सिंगल यूज प्लास्टिक पर केंद्र सरकार ने 1 जुलाई से लगाया बैन, जानिए क्यों लगा प्रतिबंध
By मनाली रस्तोगी | Published: June 28, 2022 02:11 PM2022-06-28T14:11:11+5:302022-06-28T14:12:40+5:30
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक बैन का ऐलान किया है। मंत्रालय द्वारा पूरे देश में पहचान किए गए एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाएगा है।
नई दिल्ली:भारत सरकार ने 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक बैन की घोषणा की है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 2021 में प्लास्टिक प्रतिबंध की घोषणा करते हुए एक राजपत्रित अधिसूचना जारी की गई थी और अब मंत्रालय ने उन वस्तुओं की एक सूची को परिभाषित किया है जिन्हें 1 जुलाई 2022 से प्रतिबंधित किया जाएगा।
India will ban the manufacture, import, stocking, distribution, sale, and use of identified single-use plastic items, which have low utility and high littering potential, all across the country from July 1: Ministry of Environment, Forest and Climate Change
— ANI (@ANI) June 28, 2022
केंद्रीय मंत्रालय द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक बैन की अधिसूचना के अनुसार, पॉलीस्टाइनिन और एक्सटेंडेड पॉलीस्टाइनिन सहित निम्नलिखित सिंगल-यूज प्लास्टिक का निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग, वस्तुओं को 1 जुलाई 2022 से प्रतिबंधित किया जाएगा। चूंकि सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंध अगले महीने लागू होगा, ऐसे में ये जानना जरूरी है कि भारत सरकार ने प्रतिबंध की घोषणा क्यों की है और यह जलवायु परिवर्तन को कैसे प्रभावित करेगा।
सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है?
सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब उन प्लास्टिक वस्तुओं से है जो एक बार इस्तेमाल करने के बाद त्याग दी जाती हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक में निर्मित और उपयोग किए गए प्लास्टिक के उच्चतम शेयरों में से एक है- वस्तुओं की पैकेजिंग से लेकर बोतलों, फेस मास्क, पॉलिथीन बैग, क्लिंग फिल्म, कॉफी कप, फूड पैकेजिंग और कचरा बैग आदि तक।
2021 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में उत्पादित सभी प्लास्टिक का एक तिहाई एकल उपयोग प्लास्टिक है, जिसमें 98 फीसदी जीवाश्म ईंधन से निर्मित है। सिंगल यूज प्लास्टिक 2019 में वैश्विक स्तर पर फेंके गए प्लास्टिक के बहुमत-130 मिलियन मीट्रिक टन के लिए भी जिम्मेदार है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत एकल उपयोग वाले प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन के शीर्ष 100 देशों में 94वें स्थान पर है (शीर्ष तीन हैं- सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और ओमान)।
सिंगल यूज प्लास्टिक बैन आइटम लिस्ट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने जिन वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, वे ईयरबड, कैंडी और आइसक्रीम की छड़ें, गुब्बारे की छड़ें, प्लेट, गिलास, कप, चम्मच, ट्रे, चाकू सहित कटलरी आइटम, मीठे बक्से, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट पैक, 100 माइक्रोन से कम के पीवीसी बैनर और सजावट के लिए पॉलीस्टाइनिन हैं।
सितंबर 2021 में मंत्रालय ने पहले के 50 माइक्रोन से सीमा का विस्तार करते हुए 75 माइक्रोन के तहत पॉलीथीन बैग पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था। प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के अनुसार, गुटखा, तंबाकू और पान मसाला के भंडारण, पैकिंग या बिक्री के लिए प्लास्टिक सामग्री का उपयोग करने वाले पाउच पर भी पूर्ण प्रतिबंध है।
सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक बैन की घोषणा क्यों की है?
मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, प्रतिबंध के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के पहले सेट का चुनाव संग्रह की कठिनाई और इसलिए पुनर्चक्रण पर आधारित था। मंत्रालय के अधिकारी ने आगे बताया कि दुश्मन यह नहीं है कि प्लास्टिक अपने आप में मौजूद है, बल्कि यह है कि प्लास्टिक पर्यावरण में मौजूद है। जब प्लास्टिक लंबे समय तक पर्यावरण में रहता है और सड़ता नहीं है, तो यह माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाता है- पहले हमारे खाद्य स्रोतों और फिर मानव शरीर में प्रवेश करता है और यह बेहद हानिकारक है। विशेष वस्तुओं को प्रतिबंधित करने के लिए चुना गया है क्योंकि उन्हें इकट्ठा करना मुश्किल है, खासकर जब से अधिकांश या तो छोटे होते हैं, या सीधे पर्यावरण में फेंक दिए जाते हैं जैसे कि आइसक्रीम स्टिक।
सिंगल यूज प्लास्टिक बैन कैसे लागू होगा?
सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंध की निगरानी केंद्र से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) द्वारा की जाएगी जो नियमित रूप से केंद्र सरकार को रिपोर्ट करेंगे। प्रतिबंधित वस्तुओं में लगे उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति नहीं करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंध पर नजर रखने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत दंडित किया जा सकता है। ऐसे में अपराधी पाए जाने पर 5 साल तक की कैद की सजा या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।