नई दिल्ली: देश में अगले तीन महीनों (अप्रैल, मई और जून) में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में भारी उछाल देखा जा सकता है. जॉन्स हॉपिकंस यूनिवर्सिटी और सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक हो सकता है कि भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन उतना प्रभावी न साबित हो और आने वाले महीनों में कोरोना वायरस से संक्र मित लोगों की संख्या मार्च में सामने आए मामलों की तुलना बहुत ज्यादा हो जाए.
पढ़ें रिपोर्ट में और क्या-क्या दावा किया गया?
इन आंकड़ों पर पहुंचने के लिए जॉन्स हॉपिकंस और सीडीडीईपी ने इंडिया सिम का इस्तेमाल किया, जो भारतीय आबादी का एक मान्य एजेंट आधारित मॉडल है. न्यूनतम 12 करोड़ और अधिकतम 25 करोड़ मामले अनुमान के मुताबिक आगे आने वाले तीन महीनों में अगर हालात कुछ काबू में रहे तो कोरोना के 12 करोड़ मामले और बुरी परिस्थितियों में 25 करोड़ मामले सामने आ सकते हैं.
वहीं मध्यम स्थिति में अगर सावधानियां बरती जाती हैं, लेकिन वायरस के प्रकोप या तापमान,आर्द्रता के प्रति वायरस की संवेदनशीलता में कोई बदलाव नहीं होता है तो कुल मामलों की संख्या 18 करोड़ तक हो सकती है. इसके सबसे कम मामले तब होंगे, जब तापमान,आर्द्रता में बदलाव के साथ वायरस का प्रकोप भी घटे. करीब 25 लाख लोगों को होगी भर्ती होने की जरूरत रिपोर्ट के मुताबिक, इसके ज्यादातर मामले हल्के लक्षण वाले होंगे और सबसे बुरे हालात में कुल मामलों में से करीब 25 लाख संक्र मित लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होगी.
मध्यम स्थिति में 17-18 लाख और ठीक-ठाक हालात में 13 लाख मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूर पड़ सकती है. वेंटिलेटर की मांग 10 लाख तक होगी. वहीं भारत में वर्तमान उपलब्धता 30,000 और 50,000 वेंटिलेटर के बीच अनुमानत: है.