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Indian Army: प्रतिवर्ष 150 से अधिक जवान कर रहे हैं आत्महत्या!, अग्निवीर की मौत पर नहीं थम रहा बवाल

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: October 16, 2023 17:48 IST

Indian Army: अग्निवीर अमृतपाल सिंह मनकोट सेक्टर में एक अग्रिम चौकी पर सिपाही के पद पर तैनात थे। 10 अक्तूबर की सुबह जम्मू कश्मीर में उनकी मौत हो गई।

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ठळक मुद्देजांच में सामने आया कि गोली जवान की ही सर्विस राइफल से चली थी। एक पुलिस दल ने घटनास्थल का दौरा किया।सेना ने उसकी मौत को आत्महत्या करार देकर उसे कोई सम्मान नहीं दिया था।

Indian Army: प्रदेश में पहले अग्निवीर की मौत पर मचा हुआ विवाद सेना द्वारा सफाई देने के बावजूद थम नहीं रहा है। अभी भी कई राजनीतिक दल इसके प्रति मोर्चा खोले हुए हैं। इतना जरूर था कि सेना ने उसकी मौत के प्रति जो सफाई दी है उसमें यह भी स्वीकार किया है कि प्रति वर्ष 100 से 150 सैनिक सेना में आत्महत्या कर रहे हैं जो चिंता का विषय बनता जा रहा है।

जानकारी के लिए अग्निवीर अमृतपाल सिंह मनकोट सेक्टर में एक अग्रिम चौकी पर सिपाही के पद पर तैनात थे। 10 अक्तूबर की सुबह जम्मू कश्मीर में उनकी मौत हो गई। शुरुआती जांच में सामने आया कि गोली जवान की ही सर्विस राइफल से चली थी। हालांकि, ये साफ नहीं हुआ कि सैनिक की मौत एक्सीडेंट से हई है या उन्होंने ख़ुदकुशी की।

रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि सिपाही (अग्निवीर) अमृतपाल सिंह, जो वर्तमान में पुंछ जिले के मेंढर उपमंडल के मनकोट इलाके में नियंत्रण रेखा के पास तैनात थे, घटना के समय संतरी की ड्यूटी कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उनकी मौके पर ही मौत हो गई। बाद में एक पुलिस दल ने घटनास्थल का दौरा किया।

सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले जाया गया। और यहीं से बवालल मचना आरंभ हो गया था क्योंकि सेना ने उसकी मौत को आत्महत्या करार देकर उसे कोई सम्मान नहीं दिया था।

इस पर सफाई देते हुए सेना ने कहा कि यह परिवार और भारतीय सेना के लिए एक गंभीर क्षति है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मौजूदा प्रथा के अनुरूप, चिकित्सीय-कानूनी प्रक्रियाओं के संचालन के बाद, पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए एक एस्कार्ट पार्टी के साथ सेना की व्यवस्था के तहत मूल स्थान पर ले जाया गया।

सशस्त्र बल अग्निपथ योजना के कार्यान्वयन से पहले या बाद में शामिल हुए सैनिकों के बीच लाभ के अधिकारों और प्रोटोकाल के संबंध में अंतर नहीं करते हैं। याद रहे अमृतपाल सिंह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाले अमृतपाल सिंह सेना में भर्ती होने से पहले अपने पिता के साथ किसानी में हाथ बंटाने का काम करते थे।

वह ट्रैक्टर के शौकीन थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक अमृतपाल सिंह 10 दिसंबर 2022 को भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। अमृतपाल सिंह की बहन कनाडा में रहती हैं। पिता गुरदीप सिंह का कहना है कि अमृतपाल ने अपनी भतीजी की शादी के लिए छुट्टी ली थी। कनाडा में रहने वाली बहन और अमृतपाल सिंह एक साथ घर आने वाले थे।

सेना ने एक्स पर लिखा है कि आत्महत्या अथवा स्वयं को लगी चोट के कारण होने वाली मृत्यु की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं या फिर प्रवेश के प्रकार की परवाह किए बिना सशस्त्र बलों द्वारा परिवार के साथ गहरी और स्थायी सहानुभूति के साथ-साथ उचित सम्मान दिया जाता है। हालांकि ऐसे मामले प्रचलित 1967 के मौजूदा सेना आदेश के अनुसार सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं हैं।

इस विषय पर बिना किसी भेदभाव के नीति का लगातार पालन किया जा रहा है। सेना द्वारा मुहैया करवाई गई जानकारी कहती है कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2001 के बाद से 100 से 140 सैनिकों के बीच औसत वार्षिक क्षति हुई है।

इसमें आत्महत्याए अथवा स्वयं को लगी चोटों के कारण मौतें हुई हैं और ऐसे मामलों में सैन्य अंत्येष्टि की अनुमति नहीं दी गई। अलबत्ता पात्रता के अनुसार वित्तीय सहायता या राहत के वितरण को उचित प्राथमिकता दी जाती है। इसमें अंत्येष्टि के लिए तत्काल वित्तीय राहत भी शामिल है।

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