बिहार में एक दरोगा को प्राथमिकी में भूमिहार शब्द लिखना पड़ा महंगा, हाईकोर्ट ने दिया तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश
By एस पी सिन्हा | Published: November 18, 2022 08:05 PM2022-11-18T20:05:50+5:302022-11-18T20:05:50+5:30
कोर्ट ने कहा है कि जातिगत दुर्भावना से ग्रसित होकर काम करने वाले आरोपी पुलिसकर्मियों पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करते हुए पटना के एसएसपी उनका ट्रांसफर जल्द से जल्द करें।
पटना:बिहार में मोकामा के सम्यागढ़ ओपी के एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह के द्वारा उपचुनाव के दौरान एक प्राथमिकी में भूमिहार लिखना महंगा पड़ गया है। पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपी एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने संतोष सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जातिगत दुर्भावना से ग्रसित होकर काम करने वाले आरोपी पुलिसकर्मियों पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करते हुए पटना के एसएसपी उनका ट्रांसफर जल्द से जल्द करें।
दरअसल, उपचुनाव के दौरान पुलिस और गांववालों में झड़प हुई थी। मामला इसी 28 अक्टूबर का है। उपचुनाव से पहले सम्यागढ़ ओपी की पुलिस क्षेत्र के कई नागरिकों को 107 का नोटिस देने गई थी। इसी दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों में झड़प हो गई।
इसके बाद पश्चिम बंगाल से गांव में छठ मनाने आए इंजीनियर दीपक सिंह और एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह में मामूली बकझक हुई। इसी झड़प में दीपक सिंह गंभीर रूप से जख्मी हो गए। फिर इलाज के लिए दीपक को पटना के पीएमसीएच लाया गया।
इस मामले में एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह ने प्राथमिकी दर्ज करते हुए 10 लोगों को नामजद और 30-35 अज्ञात को अभियुक्त बनाया। उन्होंने अज्ञात के साथ ये भी लिख दिया कि सभी लोग एक ही जाति 'भूमिहार' से हैं। प्राथमिकी में इस तरह की भाषा देख इलाके के कुछ लोगों ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि पटना जिले के सम्यागढ़ ओपी की पुलिस ने जातीय दुर्भावना के चलते ऐसी कार्रवाई की। जिसके बाद अब इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए बड़ा निर्देश दिया है।