एमेराल्ड कोर्ट परियोजना मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा, मानदंडों के उल्लंघन में नोएडा के अधिकारियों की ''मिलीभगत''
By भाषा | Published: August 31, 2021 08:34 PM2021-08-31T20:34:34+5:302021-08-31T20:34:34+5:30
एमराल्ड कोर्ट परियोजना के दौरान कानून के उल्लंघन में सुपरटेक लिमिटेड के साथ नोएडा के अधिकारियों की ''मिलीभगत'' से ही 40 मंजिला दोहरे टावरों का निर्माण हो सका, जिससे निवासियों के लिए धूप और ताजी हवा अवरुद्ध हो जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को इन ढांचों को तोड़ने का आदेश देते हुए यह बात कही। शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून के शासन का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अवैध निर्माण से सख्ती से निपटना होगा। नोएडा ने उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट अधिनियम 2010 का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप फ्लैट खरीदारों के अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन हुआ है।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, '' यह नोएडा और अपीलकर्ता के बीच मिलीभगत के अलावा किसी भी निष्कर्ष की ओर इशारा नहीं कर सकता, जोकि फ्लैट खरीदारों के अधिकारों की कीमत पर आर्थिक लाभ के लिए नियमों के प्रावधान के अनुपालन से बचने के लिए है।'' पीठ ने कहा, '' उच्च न्यायालय द्वारा एपेक्स और सियेन (टी-16 और टी-17) को गिराने के आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और उच्च न्यायालय द्वारा ढांचा गिराए जाने के निर्देश की पुष्टि की जाती है।'' शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि इस फैसले की तारीख से तीन महीने के भीतर इस ढांचे को गिराने की कार्रवाई की जाए। पीठ ने कहा, '' इस मामले का रिकॉर्ड ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जो अपीलकर्ता और उसके प्रबंधन के साथ नोएडा के अधिकारियों के बीच मिलीभगत उजागर करते हैं। इन परिस्थितियों में उच्च न्यायालय बिल्कुल सही निष्कर्ष पर पहुंचा है कि डेवल्पर कंपनी और योजना बनाने वाले प्राधिकरण के बीच मिलीभगत थी।
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