बिहार में जातीय सियासत के आगे सभी दल रहे हैं नतमस्तक, चुनावी लाभ के लिए भड़काते रहे हैं भावना

By एस पी सिन्हा | Published: May 6, 2023 04:48 PM2023-05-06T16:48:20+5:302023-05-06T16:49:55+5:30

जाति न केवल राजनीतिक बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभाती है। राज्य में चुनावों में अभी भी जाति ही मुख्य मुद्दा बन जाता है। विभिन्न पार्टियां टिकट भी इसी आधार पर बांटती हैं। 

In Bihar, all the parties are bowing down before caste politics, inciting sentiments for electoral gains | बिहार में जातीय सियासत के आगे सभी दल रहे हैं नतमस्तक, चुनावी लाभ के लिए भड़काते रहे हैं भावना

बिहार में जातीय सियासत के आगे सभी दल रहे हैं नतमस्तक, चुनावी लाभ के लिए भड़काते रहे हैं भावना

Highlightsप्राय: सभी राजनीतिक दल राज्य में जातीय समीकरण को साधने में जुटे रहते हैंजाति न केवल राजनीतिक बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभाती हैराज्य में चुनावों में अभी भी जाति ही मुख्य मुद्दा बन जाता है

पटना:बिहार में सामंती पहचानों से ग्रसित जातिगत आधार की जड़ें पुरानी है। प्राय: सभी राजनीतिक दल राज्य में जातीय समीकरण को साधने में जुटे रहते हैं। जाति न केवल राजनीतिक बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभाती है। राज्य में चुनावों में अभी भी जाति ही मुख्य मुद्दा बन जाता है। विभिन्न पार्टियां टिकट भी इसी आधार पर बांटती हैं। 

क्षेत्रीय दलों का तो आधार ही  कुछ खास जाति है। हालांकि हरेक पार्टी सार्वजनिक तौर पर तो यही कहती है कि “हम जातिवाद से परे हैं”, लेकिन बिहार की राजनीति को देखते हुए लगता है कि यहां बिना जाति के राजनीति हो ही नहीं सकती। लालू जहां यादवों के हितों को महत्व देते हैं तो नीतीश कुर्मी-कोयरी को प्राथमिकता देते आए हैं। 

लोजपा के दोनों गुट पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के नाम पर पासवान वोटों पर अपना दावा जताता रहा है। राज्य की तथाकथित ऊंची जातियां (ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, कायस्थ)  और वैश्य समाज अभी भाजपा की ‘प्रायोरिटी लिस्ट’ में है। इस तरह बिहार में जातिगत राजनीति हावी है और वोट व जीत का असली आधार भी यही है। 

यही कारण है कि जातीय जनगणना को लेकर भी सियासत खूब हो रही है। हालांकि जातीय गणना को पटना हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए इस पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद सभी दल जातियों के शुभचिंतक बनने को साबित करने में एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। ऐसे में जातीय जनगणना के राजनीतिक दलों के लाभ और हानि को तौलकर इसके मायने निकाले जा रहे हैं और उसी के अनुसार बयान भी दिए जा रहे हैं। 

हालांकि, जाति तोड़ने और अंतर्जातीय विवाह से सामाजिक विभेद खत्म करने के लिए कई स्तर पर मजबूत कोशिशें हुईं। बावजूद इसके राजनीतिक दल जातीय दल-दल को और गहरा करने के प्रयास में लगे रहे।

Web Title: In Bihar, all the parties are bowing down before caste politics, inciting sentiments for electoral gains

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