नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को स्वदेश में विकसित ‘हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी निदर्शक यान’ (एचएसटीडीवी) के सफल प्रायोगिक उड़ान परीक्षण के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को बधाई दी और कहा कि ऐसी क्षमता बहुत कम देशों के पास ही है। मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी निदर्शक यान के आज सफल उड़ान के लिए डीआरडीओ को बधाई। हमारे वैज्ञानिकों द्वारा विकसित स्क्रैमजेट इंजन ने उड़ान को ध्वनि की गति से छह गुना अधिक रफ्तार प्रदान करने में सक्षम बनाया है। बहुत कम देशों के पास आज इस प्रकार की क्षमता है।’’
भारत ने आज एचएसटीडीवी सफल प्रायोगिक उड़ान परीक्षण किया। इसके साथ ही भारत उन देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है जिनके पास अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित करने की क्षमता है। हाइपरसोनिक प्रणोदन प्रौद्योगिकी पर आधारित एचएसटीडीवी को डीआरडीओ ने विकसित किया है जो लंबी दूरी तक मार करने वाली क्रूज मिसाइलों और हवाई रक्षा प्रणाली जैसे भविष्य के उपकरण विकसित करने में भारत की मदद करेगा। अधिकारियों के मुताबिक एचएसटीडीवी मिसाइलों को लगभग 6 मैक या ध्वनि की गति से छह गुना अधिक रफ्तार प्रदान करने में सक्षम है। अमेरिका, रूस और चीन जैसे कुछ देशों के पास ही यह प्रौद्योगिकी है।
रक्षा मंत्रालय ने दिया ये बयान
अमेरिका, रूस और चीन जैसे कुछ देशों के पास ही यह प्रौद्योगिकी है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘डीआरडीओ ने आज ओडिशा अपतटीय क्षेत्र में व्हीलर द्वीप स्थित एपीजे अबदुल कलाम प्रक्षेपण परिसर से पूर्वाह्न 11 बजकर तीन मिनट पर हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी निदर्शक यान की प्रायोगिक उड़ान के साथ हाइपरसोनिक वायु संचालित स्क्रैमजेट प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया है।’’ एचएसटीडीवी, रैमजेट इंजन के विपरीत, स्क्रैमजेट इंजन से संचालित होता है। अधिकतर मिसाइलों में रैमजेट इंजन का इस्तेमाल होता है जो 3 मैक तक की सुपरसोनिक गति पर परिचालित होता है। मंत्रालय ने कहा कि सभी प्रदर्शन मानकों ने मिशन की शानदार सफलता का संकेत दिया है। आज का यह सफल परीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि एक साल पहले किए गए ऐसे ही एक परीक्षण के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एचएसटीडीवी की सफल प्रायोगिक उड़ान पर डीआरडीओ को बधाई दी और इसे एक ‘‘महत्वपूर्ण उपलब्धि’’ करार दिया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आत्मनिर्भर भारत की प्रधानमंत्री की परिकल्पना की दिशा में इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर मैं डीआरडीओ को बधाई देता हूं। मैंने परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें इस महान उपलब्धि पर बधाई दी।’’ डीआरडीओ के एक अधिकारी ने कहा कि एचएसटीडीवी की सफल प्रायोगिक उड़ान के साथ भारत ने अत्यधिक जटिल प्रौद्योगिकी को प्राप्त करने में अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया है जो घरेलू रक्षा उद्योग के साथ भागीदारी में अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक यान निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करेगा। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि प्रक्षेपण और स्क्रैमजेट इंजन सहित क्रूज यान के मानकों पर कई निगरानी रडारों, इलेक्ट्रो-ऑप्टीकल प्रणालियों और टेलीमेट्री स्टेशनों से नजर रखी गई।
इसने कहा कि सफल परीक्षण के साथ हाइपरसोनिक कौशल के लिए वायुगतिकीय विन्यास, प्रज्वलन के लिए स्क्रैमजेट प्रणोदन के इस्तेमाल और हाइपरसोनिक गति पर सतत प्रदाह जैसी चीजें साबित हुईं तथा उनपर पुष्टि की मुहर लगी। मंत्रालय ने कहा कि हाइपरसोनिक क्रूज यान को एक प्रमाणित मोटर रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया जो इसे 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले गया जहां वायुगतिकीय ‘हीट शील्ड’ अलग हो गईं। रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘क्रूज यान प्रक्षेपण यान से अलग हो गया और योजना के अनुसार वायु ग्रहण के लिए प्रणाली खुल गई। हाइपरसोनिक प्रदाह जारी रहा और क्रूज यान ध्वनि की गति से छह गुना अधिक तेज रफ्तार से निर्धारित उड़ान पथ पर चला।’’ इसने कहा कि सभी प्रदर्शन मानकों ने प्रौद्योगिकी संपूर्णता साबित की।