं जहां सर्दियों के महीनों में वहां पहुंचने के लिए केवल हेलिकॉप्टर ही जरिया होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भयानक बर्फबारी के कारण चारों ओर सिर्फ बर्फ के पहाड़ ही नजर आते हैं और पूरी की पूरी सीमा चौकियां बर्फ के नीचे दब जाती हैं।

हालांकि ऐसी सीमा चौकिओं की गिनती अधिक नहीं हैं पर सेना ऐसी चौकिओं को करगिल युद्ध के बाद से खाली करने का जोखिम नहीं उठा रही है। दरअसल करगिल युद्ध से पहले दोनों सेनाओं के बीच मौखिक समझौतों के तहत एलओसी की ऐसी दुर्गम सीमा चौकिओं तथा बंकरों को सर्दी की आहट से पहले खाली करके फिर अप्रैल के अंत में बर्फ के पिघलने पर कब्जा जमा लिया जाता था। ऐसी कार्रवाई दोनों सेनाएं अपने अपने इलाकों में करती थीं।

इस कारण नहीं होती है खाली सीमा चौकियां

लेकिन अब ऐसा नहीं होता है। इसके पीछे का कारण स्पष्ट है। करगिल का युद्ध भी ऐसे मौखिक समझौते को तोड़ने के कारण ही हुआ था जिसमें पाक सेना ने खाली छोड़ी गई सीमा चौकिओं पर कब्जा कर लिया था। नतीजा सामने है। करगिल युद्ध के बाद ऐसी चौकिओं पर कब्जा बनाए रखना बहुत भारी पड़ रहा है। सिर्फ खर्चीली हीं नहीं बल्कि औसतन हर साल कई जवानों इस कारण 'फॉलन हीरोज' होते हैं। बताया जाता है कि पाकिस्तानी सेना भी ऐसी ही परिस्थितियों से जूझ रही है। 

सीजफायर के बाद कई बार इन सीमा चौकियों को खाली करने का आग्रह हुआ है

एक जानकारी के मुताबिक, पाक सेना ने सीजफायर के बाद कई बार ऐसे मौखिक समझौतों को फिर से लागू करने का आग्रह भारतीय सेना से किया है पर भारतीय सेना इसके लिए कतई राजी नहीं है। 

एक सेनाधिकारी के बकौल: ‘पाक सेना का इतिहास रहा है कि वह लिखित समझौतों को भी तोड़ देती आई है तो मौखिक समझौतों की क्या हालत होगी अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।’ 
अधिकारियों का कहना था कि सेना लद्दाख के मोर्चे पर चीन सीमा पर अब ऐसी ही परिस्थितियों से दो चार होने लगी है क्योंकि यह लगातार तीसरी सर्दी है कि लाल सेना पीछे हटने को राजी नहीं है।

ये हैं अभी तक हुई हिमस्खलन की कुछ प्रमुख घटनाएं:-

14 जनवरी 2020 - मच्छेल में सेना के चार जवान शहीद।
4 दिसम्बर 2019 - टंगधार में सेना के चार जवान शहीद।
30 नवंबर, 2019 - सियाचिन ग्लेशियर में भारी हिमस्खलन में सेना की पेट्रोलिंग पार्टी के दो जवान शहीद।
18 नवंबर, 2019 - सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आकर चार जवान शहीद, दो पोर्टर भी मारे गए।
10 नवंबर, 2019 - उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में हिमस्खलन की चपेट में आकर सेना के दो पोर्टरों की मौत।
31 मार्च, 2019 - उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में हिमस्खलन में दबकर मथुरा के हवलदार सत्यवीर सिंह शहीद।
3 मार्च, 2019 - करगिल के बटालिक सेक्टर में ड्यूटी के दौरान हिमस्खलन में पंजाब के नायक कुलदीप सिंह शहीद।
8 फरवरी, 2019 - जवाहर टनल पुलिस पोस्ट हिमस्खलन की चपेट में आई, 10 पुलिसकर्मी लापता, आठ बचाए गए।
5 मई 2017 - कुलगाम में सेना के तीन जवान शहीद।
2017 में ही गुरेज में चार नागरिक मारे गए तथा सोनामर्ग में सेना का एक जवान शहीद।
3 फरवरी, 2016 - हिमस्खलन से 10 जवान शहीद, बर्फ से निकाले गए लांस ना यक हनुमनथप्पा ने छह दिन बाद दम तोड़ दिया।
16 मार्च, 2012 - सियाचिन में बर्फ में दबकर छह जवान हुए शहीद।
 

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