सावरकर माफी विवाद में लाल बहादुर शास्त्री के बेटे ने कहा, "शास्त्री जी, जेल में बंद थे, बेटी बीमारी से मर गई लेकिन अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: November 20, 2022 10:02 PM2022-11-20T22:02:50+5:302022-11-20T22:09:58+5:30
सावरकर माफी विवाद में उस समय दिलचस्प मोड़ आ गया जब देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे ने कहा कि शास्त्री जी भी आजादी के आंदोलन में जेल में थे, बेटी की तबियत खराब थी। अंग्रेजों ने रिहाई के लिए माफीनामे की शर्त रखी, जिसे शास्त्री जी ने ठुकरा दिया था।
दिल्ली: आजादी के आंदोलन में किसने-किसने सजा से बचने के लिए या फिर जेल से रिहाई के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी, यह देश में विवाद का बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आकर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं, जिसके कारण देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिष्ठा को काफी गहरी चोट पहुंच रही है।
इस विवाद में उस समय दिलचस्प मोड़ आ गया, जब देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री भी कूद गये और प्रसंगवश अपने पिता का हवाला देते हुए बताया कि शास्त्री जी भी आजादी के आंदोलन में जेल में थे, बेटी की तबियत खराब थी। अंग्रेजों ने रिहाई के लिए माफीनामे की शर्त रखी, जिसे शास्त्री जी ने ठुकरा दिया लेकिन इस पूरे प्रकरण में सबसे दुखद बात यह रही की शास्त्री जी की एक साल की बेटी बीमारी से मर गई और वो उसे देख भी नहीं पाये।
सुनील शास्त्री ने इस संबंध में ट्वीट करते हुए लिखा, "स्वतंत्रता आंदोलन में शास्त्रीजी जेल में थे। उन्हें खबर आई कि उनकी 1 वर्ष की बेटी बीमार है। शास्त्रीजी ने पैरोल मांगी लेकिन जेलर ने कहा कि उन्हें तभी जाने देगा जब वह लिखकर दें कि वह अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन नहीं करेंगे। शास्त्रीजी ने मना कर दिया और नहीं गए। उनकी बेटी का निधन हो गया।"
स्वतंत्रता आंदोलन में शास्त्रीजी जेल में थे.उन्हें खबर आई कि उनकी 1 वर्ष की बेटी बीमार है.शास्त्रीजी ने पैरोल मांगी लेकिन जेलर ने कहा कि उन्हें तभी जाने देगा जब वह लिखकर दें कि वह अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन नहीं करेंगे.शास्त्रीजी ने मना कर दिया और नहीं गए.उनकी बेटी का निधन हो गया
— Anil K Shastri (@anilkshastri) November 20, 2022
एक तरफ कांग्रेस वीर सावरकर द्वारा काले पानी की सजा से बचने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगने का आरोप लगा रही है वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने इस मुद्दे पर सावरकर का बचाव करते हुए शिवाजी से लेकर क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल और अश्फाक उल्लाह खान के नाम का हवाला देते हुए इसे सामान्य बता रही है।
सावरकर माफी विवाद में रविवार को उस समय एक नया विवाद जुड़ गया जब भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने वीर सावरकर के माफी का बटाव करते हुए एक टीवी चैनल पर क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल और अश्फाक उल्लहा खान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने भी अंग्रेजों की सजा से बचने के लिए माफी मांगी थी। वहीं इससे पहले भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने भी एक टीवी प्रोग्राम में कहा था कि शिवाजी महाराज ने भी औरंगजेब से पांच बार माफी मांगी थी।
भाजपा सासंद राकेश सिन्हा ने टीवी बहस में वीर सावरकर द्वारा अंग्रेजों से मांगे गये माफी का बचाव करते हुए कहा, "रामप्रसाद बिस्मिल और अश्फाक उल्लाह खान जब जेल में बंद थे और अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा दे दी थी तो उन्होंने वायसराय के पास, हाईकोर्ट में और उस समय के फेडरल कोर्ट में दया याचिका भेजी और उनके समर्थन में मदन मोहन मालवीय ने परिषद बनारस के बुद्धिजीवियों के साथ वायसराय को पिटिशन भेजा और उस पिटिशन में रामप्रसाद बिस्मिल जी ने लिखा कि हमने जो भी क्रांतिकारी गतिविधियां की थीं, वो गलत थीं। अब हम ऐसा नहीं करेंगे, उनकी आत्मकथा में उपलब्ध है। क्या हम मान लें रामप्रसाद बिल्मिल गद्दार थे? महर्षि अरविंद पांडिचेरी चले गये, सारी राजनीतिक गतिविधियों को त्य़ाग दिया..."
दरअसल इस पूरे प्रकरण की शुरूआत राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हुई। जब राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में प्रेस कांफ्रेस करके कथिततौर से पत्रकारों को वह दस्तावेज दिखाए, जिसमें अंग्रेजो द्वारा मिले काला पानी की सजा काट रहे विनायक दामोदर सावरकर ने अपनी सजा को माफ करने के लिए लिखी थी। इतना ही नहीं राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि वीर सावरकर ने अंग्रेजों से पेंशन भी प्राप्त की थी।
राहुल गांधी के बयान पर हमला करते हुए वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने विवाद में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को घसीट लिया और बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "पंडित नेहरू ने एक महिला के लिए देश का बंटवारा किया था। पंडित नेहरू को हनीट्रैप में फंसाकर देश का बंटवारा किया था और 12 साल तक नेहरू ब्रिटिश सरकार को भारत की गुप्त जानकारी देते रहे थे।"