भारत-चीन सीमा विवादः चीन ने किया बर्बरता, भारतीय सैनिकों को अगवा कर कांटेदार तार वाले डंडों से मारा, डेढ़ सौ घायलों में से 30 की हालत गंभीर
By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 17, 2020 03:21 PM2020-06-17T15:21:50+5:302020-06-17T15:21:50+5:30
निहत्थे और लाल सेना के कुत्सित इरादों से अनजान 20 से अधिक भारतीय जवान अभी तक शहादत पा चुके हैं जबकि अभी भी 150 से अधिक घायलों में से 30 के करीब जिन्दगी और मौत के बीच की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं।
जम्मूः पूरे 21 सालों के उपरांत दुश्मन देश चीन ने भारतीयों को करगिल युद्ध के उस नायक पर की गई बर्बरता की याद दिला दी है जिसे पाकिसतानी सेना ने करगिल युद्ध से पहले भयानक यातनाएं देकर मार डाला था।
ऐसा ही अब चीनी सेना ने सोमवार को उन भारतीय सैनिकों के साथ किया, जिन पर उसने आरोप लगाया था कि वे एलएसी को पार कर चीनी इलाके मे घुसे थे। निहत्थे और लाल सेना के कुत्सित इरादों से अनजान 20 से अधिक भारतीय जवान अभी तक शहादत पा चुके हैं जबकि अभी भी 150 से अधिक घायलों में से 30 के करीब जिन्दगी और मौत के बीच की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं।
रक्षा सूत्रों के बकौल, सारा प्रकरण सोमवार दोपहर के बाद आरंभ हुआ जब भारतीय सैनिक ऊपर से मिले निर्देशों के बाद पेट्रोल प्वाइंट 14 के पास चीनी सेना द्वारा ताजा गाड़े गए एक टेंट को हटवाने के लिए गए थे। पर लाल सेना ने पहले ही षडयंत्र बुन रखा था। उसने भारतीय सैनिकों की आपत्ति के तुरंत बाद टेंट को आग लगा दी और फिर उन पर हमला कर दिया।
लकड़ी तथा लोहे डंडों पर पत्थर तथा कांटेदार तारें बांध कर हथियारों को तैयार किया गया था
नतीजतन भारतीय जवानों का नेतृत्व कर रहे 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग आफिसर कर्नल बी संतोष बाबू समेत तीन जवान शहादत पा गए। भारतीय सैनिकों पर चीन ने जिन हथियारों से हमला किया वे भयावह कहे जा सकते हैं। लकड़ी तथा लोहे डंडों पर पत्थर तथा कांटेदार तारें बांध कर हथियारों को तैयार किया गया था।
इस हमले के तुरंत बाद और भारतीय सैनिक भी घटनास्थल की ओर रवाना हुए थे। सूत्र कहते थे कि करीब 200 भारतीय सैनिकों ने मामला सुलझाने की कोशिश की पर नाकाम रही क्योंकि संख्या में 900 से अधिक चीनी सैनिकों ने उनमें से कईयों को बंधक बना लिया। और बाद में उनकी एक एक कर पिटाई कर मार डाला।
हालांकि बंधक बनाए जाने की कहानी पर भारतीय सेना चुप्पी साधे हुए है पर वह इसे जरूर मानती थी की चीनी सेना ने भारतीय जवानों को बेरहमी से मारा था जिसने 1999 में करगिल युद्ध से पहले कैप्टन सौरभ कालिया और उनके 5 साथियों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई बर्बरता की भी सभी हदें पार कर दी थीं।
शहीद तथा गंभीर रूप से जख्मी होने वाले भारतीय जवानों में से कईयों के शवों को ऊंची पहाड़ी से नीचे फैंका गया, कईयों को गलवान नदी के माइन्स 30 डिग्री वाले पानी में गाड़ दिया गया था और कईयों पर बड़े बड़े पत्थर मार कर उनको कुचल दिया गया था।
रिहा किए गए बंधकों में से 150 के करीब गंभीर रूप से जख्मी हैं
इस कायरतापूर्ण हरकत के बाद भी चीनी सेना भारतीय जवानों के शवों तथा बंधक बनाए गए जवानों को वापस लौटाने को राजी नहीं थे। फिर कई स्तर पर हुई बातचीत के बाद मंगलवार दोपहर को उनके शवों को लौटाया गया तथा बंधकों को भी रिहा कर दिया गया। रिहा किए गए बंधकों में से 150 के करीब गंभीर रूप से जख्मी हैं। उनके बदन पर कंटीली तारों से छिलने के निशाने हैं, पत्त्थरों से कुचले जाने के निशान चीनी सेना की बर्बरता की दास्तां चीख चीख कर कहते थे।
और सबसे अधिक गंभीर बात यह थी कि कुछेक भारतीय जवानों व एक अफसर को फिलहाल लाल सेना ने रिहा नहीं किया है पर भारतीय सेना उसके प्रति न ही कोई पुष्टि कर रही थी और न ही खंडन। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, लेह तथा उधमपुर के कमांड अस्पतालों में इलाज करवा रहे तथा जिन्दगी व मौत के बीच झूल रहे जवानों ने इसकी पुष्टि जरूर की थी कि उनके कई जवान व अफसर लापता हैं जिनके प्रति शक यही है कि वे चीनी सेना के कब्जे में हैं।
Names of the 20 Indian Army personnel who lost their lives in the "violent face-off" with China in Galwan Valley, Ladakh. pic.twitter.com/GD5HFVr6U8
— ANI (@ANI) June 17, 2020