जहां कर्नल संतोष बाबू ने उखाड़े थे चीन के तंबू, वहां फिर तेवर दिखा रहा ड्रैगन, एलएसी पर बढ़ाई तैनाती
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 26, 2020 07:01 AM2020-06-26T07:01:18+5:302020-06-26T07:01:18+5:30
पूर्वी लद्दाख के कुछ नए हिस्सों में चीन की ओर से लामबंदी की जा रही है. इससे यह संकेत मिलता है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और देपसांग सेक्टरों में नया मोर्चा खोल सकती है.
नई दिल्लीः लद्दाख में गलवान घाटी के पास भारत और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं. 15 जून की घटना के बाद दोनों देशों की सेनाएं भले ही लगातार बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन चीन के तेवर नरम नहीं पड़े हैं. ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से स्पष्ट है कि चीन की सेनाएं पीछे नहीं हटी हैं बल्कि और मजबूती के साथ अपनी मौजूदगी बढ़ा रही हैं.
सूत्रों के अनुसार यह वही इलाका है, जहां पर 15 जून को कर्नल संतोष बाबू की अगुवाई में भारतीय सेना चीन के साथ भिड़ी थीं, वहां पर अब चीन ने अपनी उपस्थिति बढ़ा ली है. ग्राउंड जीरो की सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि 15 जून के बाद 22 जून को अब दोनों सेनाओं की ओर से नए टेंट लगाए गए हैं. 22 जून को ही सेनाओं के कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी. उस दिन ली गई तस्वीरों से पेट्रोल प्वॉइंट 14 के पास चीनी सेना का नया फॉरवर्ड बिल्ड-अप दिखता है. सैटेलाइट तस्वीर में इस प्वॉइंट के पीछे चीनी पक्ष की ओर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य दिख रहा है.
वादा खिलाफी ड्रैगन की आदत
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि सैटेलाइट तस्वीर के अनुसार जो समझ आता है, उससे लगता है कि चीन वादे के मुताबिक पीछे नहीं हटा है. यहां पर चीनी तंबुओं और स्टोरेज की क्षमता बढ़ गई है, जो चिंता की बात है. दूसरी ओर ऐसी स्थिति में भारत ने भी अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है. हालांकि, अभी भी दोनों देशों में बात जारी है लेकिन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारतीय सेना तैयार है.
देपसांग में नया मोर्चा खोलने की तैयारी में चीन
पूर्वी लद्दाख के कुछ नए हिस्सों में चीन की ओर से लामबंदी की जा रही है. इससे यह संकेत मिलता है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और देपसांग सेक्टरों में नया मोर्चा खोल सकती है. आंकड़ों से इस बात की पुष्टि हुई है कि पूर्वी दौलत बेग ओल्डी में चीनी लामबंदी की जा रही है. जून महीने में चीनी बेस के पास कैंप और वाहन देखे गए हैं. चीन की ओर से ये बेस 2016 से पहले ही बनाए गए थे, लेकिन इस महीने सैटेलाइट तस्वीरों पता चला है कि यहां पर नए शिविरों और वाहनों के लिए ट्रैक बनाए गए हैं.
काराकोरम के पास के इलाकों पर कब्जे की साजिश
चीन इस इलाके में पेट्रोलिंग प्वाइंट 10 से 13 के बीच भारतीय सेना के लिए मुश्किल खड़ी करना चाहता है. वह काराकोरम दर्रे के पास के इलाकों में कब्जा करना चाहता है, ताकि उसे पाकिस्तान जाने वाले हाईवे के लिए रास्ता मिल जाए. भारत ने इस प्रोजेक्ट के निर्माण को रोक दिया था.
नई सैटेलाइट इमेज में क्या है?
यह हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीर में गलवान घाटी के पेट्रोल प्वाइंट-14 की है. 22 मई को ली गई एक इमेज में गलवान घाटी में एलएसी के नजदीक सिर्फ एक टेंट नजर आ रहा है. लेकिन इसके बाद ली गई दूसरी इमेज में एलएसी के पास चीनी सेना की मौजूदगी और उसके निर्माण साफतौर पर नजर आए. एक महीने बाद 22 जून को इसी तरह की सैटेलाइट तस्वीर में इसी क्षेत्र में बड़ी संख्या में चीन के निर्माण और टेंट नजर आ रहे हैं.